Move to Jagran APP

ट्रंप की जीत से अब तक पांच हजार रुपये सस्ता हुआ सोना, क्या आगे भी गिरेगा भाव?

अमेरिका के टैरिफ और ट्रेड वॉर से यूरो और अन्य देशों की करेंसी की वैल्यू घट सकती है। इस स्थिति में उन खरीदारों के लिए सोना खरीदना अधिक महंगा बना देगा जो दूसरे देशों की करेंसी इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि सोने के दाम गिर रहे हैं। अमेरिकी निवेशक भी अब शेयर मार्केट और बिटकॉइन पर बड़ा दांव लगा रहे हैं।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Fri, 15 Nov 2024 07:15 PM (IST)
Hero Image
सोना अभी भी दुनियाभर में हालात अस्थिर होने पर निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित निवेश रहता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से अब तक सोना करीब पांच हजार रुपये सस्ता हो चुका है। कमोडिटी मार्केट के जानकारों का कहना है कि मध्यम अवधि में कोई सकारात्मक कारक नहीं दिख रहा है। ऐसे में आने वाले समय में भी सोने के मूल्य में गिरावट जारी रह सकती है।

इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के डेटा के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप की जीत के दिन यानी छह नवंबर को भारत में सोने का मूल्य 78,566 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो 14 नवंबर तक घटकर 73,740 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया है। इस दौरान सोने के मूल्य में 4,826 रुपये या छह प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है।

और सस्ता होगा सोना

एलकेपी सिक्योरिटीज में कमोडिटी और करेंसी के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी का कहना है कि निकट भविष्य में सोने की कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि विक्रेता हावी हैं और निकट अवधि में कोई सकारात्मक संकेत नहीं है। अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व महंगाई के लक्ष्य के करीब पहुंचने के साथ ही ब्याज दरों में कटौती जारी रखे हुए हैं।

हालांकि, अब वहां महंगाई दर उम्मीद से अधिक होने के कारण इस बात की चिंता बढ़ गई है कि फेडरल रिजर्व आगे कटौती को रोक सकता है। इससे सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। पीएल ब्रोकिंग के सीईओ संदीप रायचुरा का कहना है कि टैरिफ वॉर होना लगभग तय हो चुका है। इसलिए अमेरिकी डॉलर में काफी तेजी आई है, जो सोने के लिए नकारात्मक कारक है।

क्यों घट रहे सोने के दाम

अमेरिका के टैरिफ और ट्रेड वॉर से यूरो और अन्य देशों की करेंसी की वैल्यू घट सकती है। इस स्थिति में उन खरीदारों के लिए सोना खरीदना अधिक महंगा बना देगा, जो दूसरे देशों की करेंसी इस्तेमाल करते हैं। यही वजह है कि सोने के दाम गिर रहे हैं। अमेरिकी निवेशक भी अब शेयर मार्केट और बिटकॉइन पर बड़ा दांव लगा रहे हैं।

साथ ही, ट्रंप के शासनकाल में फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में भी आक्रामक तरीके से कटौती नहीं कर पाएगा। इसका मतलब कि ट्रेजरी बॉन्ड पहले के मुकाबले अधिक ब्याज देते रहेंगे और इससे भी सोने की कीमतों को नुकसान पहुंचा सकता है। सोना सीधे तौर पर अपने मालिकों को जीरो डिविडेंड या इनकम देता है। ऐसे में जब बॉन्ड अधिक भुगतान कर रहे होते हैं, तो सोना जाहिर तौर पर कम आकर्षक लग सकता है।

बेशक, सोना अभी भी दुनियाभर में हालात अस्थिर होने पर निवेशकों के लिए सबसे सुरक्षित निवेश रहता है। फिर चाहे बात युद्ध की हो, या फिर राजनीतिक संघर्ष की। वैश्विक अस्थिरता के माहौल में निवेशक अक्सर सोने का रुख करते हैं। मध्य पूर्व, यूक्रेन और अन्य जगहों पर युद्ध अभी भी जारी है। राजनीतिक तनाव अभी भी पहले की तरह ही बना हुआ है। ऐसे में सोना संभवतः कई निवेशकों के पोर्टफोलियो में बना रहेगा।

यह भी पढ़ें : Gold Loan: गोल्ड लोन लेने जा रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्‍यान, बाद में नहीं होगी कोई परेशानी