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    दुनिया के विकास में अमेरिका से ज्यादा है भारत का योगदान, ट्रम्प को ना जाने किस बात का गुमान!

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा गया है। महंगाई दर का अनुमान 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया गया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और वैश्विक विकास में इसका योगदान अमेरिका से ज्यादा है। वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.5% रहने का अनुमान है।

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Wed, 06 Aug 2025 07:18 PM (IST)
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    भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही अच्छी स्थिति में है और दुनिया के विकास में इसका योगदान अमेरिका से ज्यादा है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही अच्छी स्थिति में है और दुनिया के विकास में इसका योगदान अमेरिका से ज्यादा है। यह बात आरबीआइ के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने के बाद प्रेस वार्ता में कही। दो दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था का मजाक उड़ाते हुए इसे डेड इकोनमी करार दिया था। 

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    भारत सरकार पर भारतीय बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए ज्यादा से ज्यादा खोलने के लिए दबाव बना रहे ट्रंप के उक्त बयान को कई वैश्विक व घरेलू अर्थविदों ने एक सिरे से खारिज किया है।

     मौद्रिक नीति समिति की तीन दिनों तक चली बैठक के बाद जारी रिपोर्ट में वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर के 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया है जो इस साल दुनिया की औसतन विकास दर के अनुमान (तीन फीसद) से दोगुना है।आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि, “दुनिया के विकास में भारत का योगदान 18 फीसद है जबकि अमेरिका का योगदान काफी कम है, मेरा अनुमान है कि यह 11 फीसद है। 

    हम बहुत ही अच्छा कर रहे हैं और आगे इससे भी बेहतर करेंगे।'' मौद्रिक नीति पेश करते हुए गवर्नर मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्श के दौरान मानसून की स्थिति ठीक रहने, महंगाई की दर के घटने, त्योहारी सीजन में मांग में वृद्धि होने के आधार पर आर्थिक विकास दर पूरे साल के दौरान 6.5 फीसद रहने की बात कही है। लेकिन साथ ही यह माना है कि वैश्विक स्तर पर अस्थिरता है और अमेरिका की शुल्क नीति को लेकर भी अनिश्चितता है। 

    हाल के दिनों मे आइएमएफ, विश्व बैंक सरीखी एजेंसियों की रिपोर्टों को देखें तो इन सभी ने भारत की जीडीपी में 6.3 से 6.7 फीसद तक की वृद्धि की बात कही है। दुनिया की प्रमुख इकोनमी में इतनी ज्यादा आर्थिक विकास दर किसी देश की नहीं रहने वाली। जबकि खुदरा महंगाई की दर के 3.1 फीसद रहने का अनुमान आरबीआइ ने लगाया है। यह घरेलू मांग को बढ़ाने में मदद करेगा।

    मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों के बीच रेपो रेट को मौजूदा स्तर यानी 5.5 फीसद पर ही बना कर रखने की सहमति बनी है। आरबीआइ गवर्नर का कहना है कि, “यह निर्णय आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है। 

    केंद्रीय बैंक पूरी स्थिति की निगरानी करता रहेगा और देश की अर्थव्यवस्था को सु²ढ़ बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाने को तैयार रहेगा।'' इसके अलावा भू-राजनीतिक तनाव, कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव और प्रतिकूल मौसम से भी महंगाई से निपटने की तैयारियों पर असर पड़ सकता है। 

    वैसे गवर्नर मल्होत्रा ने अगले साल के शुरुआत में ब्याज दरों में एक और कटौती की संभावना बनने की तरफ इशारा किया है लेकिन यह महंगाई की स्थिति और वैश्विक हालात पर निर्भर करेगा।