बजट चर्चा: नियमों को आसान करने और टैक्स विवादों के तीव्र निपटान करने की उठी मांग
बजट चर्चा में विशेषज्ञों ने नियमों को सरल बनाने और टैक्स विवादों के तेजी से निपटान पर जोर दिया। उनका मानना है कि वर्तमान नियम जटिल हैं, जिससे करदाताओं को परेशानी होती है। विवादों के त्वरित निपटान से निवेश का माहौल सुधरेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों ने बजट में कर सुधारों को शामिल करने का आग्रह किया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी वित्त वर्ष 2026-27 का बजट पेश होने की तैयारी वित्त मंत्रालय में अब जोर पकड़ती जा रही है। दूसरी तरफ औद्योगिक व अन्य संगठनों की तरफ से भी सरकार को बजट ज्ञापन भेजा जाने लगा है। आगामी फरवरी में पेश होने वाले बजट के लिए वित्त मंत्रालय में गत अक्टूबर से ही बजट की तैयारी चल रही है। इस बार सीआइआइ, फिक्की, एसोचैम, पीएचडीसीसीआइ जैसे विभिन्न औद्योगिक संगठनों से एक साथ ही सरकार के समक्ष अपनी बजट मांग रखी है।
औद्योगिक संगठनों से वित्त मंत्री से बजट में मुख्य रूप से कारोबारी नियमों को और आसान करने और टैक्स विवादों के तीव्र निपटान के प्रविधान की मांग की है। औद्योगिक संगठनों ने निश्चित समय में इनकम टैक्स विवादों के निपटान के साथ फेसलेस अपील प्रणाली को और बेहतर करने की भी मांग की है। औद्योगिक संगठनों के मुताबिक देश भर में इनकम टैक्स अपील के 5.40 लाख मामले आयुक्त के पास लंबित है जिनसे 18 लाख करोड़ के टैक्स विवाद जुड़े हुए हैं।
इन मामलों के तीव्र निपटान से उनके कार्यशील पूंजी में भी बढ़ोतरी होगी और उन्हें कारोबारी रूप से भी राहत मिलेगी। औद्योगिक संगठनों का कहना है कि फेसलेस प्रणाली के तहत मामले की सुनवाई को और पारदर्शी और बेहतर करने की अभी गुंजाइश है।दूसरी तरफ इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ने वित्त मंत्रालय को अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कारोबारी प्रक्रिया को बिल्कुल आसान बनाने के लिए टैक्स में बदलाव पर फोकस करने की मांग की है।
आईसीएआई के अध्यक्ष चरनजोत सिंह नंदा ने बताया कि आईसीएआई हमेशा ही सरकार के साथ भरोसेमंद पार्टनर के रूप में देश के विकास के लिए काम करता है और इस बार भी हमने वित्त मंत्रालय को अपना बजट पूर्व ज्ञापन दिया है। इसके तहत कुछ खास आर्थिक गलती को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की गुजारिश की गई। उन्होंने बताया कि एक ही प्रकार की आर्थिक गलती के लिए दो तरह के जुर्माने हैं, उन्हें भी आगामी बजट में समाप्त करने की मांग की गई है।

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