भारत से छिन गया खिताब, टेलीकॉम सर्विस के मामले अब नहीं रहा सबसे सस्ता; ये पड़ोसी देश कैसे निकला आगे
भारत अब सबसे सस्ता टेलीकॉम सर्विस (cheapest telecom service) देने वाला देश नहीं रहा। बांग्लादेश और इजिप्ट ने कम कीमत वाले प्लान पेश करके भारत को पीछे छोड़ दिया है। ICICI सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, भारत किफायती दरों में ऊपर आया है, लेकिन वॉयस सर्विस महंगी (telecom service india) हो गई है। बांग्लादेश और इजिप्ट जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। भारत को कीमतों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे।

नई दिल्ली। भारत को दुनियाभर के देशों की अपेक्षा टेलीकॉम सर्विस (cheapest telecom service) के मामले में सबसे सस्ता माना आता जा रहा है। लेकिन अब भारत अब दूरसंचार सेवाओं के लिए सबसे सस्ता देश नहीं रहा। अब बांग्लादेश और इजिप्ट अब कम बेस प्लान चार्ज ले रहे हैं। हालांकि पीपीपी के लिहाज से डेटा किफायती (telecom service india) बना हुआ है
ICICI सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत किफायती दरों की रैंकिंग में ऊपर आया है, लेकिन यह समकक्ष देशों के तुलना में थोड़ा महंगा हुआ है। यह खासकर वॉयस सर्विस के मामले में देखने को मिल रहा है।
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भारत में दूरसंचार ऑपरेटर बेस प्लान स्तर पर भी असीमित वॉयस कॉलिंग प्रदान करते हैं, जबकि बांग्लादेश और मिस्र में उपयोगकर्ताओं को क्रमशः केवल 100 और 70 मिनट मिलते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "अफोर्डिबिलिटी के लिहाज से, भारत अब दूरसंचार सेवाओं के लिए सबसे सस्ता टैरिफ वाला देश नहीं है।"
इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि अतिरिक्त 100 रुपये के साथ, भारतीय दूरसंचार ऑपरेटर 26 जीबी अतिरिक्त डेटा प्रदान करते हैं, यानी प्रति जीबी केवल 4 रुपये की लागत। रिपोर्ट में कहा गया है कि यही बात भारत को दुनिया के सबसे किफायती डेटा वाले देशों में से एक बनाती है ।
दिलचस्प बात यह है कि इंडोनेशिया एकमात्र ऐसा देश है जो भारत के बराबर स्तर पर बेस प्लान उपलब्ध कराता है । ज़्यादातर देशों में बेस प्लान की कीमत भारत से लगभग दोगुनी है ।
क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर मूल्यांकन करने पर भी, भारत की दूरसंचार दरें विश्व स्तर पर सबसे सस्ती दरों में से एक हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की तुलना में भारत की आधार योजना लागत के मामले में 21 प्रतिशत सस्ती है ।
हालांकि, इस लागत लाभ के बावजूद, रिपोर्ट में बताया गया है कि वॉयस और डेटा दोनों के लिए चीन की सेवा भत्ते भारत की तुलना में काफी कम हैं।
इसमें यह भी कहा गया है कि यदि यही विश्लेषण स्मार्टफोन योजनाओं के लिए किया जाए, जिनमें आमतौर पर उच्च डेटा सीमा शामिल होती है, तो भारत अपने समकक्षों की तुलना में और भी अधिक किफायती दिखाई देगा।
राजस्व के मोर्चे पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता खर्च के आधार पर भारतीय दूरसंचार कंपनियों के लिए प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2025 के बीच 13.5 प्रतिशत बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह वृद्धि मुद्रास्फीति की तुलना में काफी तेज है और इसलिए, यह दीर्घावधि में टिकाऊ नहीं हो सकती है।
हालांकि, 10 वर्षों की लंबी अवधि में, एआरपीयू 3.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है, जो दूरसंचार उद्योग में समेकन के बावजूद मुद्रास्फीति की दर से अभी भी कम है।

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