मई में मैन्युफैक्चरिंग वृद्धि तीन माह में सबसे कम, जानिए कितना रहा भारत का Manufacturing PMI
Manufacturing PMI मई में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई तीन महीने में सबसे कम रही है। हालांकि इसके बावजूद घरेलू और निर्यात मांग के कारण मैन्युफैक्चरिंग की गति अच्छी है। अल्युमिनियम सीमेंट आयरन लेदर रबर और रेत जैसे रॉ मैटेरियल महंगे होने के कारण कंपनियों ने प्रोडक्ट के दाम भी बढ़ाए हैं। ज्यादातर कंपनियों को अगले 12 महीने में डिमांड बढ़ने की उम्मीद है।

नई दिल्ली। मई महीने में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में थोड़ी गिरावट आई है। पिछले महीने का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (What is India Manufacturing PMI) 57.6 रहा। अप्रैल में यह 58.2 था। यह इंडेक्स 50 से अधिक रहने पर उत्पादन में वृद्धि होती है। इंडेक्स का 50 से नीचे रहना निगेटिव ग्रोथ को दर्शाता है।
HSBC India PMI के अनुसार मई का इंडेक्स (Manufacturing Growth May 2025) फरवरी के बाद सबसे कम है। हालांकि यह लॉन्ग टर्म औसत 54.1 से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार बिजनेस की परिस्थितियों में तो अच्छा सुधार हो रहा है, लेकिन उत्पादन बढ़ने की दर धीमी हुई है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग का ट्रेंड अभी मजबूत बना हुआ है।
कड़ी प्रतिस्पर्धा और लागत का असर
कुछ मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने बताया कि उनकी ग्रोथ कड़ी प्रतिस्पर्धा, लागत में वृद्धि और भारत-पाकिस्तान विवाद के कारण प्रभावित हुई है। एचएसबीसी के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा, “भारत का मई का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इस सेक्टर में एक और मजबूत प्रगति को दिखाता है। हालांकि उत्पादन और नए ऑर्डर में वृद्धि की दर पिछले महीने से कम रही।” (India Economy)
नई हायरिंग में रिकॉर्ड तेजी
नए निर्यात ऑर्डर तीन साल में सबसे अधिक तेजी से बढ़े हैं। एशियाई देशों के अलावा यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका से भी मांग मजबूत बनी हुई है। इस मांग के कारण कंपनियों ने इनपुट की खरीद बढ़ाई है और नए लोगों को काम पर रखा है।
मई में रोजगार सृजन की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। पीएमआई के लिए किए जाने वाले सर्वे के इतिहास में हायरिंग में इतनी तेज वृद्धि पहले कभी नहीं हुई। अस्थायी रोल की जगह परमानेंट रोल की संख्या अधिक थी।
इनपुट मैटेरियल के बढ़े दाम, प्रोडक्ट भी हुए महंगे
मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने लागत बढ़ने की बात कही है। अल्युमिनियम, सीमेंट, आयरन, लेदर रबर और रेत जैसे मैटेरियल के दाम बढ़े हैं। उन्हें माल भाड़ा और श्रम लागत में मजदूरी में वृद्धि का भी सामना करना पड़ा है। इस वजह से उन्हें अपने प्रोडक्ट के दाम बढ़ाने पड़े हैं। प्रोडक्ट की कीमतों में 11.5 साल में सबसे अधिक तेजी से वृद्धि हुई है।
हालांकि सप्लाई चेन की परिस्थितियों में सुधार आया है। इसकी वजह से कंपनियों ने अपने स्टॉक की खरीद बढ़ाई है। लेकिन तैयार वस्तुओं की इन्वेंटरी लगातार छठे महीने कम हुई है। ज्यादातर भारतीय मैन्युफैक्चरर को भरोसा है कि आने वाले समय में उनकी ग्रोथ अच्छी रहेगी। अनेक कंपनियों ने अगले 12 महीने में उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद जताई है।
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