अमेरिकी टैरिफ है भारत के लिए सुधारों का अवसर, निर्यात बाजारों में करने होंगे बड़े बदलाव
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत को अमेरिकी टैरिफ को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने साहसिक सुधारों को लागू करने और निर्यात बाजारों में विविधता लाने की आवश्यकता पर बल दिया। कांत ने कहा कि अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने का कारण रूस से तेल की खरीदारी नहीं है क्योंकि चीन और तुर्किये रूस से अधिक तेल खरीदते हैं।
नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि भारत को अमेरिका के टैरिफ को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए, ताकि वह साहसिक और एक पीढ़ी में एक बार होने वाले सुधारों को लागू कर सके और दीर्घकालिक विकास के लिए अपने निर्यात बाजारों को विविधता ला सके।
एक कार्यक्रम में कांत ने कहा कि यह भारत का सदी है और मुझे भरोसा है कि ट्रंप ने हमें सुधारों का एक बड़ा अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ बढ़ाने में रूस से तेल खरीदारी कोई मुद्दा नहीं है। यह ऐसा होता तो चीन और तुर्किये रूस से हमसे अधिक तेल खरीदते हैं।
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विडंबना यह है कि अमेरिका रूस और चीन के साथ बातचीत कर रहा है, जबकि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है। हमें इन वैश्विक चुनौतियों को साहसिक सुधारों के लिए प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए।
उन्होंने वैश्विक सप्लाई चेन व्यवधान और उत्पादन अवसंरचना के तेजी से विस्तार के लिए भारत की प्रशासनिक दक्षता में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। कांत ने स्टार्टअप्स को विभिन्न मंजूरी मिलने में आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत में एक स्टार्टअप का पंजीकरण कराने में छह महीने लगते हैं।
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