इंपोर्टेड चीजें ऑनलाइन बेचने वालों को बताना पड़ेगा 'कंट्री ऑफ ओरिजिन', सरकार ने जारी किया नए नियम का ड्राफ्ट
Online shopping regulation: उपभोक्ता और खाद्य मंत्रालय ने ई-कॉमर्स से संबंधित नियमों में संशोधन का एक ड्राफ्ट जारी किया है। इसके मुताबिक इंपोर्टेड चीजों के पैकेट पर कंट्री ऑफ ओरिजिन बताना जरूरी होगी। विभिन्न पक्षों से इस ड्राफ्ट पर 22 नवंबर 2025 तक सुझाव मांगे गए हैं। उसके बाद अंतिम नियम जारी किए जाएंगे।

इंपोर्टेड सामान पर लिखना होगा 'कंट्री ऑफ ओरिजिन'
Online shopping regulation: उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (द्वितीय) संशोधन नियम, 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है। इसमें ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए ऑनलाइन बेची जाने वाली इंपोर्टेड वस्तुओं के पैकेट पर 'मूल देश' यानी कंट्री ऑफ ओरिजिन (Country of Origin) अनिवार्य रूप से बताने का प्रस्ताव है। उपभोक्ता मामले विभाग का कहना है कि इससे ऑनलाइन खरीदारी में उपभोक्ता सशक्तीकरण और पारदर्शिता बढ़ेगी।
विभाग के अनुसार, इस संशोधन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को ऑनलाइन खरीदारी करते समय उत्पादों की उत्पत्ति की आसानी से पहचान करने की सुविधा देकर उन्हें निर्णय लेने में सक्षम बनाना है। प्रस्तावित सुविधा उपभोक्ताओं को मूल देश के अनुसार उत्पादों को खोजने में सक्षम बनाएगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे उत्पादों की लंबी-चौड़ी सूची में ऐसी जानकारी खोजने में लगने वाले समय में कमी आएगी।
22 नवंबर तक मांगे गए सुझाव
लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (द्वितीय) नियम 2011 के नियम 6 के उप-नियम (10) में इन शब्दों को शामिल किया जाएगा - "...आयातित उत्पाद बेचने वाली प्रत्येक ई-कॉमर्स संस्था को अपने उत्पाद सूचीकरण के साथ मूल देश की जानकारी बताने वाला एक सर्चेबल और सॉर्टेबल फिल्टर प्रदान करना होगा।"
संशोधन नियमों का मसौदा सार्वजनिक परामर्श के लिए विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है। विभिन्न पक्षों से इस पर 22 नवंबर 2025 तक सुझाव मांगे गए हैं।
वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा
विभाग की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह संशोधन 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को आसानी से खोजने योग्य बनाकर 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फॉर लोकल' पहल का प्रत्यक्ष समर्थन करता है। यह भारतीय निर्माताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है, घरेलू उत्पादों को आयातित वस्तुओं के बराबर बिजिबिलिटी प्रदान करने में मदद करता है और उपभोक्ताओं को स्थानीय स्तर पर निर्मित विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करता है।
यह प्रस्तावित संशोधन एक पारदर्शी, उपभोक्ता-अनुकूल और प्रतिस्पर्धी ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है और डिजिटल बाजारों में उपभोक्ताओं के विश्वास को बढ़ाता है।

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