India LPG Import: मध्य-पूर्व पर रसोई गैस की निर्भरता कम करेगा भारत, अमेरिका से आयात पर खत्म हो सकता है शुल्क
ढुलाई की लागत अधिक होने के कारण भारत अमेरिका से एलपीजी का आयात (India LPG Import) नहीं करता था। लेकिन चीन ने अमेरिकी गैस पर प्रतिशोधी शुल्क लगाया तो भारत के लिए अमेरिका के साथ सौदा करना आसान हो गया। भारतीय कंपनियां चाहती हैं कि गैस की ढुलाई के जोखिम का बोझ भी अमेरिकी कंपनियां उठाएं।
नई दिल्ली। ऐसे समय जब अमेरिका के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप दिया जा रहा है, भारत अगले साल से 10 प्रतिशत रसोई गैस अमेरिका से खरीदने (India LPG imports) पर विचार कर रहा है। इससे भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा कम होगा। घाटा कम करने के लिए ही अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। यह तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) के लिए मध्य पूर्व देशों पर बहुत अधिक निर्भर है। पिछले साल लगभग 205 लाख मीट्रिक टन आयात का 90% से अधिक एलपीजी इसी क्षेत्र से आया था।
खत्म हो सकता है आयात शुल्क
खाना पकाने में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होने वाला एलपीजी प्रोपेन और ब्यूटेन का मिश्रण है। इसका आयात मुख्य रूप से सरकारी कंपनियां इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम करती हैं। न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार, भारत अमेरिकी प्रोपेन और ब्यूटेन पर आयात शुल्क खत्म कर सकता है।
माल ढुलाई लागत अधिक होने के कारण अमेरिका से एलपीजी खरीदने से भारत बचता रहा है। लेकिन चीन द्वारा अमेरिकी प्रोपेन पर टैरिफ लगाए जाने के बाद मई में भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी एलपीजी खरीदना शुरू कर दिया। अमेरिकी प्रोपेन पर चीन ने 10 प्रतिशत आयात शुल्क (U.S. propane tariffs) लगाया है। इससे भारतीय खरीदारों के लिए अवसर खुले हैं।
फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के समय दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा था। अमेरिका से ऊर्जा आयात 2030 तक 10 अरब डॉलर बढ़ाकर 25 अरब डॉलर तक ले जाने का इरादा है।
सप्लायर देशों में विविधता लाना चाहता है भारत
रायटर्स ने एक सूत्र के हवाले से लिखा है कि भारत कच्चे तेल और एलपीजी, दोनों के लिए अमेरिका को एक विश्वसनीय वैकल्पिक स्रोत के रूप में देख रहा है। हमें एलपीजी के अपने स्रोतों में विविधता लाने की आवश्यकता है।
दरअसल, भू-राजनीतिक जोखिम कम करने और बढ़ती रिफाइनिंग क्षमता के लिए भारत कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ताओं में विविधता (diversifying energy sources) ला रहा है। हालांकि एलपीजी आपूर्तिकर्ता अभी मध्य पूर्व में केंद्रित हैं, जिन्हें आमतौर पर फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) आधार पर खरीदा जाता है। लेकिन माल ढुलाई के जोखिम कम करने के लिए अमेरिका से डिलीवरी के आधार पर आयात किया जाएगा। अमेरिका से कच्चा तेल भी इसी आधार पर खरीदा जाता है।
एफओबी सौदे में सप्लायर की जिम्मेदारी जहाज पर लदान तक होती है, उसके बाद ढुलाई का जोखिम खरीदार का होता है। डिलीवरी वाले सौदे में ढुलाई की लागत और जोखिम भी सप्लायर वहन करता है।
भारतीय सरकारी रिफाइनरी कंपनियों की एलपीजी की वार्षिक मांग में 5% से 6% की वृद्धि देखी जा रही है। अनुमान है कि 2026 तक कुल आयात 220-230 लाख टन तक पहुंच जाएगा।
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