किसने बनाया नदी पर भारत का सबसे लंबा पुल, अरबों रु में हुआ तैयार, चीन बॉर्डर तक सैन्य-युद्ध टैंक पहुंचाने में अहम
भारत में कई प्रसिद्ध पुल हैं जिनमें सबसे लंबा समुद्री पुल अटल सेतु (Atal Setu) और नदी पर बना सबसे लंबा पुल भूपेन हजारिका सेतु (Bhupen Hazarika Setu) शामिल हैं। 9.15 किमी लंबा भूपेन हजारिका सेतु असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है। इसे नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने 876 करोड़ रुपये की लागत से बनाया था। यह पुल पर्यटन को बढ़ावा देता है और आर्थिक विकास में मदद करता है।

नई दिल्ली। भारत में 1.73 लाख से भी अधिक छोटे-बड़े पुल हैं। इनमें कई पुल काफी पॉपुलर हैं। जैसे कि हावड़ा ब्रिज या अटल सेतु। इनमें अटल सेतु भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल है। इसी तरह नदी के ऊपर बना भारत का सबसे लंबा पुल है असम में मौजूद भूपेन हजारिका सेतु। 9.15 किमी लंबे भूपेन हजारिका सेतु ढोला-सदिया पुल के नाम से भी जाना जाता है। ये पुल भारत के दो राज्यों, असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ता है। आइए जानते हैं इसे किसने बनाया और बनाने में कितने रु लगे।
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कितने में बना भूपेन हजारिका सेतु
भूपेन हजारिका सेतु को बनाने में 876 करोड़ रुपये की लागत आई। बता दें कि यह असम की लोहित नदी के ऊपर बना हुआ है। इस पुल को नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी (Navayuga Engineering Company) ने बनाया है। नवंबर 2011 में भारत सरकार और नवयुग इंजीनियरिंग के बीच एक समझौता हुआ था, जो एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप थी। इसी के तहत पुल का निर्माण शुरू हुआ था।
इकोनॉमी पर पुल का असर
भूपेन हजारिका सेतु से इस पूरे क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा मिला है। इसके नतीजे में ढोला और सदिया जैसे गांवों का आर्थिक विकास भी हुआ है। साथ ही इससे क्षेत्र के रियल एस्टेट सेक्टर को भी सपोर्ट मिला और इन सभी फैक्टर्स के नतीजे में इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा मिला।
किसके हाथ में है कंपनी की बागडोर
बात नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी की करें तो ये नवयुग ग्रुप का हिस्सा है। नवयुग ग्रुप के एग्जेक्यूटिव चेयरमैन चिंता विश्वेश्वर राव और एमडी चिंता श्रीधर हैं। नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने कालेश्वरम-सुंदिला बैराज, दिबांग-लोहित नदी पुल, गंगा नदी पर पुल, कृष्णापट्टनम बंदरगाह और पोलावरम बांध प्रोजेक्ट भी तैयार किए हैं।
क्यों अहम है ये पुल
दरअसल भूपेन हजारिका सेतु 60 टन से ज्यादा वजन वाले भारी सैन्य और युद्धक टैंकों को संभालने की क्षमता के लिए डिजाइन किया गया है। इस तरह ये पुल किसी विदेशी सेना के आक्रमण की स्थिति में रक्षा संसाधनों की तेज आवाजाही में अहम है और चीन बॉर्डर तक सैन्य-युद्धक टैंक पहुंचाने के लिहाज से इसका खास रोल हो सकता है।
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