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    Bihar Politics: थारू वोटरों पर नीतीश कुमार की नजर, निशाने पर तीर; इन 3 नेताओं पर खेला दांव

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 04:02 PM (IST)

    बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार जातिगत समीकरणों को साधने में लगी है। बगहा में थारू समुदाय को खुश करने के लिए तीन नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने थारू समाज के उत्थान के लिए वर्षों पुराना वादा पूरा किया है। थारू समाज से जुड़े नेताओं को महत्वपूर्ण पद दिए गए हैं जिससे वाल्मीकिनगर में राजनीतिक चर्चा तेज है।

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    थारू वोटरों पर नीतीश कुमार की नजर, निशाने पर तीर

    जागरण संवाददाता, बगहा। प्रदेश सरकार विधानसभा चुनाव के पहले जातिगत समीकरण के आधार पर समाज को साधने में जुटी हैं। बगहा में थारुओं को खुश करने के लिए तीन थारू नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।

    वाल्मीकिनगर की हसीन वादियों पर बरसात की फुहारों ने चार चांद लगा दिए हैं। जैसे जैसे वक्त गुजर रहा, हरीतिमा बढ़ती जा रही। वनांचल में रहने वाले थारू आदिवासियों को तो मानो पंख लग गए हों। चुनाव के ठीक पूर्व राज्य प्रतिनिधित्व का मौका जो मिला है।

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    विकास को केंद्र में रखकर खासकर थारू समाज के उत्थान की बात करने वाले सत्ताधारी दल के मुखिया व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार वर्षों पुराना वादा पूरा किया है।

    करीब 65000 वोटरों ने बीते वर्षो में जब-जब प्रतिनिधित्व का दावा ठोका तो आश्वासन की घूंटी पिला कर उन्हें शांत करने की कोशिश की गई।

    यह दीगर बात है कि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर समाज के चर्चित चेहरों ने थारुओं को साधने की कोशिश की, लेकिन सुशासन पर भरोसे के आगे टिक न सके। इस बीच थारू समाज की जड़ें और मजबूत होती चली गईं। अब, आसन्न विधानसभा चुनाव में इनके दावे को नजरअंदाज करने की स्थिति में वोटों के समीकरण के बिगड़ने की नौबत आन पड़ी तो राजनीति के महारथी कहां पीछे रहने वाले थे।

    तीन थारू नेताओं को जिम्मेदारी

    हाल के दिनों में थारुओं के बड़े नेता और लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके शैलेन्द्र गढ़वाल को अनुसूचित जन जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। थारू समाज ने इसके लिए सरकार को आभार व्यक्त करते हुए विकास की उम्मीद जताई। इसके साथ ही आदिवासी समाज से आने वाले सुरेंद्र उरांव उपाध्यक्ष बना दिए गए।

    वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के दो समुदायों के बड़े नेताओं को ये पद दिए जाने के बाद चर्चा तेज हो गई कि आसन्न विस चुनाव में शायद इस बार भी पार्टी किसी प्रकार का रिस्क लेने की स्थिति में नहीं। विकास के दावों के बीच वोट मांगने वाले एनडीए गठबंधन ने प्रेमशीला को आयोग का सदस्य बना दिया।

    गंडक के दोनों किनारों पर बसे हैं वाल्मीकिनगर के वोटर

    गंडक नदी के दोनों किनारों पर हुआ है। पिपरासी, मधुबनी, ठकराहा और भितहा प्रखंड के साथ ही बगहा दो प्रखंड की वाल्मीकिनगर, लक्ष्मीपुर, रमपुरवा, संतपुर, सोहरिया, चंपापुर, गोनौली, नौरंगिया दरदरी, महुअवा, कटहरवा, हरनाटांड, बलुआ, छत्रौल, देवरिया, तरुअनवा भड़छी, बेलहवा, मदनपुर, बकुली पंचगावा, विनवलिया बोधसर, नया गांव, रामपुर, मंगलपुर औसानी, बोरवल नरवल, समेमरा, कटकुईया, यमुनापुर टडवलिया, जिमरी नौतनवा और ढोलबाजवा लक्ष्मीपुर ग्राम इस विधानसभा के अधीन हैं। बगहा दो प्रखंड में ही अधिकांश थारू व आदिवासी वास करते हैं।

    निर्दलीय लड़ चुनाव जीते थे धीरेंद्र प्रताप

    वाल्मीकिनगर के जदयू के विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह थारू समाज में बेहद लोकप्रिय हैं। वे पहली बार 2015 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया।

    वे बीते चुनाव में जदयू के टिकट पर ही चुनाव लड़े और विजेता रहे। इस बार भी उन्हें चुनाव मैदान में उतारे जाने की पूर्ण तैयारी है। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा होनी है।

    विधायक का कहना है कि मुख्यमंत्री ने थारू समाज के लिए बहुत ही विकास कार्य किए हैं। थरुहट विकास अभिकरण के तहत करोड़ों रुपये की योजनाओं पर काम हो रहा है।

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