AI की मदद से हर लोन अकाउंट की मॉनिटरिंग कर रहे सरकारी बैंक, समय पर पैसा न लौटाने वालों को कॉल कर रहा एआइ
भारतीय बैंकिंग (Indian banking NPA) के इतिहास में पहली बार एनपीए 0.5% से नीचे जाने की ओर है। पीएनबी और इंडियन बैंक एआइ का उपयोग कर रहे हैं ताकि फंसा हुआ कर्जा फिर से न बढ़े। पीएनबी के एमडी अशोक चंद्र ने कहा कि उनका बैंक एनपीए को शून्य कर सकता है। इंडियन बैंक के एमडी बिनोद कुमार ने कहा कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने बैंकिंग सेक्टर में सुधार किया है।

जयप्रकाश रंजन, जागरण नई दिल्ली। भारतीय बैंकिंग के इतिहास में पहली बार फंसे हुए कर्ज (Indian banking NPA) का अनुपात (कुल परिसंपत्तियों के सापेक्ष वापस नहीं होने वाले कर्जे का स्तर) 0.5 प्रतिशत या इससे भी नीचे जाने की तरफ अग्रसर है। सरकारी क्षेत्र के जिन बैंकों ने सितंबर 2025 के तिमाही परिणाम जारी किए हैं उनमें से अधिकांश का शुद्ध एनपीए 0.5 प्रतिशत से नीचे है। लेकिन कुछ एजेंसियों का कहना है कि एनपीए की समस्या फिर लौट सकती है क्योंकि बैंक जमकर कर्ज बांट रहे हैं।
दैनिक जागरण ने देश के दो प्रमुख सरकारी बैंकों पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और इंडियन बैंक के शीर्ष प्रबंधन से इस बारे में बात की। यह दोनों बैंक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) का खास तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि फंसे कर्जे का दौर फिर से नहीं लौटे। पीएनबी के एमडी व सीईओ अशोक चंद्र का दावा है कि उनका बैंक जिस तिमाही में चाहे, अपने शुद्ध एनपीए को शून्य कर सकता है।
पीएनबी एमडी व सीईओ ने बताया कि सितंबर, 2025 में बैंक का शुद्ध एनपीए अनुपात अनुपात 0.41 प्रतिशत (4,282 करोड़ रुपये) रह गया है। यह पिछले पांच वर्षों से लगातार कोशिशों का नतीजा है। अशोक चंद्र बताते हैं कि आगे यह समस्या नहीं आएगी क्योंकि अब ऐसी व्यवस्था हो गई है कि नए स्लीपेज (कर्ज लेकर नहीं लौटना) की प्रक्रिया को शुरुआत में ही चिह्नित किया जा रहा है।
साथ ही रिकवरी को लेकर बैंक के स्तर पर मुस्तैदी पहले के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसके लिए एआइ का सहारा लिया जा रहा है। बैंक के जोखिम प्रबंधन विभाग के हर अधिकारी की अपनी जिम्मेदारी है जिसके साथ कोई समझौता नहीं होता। एआइ की मदद से हर लोन एकाउंट की जबरदस्त मॉनिटरिंग होती है। इसमें एक भी गड़बड़ी होने पर बैंक शाखा से लेकर शीर्ष अधिकारियों तक को अलर्ट कर दिया जाता है। अशोक चंद्र बताते हैं कि अगर हम चाहें तो किसी भी एक तिमाही के पूरे मुनाफे को समायोजित करके इस अनुपात को जीरो कर सकते हैं।
इंडियन बैंक के एमडी व सीईओ बिनोद कुमार का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर में एनपीए में उतार-चढ़ाव अर्थव्यवस्था की स्थिति के मुताबिक होता रहता है। लेकिन जहां तक एनपीए की समस्या के फिर से गंभीर होने की बात है तो उसकी संभावना कम है।
वजह यह है कि आरबीआइ और वित्त मंत्रालय ने साथ मिलकर बैंकिंग सेक्टर के उस ढांचे में काफी सुधार कर दिया है जिसकी वजह से एनपीए बढ़ता था और कोई समाधान नहीं मिल पाता था। बैंकों में कारपोरेट गवर्नेंस में काफी सुधार हो चुका है। नियमों को काफी सख्त किया जा चुका है। इंडियन बैंक का शुद्ध एनपीए सितंबर, 2025 में सिर्फ 0.16 प्रतिशत रहा है। बिनोद कुमार का कहना है कि एआइ भी इंडियन बैंक के एनपीए प्रबंधन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
ग्राहकों को काल करने की एआइ आधारित खास व्यवस्था बनाई गई है। यह उन ग्राहकों से अलग तरीके से बात करता है जो समय पर कर्ज नहीं लौटाते। मसलन, अगर ग्राहक ने समय देकर भी कर्ज का भुगतान नहीं किया है तो उक्त स्वचालित सिस्टम से काल किया जाता है और ग्राहक को इसके खामियाजे के बारे में बारे में चेतावनी दी जाती है।
नौ प्रतिशत से ज्यादा घटा सकल एनपीए
वर्ष 2017-18 में भारतीय बैंकों में कुल फंसा कर्ज यानी सकल एनपीए का स्तर बढ़कर 11.78 प्रतिशत हो गया था। एनपीए के इस स्तर को बहुत ही खराब माना जाता है। लेकिन विगत सात वर्षों में हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। आरबीआइ के ताजा आंकड़ें बताते हैं कि जून, 2025 को समाप्त तिमाही में सरकारी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (कुल परिसंपत्तियों के मुकाबले कुल एनपीए का अनुपात) घट कर 2.5 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए (फंसे कर्जे के लिए समायोजित की गई राशि को अलग निकालने बाद का अनुपात) महज 0.6 प्रतिशत हो चुका है। कई वैश्विक रिपोर्ट बताती हैं कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर में एनपीए का स्तर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के बैंकिंग सेक्टर के आसपास है।

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