₹2500 से महंगे कपड़ों पर बढ़ जाएगा GST, बढ़ेंगे हैंडमेट-ऊनी और शादी के कपड़ों के दाम? CMAI ने कर दिया बड़ा दावा
सरकार 2500 रुपए से ज्यादा कीमत वाले कपड़ों पर 18% GST लगाने पर विचार कर रही है। अभी इन पर 12% टैक्स लगता है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर मिडिल क्लास और कपड़ा निर्माताओं पर पड़ेगा। क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) ने चेतावनी दी है कि यह फैसला इंडस्ट्री की कमर तोड़ देगा।

नई दिल्ली| GST Reforms : भारत का कपड़ा उद्योग एक और संकट के मुहाने पर खड़ा है। खबर है कि सरकार 2,500 रुपए से ज्यादा कीमत वाले कपड़ों पर 18% जीएसटी (GST) लगाने पर विचार कर रही है। अभी इन पर 12% टैक्स लगता है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर मिडिल क्लास और कपड़ा निर्माताओं पर पड़ेगा।
अमेरिका के टैरिफ वॉर से पहले ही कपड़ा उद्योग दबाव में है। अब 18% टैक्स लगने से स्थिति और बिगड़ सकती है। क्लोदिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) ने चेतावनी दी है कि यह फैसला "इंडस्ट्री की कमर तोड़ देगा।"
क्या-क्या हो सकता है महंगा?
- ऊन के कपड़े: उत्तर और पूर्वी भारत में सर्दियों में ऊनी कपड़े जरूरी हैं। इनकी कीमत आमतौर पर 3,500 से 7,000 रुपए तक होती है। 18% जीएसटी लगाने का मतलब है कि मिडिल क्लास परिवार के लिए गर्म कपड़े खरीदना और मुश्किल हो जाएगा।
- शादी के कपड़े: आम परिवार अपनी हैसियत से बेहतर कपड़े बच्चों की शादी में खरीदते हैं। इनकी कीमत 10,000-15,000 रुपए से शुरू होती है। नए टैक्स स्लैब से ऐसे कपड़े और महंगे हो जाएंगे।
- हैंडमेड और ट्रेडिशनल कपड़े: आर्टिसन और कारीगरों द्वारा बनाए गए कपड़े आमतौर पर महंगे होते हैं। 18% टैक्स से इनकी मांग घटेगी और कारीगर समुदाय बुरी तरह प्रभावित होगा।
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दावा- क्लोदिंग इंडस्ट्री को खतरा
CMAI का कहना है कि सरकार और उद्योग ने मिलकर इस सेक्टर को अन-ऑर्गनाइज्ड से ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में लाने की मेहनत की है। लेकिन यह टैक्स बढ़ोतरी सारी मेहनत पर पानी फेर देगी।
CMAI की पीएम मोदी से अपील
CMAI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है कि इस प्रस्ताव पर दोबारा विचार किया जाए। इसे लेकर संगठन ने कहा है कि, "कपड़ा उद्योग भारत की टेक्सटाइल विरासत की जान है।
यह 1.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, जिनमें बड़ी संख्या महिलाएं और असंगठित श्रमिक हैं। इस पर चोट करना देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना होगा।"
इधर, CMAI से जुड़े व्यापारियों का मानना है कि अगर 2,500 रुपए से ऊपर के कपड़ों पर 18% जीएसटी लागू हुआ तो न सिर्फ मिडिल क्लास की जेब पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि उद्योग में नौकरियां और परंपरागत आर्ट भी खतरे में पड़ जाएगा।
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