भारत की ग्रीन इकोनॉमी में 2047 तक 4.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश और 4.8 करोड़ नौकरियां संभवः CEEW
CEEW Green Report: पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था CEEW ने हरित अर्थव्यवस्था पर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि किस तरह वर्ष 2047 तक हरित क्षेत्र में 4.1 लाख करोड़ डॉलर का निवेश संभव है और कैसे यह क्षेत्र 4.8 करोड़ नौकरियों का सृजन कर सकता है। सबसे अधिक नौकरियों की संभावना बायो-इकोनॉमी के क्षेत्र में संभव हैं।

एनर्जी ट्रांजिशन 1.66 करोड़ नौकरियां सृजित कर सकता है
CEEW Green Report: भारत हरित निवेश में 4.1 ट्रिलियन डॉलर (360 लाख करोड़ रुपये) आकर्षित करने और 4.8 करोड़ नौकरियां सृजित करने की संभावना रखता है। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (CEEW) के नए अध्ययन ‘बिल्डिंग अ ग्रीन इकोनॉमी फॉर विकसित भारत’ से सामने आई है। राष्ट्रीय स्तर पर यह अपनी तरह का पहला आकलन है।
अक्सर ग्रीन इकोनॉमी (India Green Economy) को सिर्फ सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों तक सीमित मान लिया जाता है। लेकिन इस अध्ययन में बायो-बेस्ड मैटेरियल, कृषि वानिकी, ग्रीन कंस्ट्रक्शन, सतत पर्यटन, सर्कुलर मैन्युफैक्चरिंग, वेस्ट-टू-वैल्यू इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।
एनर्जी ट्रांजिशन में 1.6 करोड़ नौकरियां संभव
सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण के अनुसार, अकेले एनर्जी ट्रांजिशन 1.66 करोड़ पूर्णकालिक समतुल्य नौकरियां सृजित कर सकता है। अक्षय ऊर्जा, भंडारण, विकेंद्रीकृत ऊर्जा व क्लीन मैन्युफैक्चरिंग में 3.79 ट्रिलियन डॉलर का निवेश भी संभव है। ग्रीन इकोनॉमी में इलेक्ट्रिक मोबलिटी सबसे बड़ा नियोक्ता होगा, जिसका एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी कुल नौकरियों में 57 प्रतिशत से अधिक हिस्सा होगा।
जैव-अर्थव्यवस्था (Bio-economy) और प्रकृति-आधारित समाधान भारत के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में 2.3 करोड़ नौकरियां सृजित कर सकते हैं। इनमें 415 अरब डॉलर का आर्थिक मूल्य सृजन संभव है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक नौकरियां देने वाले वैल्यू चेन में रासायन-मुक्त खेती और बायो-इनपुट (72 लाख नौकरियां), कृषि वानिकी व सतत वन प्रबंधन (47 लाख नौकरियां) और वेटलैंड मैनेजमेंट (37 लाख नौकरियां) शामिल हैं।
सर्कुलर इकोनॉमी में 76 लाख जॉब की संभावनाएं
सर्कुलर इकोनॉमी सालाना 132 अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक मूल्य सृजित कर सकती है। वेस्ट कलेक्शन, रीसाइक्लिंग, रिपेयरिंग, नवीनीकरण और मैटेरियल रिकवरी में 84 लाख पूर्णकालिक समतुल्य नौकरियां सृजित की जा सकती हैं। इनमें से 76 लाख नौकरियां कचरे से जुड़ी गतिविधियों से उत्पन्न होंगी।
CEEW का विश्लेषण रेखांकित करता है कि भारत के ग्रीन इकोनॉमिक ट्रांजिशन के लिए महिलाओं की भागीदारी बहुत जरूरी होगी। इस अध्ययन में जेंडर-रिस्पॉन्सिव स्किलिंग, सुदूर कार्यस्थलों के लिए सुरक्षित आवागमन, बेहतर वेतन और महिलाओं के नेतृत्व वाली ग्रीन इंटरप्राइजेज के लिए समर्पित वित्तीय उपायों का सुझाव दिया गया है।
भारत के पास अनूठा अवसरः अमिताभ कांत
इस रिपोर्ट पर आयोजित डायलॉग में ग्रीन इकोनॉमी काउंसिल (जीईसी) का शुभारंभ किया गया। पूर्व जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत इस समूह के अध्यक्ष हैं। रिपोर्ट लॉन्च के अवसर पर उन्होंने कहा, “जिस तरह से भारत 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ रहा है, हम पश्चिम के विकास मॉडल का अनुसरण नहीं कर सकते है। हमारे अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है, इसलिए हमारे पास शहरों, उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सर्कुलैरिटी, स्वच्छ ऊर्जा और बायोइकोनॉमी के आस-पास निर्माण करने का एक अनूठा अवसर मौजूद है। जिस तरह डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भारत को तकनीकी रूप से आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है, उसी तरह हमें अब ग्रीन इकोनॉमी में एक छलांग लगानी चाहिए।”
एवरस्टोन ग्रुप के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा, “भारत का ग्रीन ट्रांजिशन मूल रूप से सकारात्मक है: यह लाखों नौकरियां सृजित कर सकता है, विकास को रफ्तार दे सकता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है और घरेलू ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बना सकता है।”
सीईईडब्ल्यू के डायरेक्टर (ग्रीन इकोनॉमी एंड इम्पैक्ट इनोवेशन) अभिषेक जैन ने कहा कि ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में आगे बढ़ना भारत के लिए न केवल नौकरियां और आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि हमें आत्मनिर्भर बनाने के लिए भविष्य के ईंधन और संसाधनों को जुटाने में भी हमारी मदद करेगा।

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