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    सस्ते रूसी तेल से एक साल में भारत के कितने पैसे बचे? ग्लोबल रिसर्च फर्म ने जारी की रिपोर्ट; हैरान कर देंगे आंकड़े

    CLSA की रिपोर्ट के अनुसार सालाना फायदा सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21894 करोड़ रुपए) है। जिसे 10-25 बिलियन डॉलर बताया जाता रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूसी तेल से मिलने वाला फायदा मीडिया में दिखाए गए आंकड़ों से कहीं कम है। यह भारत की GDP का सिर्फ 0.6 फीसदी है। रिपोर्ट्स में दावा है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है।

    By Ankit Kumar Katiyar Edited By: Ankit Kumar Katiyar Updated: Thu, 28 Aug 2025 10:44 PM (IST)
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    CLSA ने अपनी रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है।

    नई दिल्ली| भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदने का फायदा जितना बताया जा रहा था, वह उतना बड़ा नहीं है। CLSA की रिपोर्ट के अनुसार, सालाना फायदा सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21,894 करोड़ रुपए) है। जिसे 10-25 बिलियन डॉलर बताया जाता रहा है।

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    रिपोर्ट में कहा गया है कि "रूसी तेल से मिलने वाला फायदा मीडिया में दिखाए गए आंकड़ों से कहीं कम है।" CLSA के अनुसार, यह भारत की GDP का सिर्फ 0.6 फीसदी है। रिपोर्ट्स में दावा है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है।

    यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से तेल की खरीद (Russian oil imports) बढ़ाई। पहले यह सिर्फ 1 फीसदी था, अब लगभग 40 फीसदी हो गया है। रूस ने भारी छूट दी। पश्चिमी देशों ने रूस को सजा देने के लिए इसका व्यापार बंद कर दिया था। 

    36 फीसदी आयात सिर्फ रूस से

    अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो उसे सीमित विकल्पों की ओर जाना पड़ेगा। इसके कारण वैश्विक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।

    वर्तमान में, भारत का कुल 5.4 मिलियन बैरल प्रति दिन का आयात का 36 फीसदी रूस से आता है। इसके अलावा, इराक 20%, सऊदी अरब 14%, UAE 9% और अमेरिका 4% से तेल आता है। 


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    भारत ने साफ किया अपना रुख

    भारत का कहना है कि रूस से तेल खरीदना किसी वैश्विक कानून का उल्लंघन नहीं है। यूरोपीय संघ (EU) ने हाल ही में रूस के तेल से तैयार ईंधन पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका ने अभी तक रूस के कच्चे तेल या तैयार तेल पर प्रतिबंध नहीं लगाया।

    रूसी तेल के कारण भारत ने सस्ते ऊर्जा संसाधन सुनिश्चित किए। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने आलोचना की है कि भारत यह तेल सस्ते में खरीदकर अन्य क्षेत्रों, जैसे यूरोप, में बेचकर मुनाफा कमा रहा है।

    सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर का फायदा

    CLSA ने कहा कि असली फायदा मीडिया में दिखाए गए डिस्काउंट से कम है। रूस का तेल 60 डॉलर कैप के तहत बेचता है। जब ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर से ऊपर जाता है, तो यह सस्ता लगता है। लेकिन शिपिंग, इंश्योरेंस और रीइंश्योरेंस की लागत इसे कम कर देती है।

    भारतीय रिफाइनर FY24 में औसतन 8.5 डॉलर प्रति बैरल की छूट लेते थे। FY25 में यह घटकर 3-5 डॉलर और हाल के महीनों में 1.5 डॉलर प्रति बैरल रह गई। इसका मतलब सालाना फायदा सिर्फ 2.5 बिलियन डॉलर है।

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    रूस के तेल की क्वालिटी कमजोर

    रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रूस का तेल क्वालिटी में कमजोर है। इसे बेहतर और महंगे तेल के साथ मिलाना पड़ता है। सरकारी डेटा भी दिखाता है कि अब भारत को बड़ी बचत नहीं हो रही।

    CLSA ने चेतावनी दी कि अगर भारत अचानक रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो कीमत 90-100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है। इससे वैश्विक महंगाई बढ़ सकती है। भारत की खरीद से वैश्विक तेल बाजार स्थिर रहता है। 

    रिपोर्ट के अनुसार, अब रूसी तेल खरीदना आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक मुद्दा बन गया है। भारत ने दोहराया है कि वह अपने व्यापारिक साथी चुनने में स्वतंत्र है।