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    तरक्की की राह पर बैंकिंग सेक्टर, 10 साल में 231 लाख करोड़ के लेनदेन, सरकार ने जारी किए अहम आंकड़े

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 05:36 PM (IST)

    2015 से 2025 में भारत में बैंकिंग गतिविधि में उल्लेखनीय मजबूती आई है, और इस अवधि में डॉमेस्टिक डिपॉजिट और लोन लगभग 3 गुना हो गए हैं। खास बात है कि सरक ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। भारतीय बैंकिंग सिस्टम (Indian Banking System) तेजी से आगे बढ़ रहा है और आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं। सरकारी एजेंसी, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले ढाई दशकों में, भारत की बैंकिंग प्रणाली में उल्लेखनीय परिवर्तन आया है। बैंकों के डॉमेस्टिक डिपॉजिट और लोन 2015 से 2025 के बीच लगभग 3 गुना हो गए और 88.35 लाख करोड़ से बढ़कर 231.90 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं। डिजिटल और इनोवेशन के इस दौर ने भारत में ट्रांजेक्शन, बचत और निवेश के तरीकों को नया रूप दिया है।

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    इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मजबूत आर्थिक विस्तार, बढ़ती खर्च करने योग्य आय, बढ़ते उपभोक्तावाद और आसान लोन उपलब्धता के कारण भारतीय बैंकिंग उद्योग में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। यूपीआई के प्रभुत्व वाले डिजिटल भुगतान माध्यमों में पिछले कुछ वर्षों में बेहतरीन ग्रोथ देखने को मिली है। आरबीआई के अनुसार, भारत का बैंकिंग सेक्टर पर्याप्त रूप से पूंजीकृत और सुव्यवस्थित है। विशेष रूप से, 2023-24 में बैंकों की प्रॉफेटिबिलिटी में लगातार 6 वर्ष सुधार हुआ है।

    बैंकिंग सेक्टर की बड़ी उपलब्धियां

    • भारत में बैंकिंग गतिविधि में उल्लेखनीय मजबूती आई है, डॉमेस्टिक डिपॉजिट और लोन 2015 और 2025 के बीच लगभग 3 गुना हो गए हैं। डिपॉजिट 88.35 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 231.90 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि लोन 66.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 181.34 लाख करोड़ रुपये हो गया।
    • ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स 2018 में 11.46% के उच्चतम स्तर से गिरकर 2025 में 2.31% हो गई है।
    • सरकारी बैंकों की प्रॉफेटिबिलिटी में मजबूती आई है, वित्त वर्ष 2022-23 में उनका शुद्ध लाभ 1.05 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 1.78 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
    • वहीं, शेड्यूलड कमर्शियल बैंकों का प्रदर्शन भी मजबूत बना हुआ है, वित्त वर्ष 2022-23 में उनका शुद्ध लाभ 2.63 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.01 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

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    NBFCs का भी मजबूत प्रदर्शन

    नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (NBFCs) द्वारा किए गए मजबूत लोन विस्तार के साथ-साथ उनकी बैलेंस शीट में और मजबूती, लोन क्वालिटी और प्रॉफेटिबिलिटी में सुधार और संतोषजनक पूंजी भंडार भी देखा गया। दरअसल, एनबीएफसी, बैंकों के समान सेवाएं जैसे- लोन और इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स ऑफर करती हैं, लेकिन इनके पास पूर्ण बैंकिंग लाइसेंस नहीं होता है।

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