घर बैठे बंद पड़े बैंक खाते को कर सकेंगे एक्टिवेट, पुराना पैसा निकालना भी होगा आसान; जानिए कैसे?
अगर आपका बैंक अकाउंट 10 साल या इससे अधिक समय से इन-ऑपरेटिव है अर्थात उसमें आप कोई लेनदेन नहीं कर रहे हैं तो उसे एक्टिवेट (Bank account reactivation) करना अब आसान हो जाएगा। बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है जिसमें इस तरह के अकाउंट एक्टिवेट करने को आसान बनाने के उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने क्या कहा है।

नई दिल्ली। अगर आपने अपने बैंक एकाउंट को 10 साल से ऑपरेट नहीं किया है, तो उस एकाउंट को ऑपरेटिव बनाना अब आसान हो गया है। रिजर्व बैंक इसके नियमों में कुछ बदलाव करने जा रहा है, जिससे आप घर बैठे अपने इन-ऑपरेटिव एकाउंट को ऑपरेटिव (Reactivate old savings account) बना सकेंगे। यही नहीं, उस एकाउंट में पड़े पैसे को भी निकाल सकेंगे।
क्या है आरबीआई का नया कदम
रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों इन-ऑपरेटिव एकाउंट/अनक्लेम्ड डिपॉजिट (Inoperative Accounts/ Unclaimed Deposits) से संबंधित नियमों में बदलाव के लिए एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया। इस पर आम लोगों तथा अन्य स्टेकहोल्डर्स से 6 जून तक कमेंट मांगे गए हैं।
क्या कहता है आरबीआई का पुराना नियम
आरबीआई ने 1 जनवरी 2024 को एक सर्कुलर जारी किया था। उस सर्कुलर के अनुसार, इन-ऑपरेटिव एकाउंट (Inoperative bank account activation) तथा बिना क्लेम वाले डिपॉजिट को एक्टिवेट (Withdraw money from dormant account) करने के लिए बैंकों को केवाईसी (नौ योर कस्टमर - KYC) सुविधा देनी पड़ेगी। ग्राहकों के लिए यह सुविधा नॉन-होम ब्रांच समेत सभी ब्रांच पर उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा, अगर खाताधारक मांग करता है तो वीडियो के माध्यम से भी कस्टमर आइडेंटिफिकेशन (V-CIP) किया जा सकता है।
नियम में क्या बदलाव करने जा रहा है आरबीआई
पुराने आदेश में आरबीआई एक अतिरिक्त सुविधा जोड़ना चाहता है। नए ड्राफ्ट सर्कुलर में इसने कहा है कि किसी इन-ऑपरेटिव एकाउंट को एक्टिवेट करने के लिए बैंक अपने ऑथराइज्ड बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जब कोई एकाउंट 10 साल या उससे अधिक समय तक एक्टिव नहीं रहता तो वह इन-ऑपरेटिव हो जाता है। उस एकाउंट में पड़ा पैसा रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड में जमा हो जाता है।
वर्ष 2023 के अंत तक इन-ऑपरेटिव एकाउंट में करीब एक लाख करोड़ रुपये पड़े थे। इनमें से 42,270 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड डिपॉजिट के रूप में थे।


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