'हम भी नहीं खरीदेंगे रूसी तेल', 4128% मुनाफे के बाद इंडियन ऑयल का बड़ा बयान; अंबानी के बाद IOC क्या बोली?
भारतीय तेल कंपनियों की रूसी तेल पर निर्भरता घट रही है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करने की बात कही है। रूसी तेल के आयात में कमी आई है और भारत अब अन्य देशों से तेल आयात बढ़ा रहा है। प्रतिबंधों और घटती छूट के कारण कंपनियां वैकल्पिक सप्लाई की ओर बढ़ रही हैं। यह कदम भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
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IOC ने सोमवार को साफ कहा कि वह सभी लागू अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करेगी।
नई दिल्ली| भारतीय तेल कंपनियों की रूसी तेल पर निर्भरता अब कम होती दिख रही है। ताजा अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों के बीच इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने सोमवार को साफ कहा कि वह सभी लागू अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करेगी। कंपनी के चेयरमैन अर्विंदर सिंह साहनी ने कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंधों का पालन करेंगे।' साहनी ने हालांकि यह बताने से इनकार किया कि फिलहाल IOC रूस से कितना तेल खरीद रही है।
रूसी तेल पर घट रही निर्भरता
अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच IOC के कुल कच्चे तेल आयात में 21% हिस्सा रूसी तेल का था। लेकिन अमेरिकी पाबंदियों के बाद स्थिति बदल रही है। IOC की सहायक कंपनी चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CPCL) ने इस महीने अपने रूसी तेल आयात को आधा कर दिया है। अमेरिका ने 22 अक्टूबर को रूस की तेल कंपनियों रॉसनेफ्ट (Rosneft) और लुकॉइल (Lukoil) पर प्रतिबंध लगाए, जिसके अगले दिन यूरोपीय संघ ने भी दोनों कंपनियों के साथ लेनदेन पर पूरी तरह रोक लगा दी।
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रिलायंस, नायरा एनर्जी का रुख
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात करती है, ने पहले ही कहा है कि वह पश्चिमी देशों के सभी प्रतिबंधों का पालन करेगी। कंपनी का कहना है कि उसकी 'विविध सोर्सिंग स्ट्रैटजी से रिफाइनिंग ऑपरेशन पर असर नहीं पड़ेगा।' दूसरी ओर, रॉसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी, जो पूरी तरह रूसी तेल पर निर्भर है, के पास अब सीमित विकल्प बचे हैं।
आयात में गिरावट, नया रुझान
केपलर (Kpler) के एनालिस्ट सुमित रितोलिया के मुताबिक, भारत का रूसी तेल आयात अब 1.6 से 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन के बीच रह सकता है, जबकि Rosneft और Lukoil से आने वाली सप्लाई और घटेगी। भारतीय रिफाइनर अब कोलंबिया, कनाडा और मिडल ईस्ट से तेल आयात बढ़ा रहे हैं।
क्यों अहम है यह बदलाव?
भारत ने 2022 से रूसी तेल पर छूट का फायदा उठाया था, लेकिन अब प्रतिबंधों और घटती छूट के कारण कंपनियां वैकल्पिक सप्लाई की ओर बढ़ रही हैं। ऊर्जा विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत के लिए कूटनीतिक और कारोबारी संतुलन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।

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