GST Rate Cut से सस्ती होगी बिजली, आम आदमी को होगा सीधा फायदा; 1 यूनिट के देनें होंगे इतने रुपये!
जीएसटी दरों में हुई कटौती से बिजली की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार GST Rate Cut होने के बाद प्रति यूनिट बिजली लगभग 10 से 14 पैसे तक सस्ती हो सकती है। क्योंकि इस कटौती से बिजली कंपनियों को बिजली बनाना थोड़ा सस्ता पड़ेगा।

नई दिल्ली। दो दिन पहले जीएसटी दरों (GST Rate Cut) में किए गए बदलावों से बिजली क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद बनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी उपकरणों और कोयला आधारित बिजली उत्पादन पर जीएसटी दरों में संशोधन से बिजली की दरों में कमी आने वाली है। ये बदलाव न केवल उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराएंगे बल्कि डिस्कॉम और डेवलपर्स को भी वित्तीय राहत देंगे। ताप बिजली संयंत्रों में बनी बिजली की दरों में देश में 10 पैसे प्रति यूनिट तक कमी आने की बात भी कही गई है।
GST Rate Cut से कितनी सस्ती होगी बिजली?
क्रिसिल इंटेलिजेंस के सीनियर प्रैक्टिस लीडर और निदेशक प्रणव मास्टर का कहना है कि, “रिन्यूएबल एनर्जी उपकरणों पर जीएसटी दर को 12 से घटाकर 5 फीसद करने से ईपीसी सेवाओं (प्लांट में इंजीनियरिंग, निर्माण व खरीद की लागत) की प्रभावी दर 13.8 फीसद से घटकर लगभग 8.9 फीसद हो जाएगी। इससे रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं की बिजली दरों में 4-5 फीसद की कमी आएगी, जो प्रति यूनिट लगभग 0.11-0.14 रुपये की बचत के बराबर है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह कटौती डिस्कॉम्स की मांग को बढ़ाने और कॉरपोरेट उपभोक्ताओं को ओपन एक्सेस रूट अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। उपभोक्ताओं को सस्ती रिन्यूएबल बिजली का लाभ मिलेगा, जबकि डेवलपर्स की निवेश क्षमता बढ़ेगी। दूसरी ओर, निर्माताओं को कम जीएसटी इनपुट क्रेडिट के कारण कार्यशील पूंजी चक्र में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।'
नई परियोजनाओं की लागत में आएगी कम
क्रिसिल रेटिंग के निदेशक अंकित हाखु का आकलन है कि जीएसटी दर में कमी से नई परियोजनाओं की कुल लागत में 4-7 फीसद तक की कमी आएगी और डेवलपर्स के लिए इक्विटी पर रिटर्न 100-200 आधार अंक तक सुधरेगा।देश के कुल बिजली उत्पादन में 73 फीसद हिस्सा रखने वाले कोयला आधारित ताप बिजली पर भी जीएसटी दरों में कटौती का सकारात्मक असर होने की संभावना है।
उन्होंने आगे कहा कि वैसे कोयले पर जीएसटी दर को पांच से बढ़ाकर 18 फीसद किया गया है लेकिन साथ ही 400 रुपये प्रति टन का उपकर हटा लिया गया है। इससे कोयला आधारित बिजली की लागत में प्रति यूनिट 0.10 रुपये से अधिक की कमी आने की उम्मीद है। कटौती का स्तर घरेलू कोयले की गुणवत्ता पर आधारित होगा। इससे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर वित्तीय दबाव कम होगा। हालांकि, इनपुट लागत में वृद्धि का खतरा भी है।
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