महंगा हो सकता है पेट्रोल-डीजल? रूस से तेल खरीद पर भारत का ब्रेक, मिडिल ईस्ट और अमेरिका से खरीदी का पड़ेगा असर
Oil import diversification: अमेरिका ने रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, जिससे भारत के लिए तेल आयात प्रभावित हो सकता है। भारत अपनी 30% तेल जरूरत रूस से पूरी करता है। अब, भारत मिडिल ईस्ट और अमेरिका से तेल खरीद बढ़ाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे भारत का तेल आयात बिल 2% तक बढ़ सकता है और पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
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भारतीय कंपनियां अब नए सप्लायर तलाश कर सकती हैं।
नई दिल्ली| अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट (Rosneft) और लुकॉइल (Lukoil) पर नए प्रतिबंध लगाकर वैश्विक ऊर्जा बाजार में हलचल मचा दी है। इन प्रतिबंधों का सीधा असर भारत पर भी पड़ने वाला है, क्योंकि भारत अपनी करीब 30% कच्चे तेल की जरूरत रूस से पूरी करता है। अब भारतीय रिफाइनर कंपनियां रूस से घटते आयात की भरपाई के लिए मिडिल ईस्ट, लैटिन अमेरिका और अमेरिका (India oil imports Russia shift Middle East US) से तेल खरीद बढ़ाने की तैयारी में हैं।
22 अक्टूबर को लगाए गए इन अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत कोई भी अमेरिकी कंपनी या व्यक्ति अब Rosneft या Lukoil से कारोबार नहीं कर सकेगा। इतना ही नहीं, गैर-अमेरिकी कंपनियों पर भी सख्त कार्रवाई हो सकती है अगर वे इन प्रतिबंधित कंपनियों या उनकी सहयोगी इकाइयों से डील करती पाई गईं। मौजूदा सभी लेनदेन को 21 नवंबर तक खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रतिबंधों पर क्या बोले एक्सपर्ट?
विश्लेषक सुमित रितोलिया के मुताबिक, "रूस से आने वाला कच्चा तेल फिलहाल 1.6 से 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन के स्तर पर रहेगा, लेकिन नवंबर के बाद इसमें गिरावट दिखेगी। क्योंकि कंपनियां अमेरिकी सैंक्शन से बचने के लिए सीधा सौदा कम करेंगी।"
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नए सप्लायर तलाशेगी रिलायंस?
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), जो Rosneft से 25 साल के करार के तहत रोजाना 5 लाख बैरल तक तेल खरीदती है, अब नए सप्लायर तलाश सकती है। वहीं, नायरा एनर्जी, जो पहले से ही रूस पर निर्भर है, के पास फिलहाल बहुत कम विकल्प हैं। हालांकि रितोलिया का कहना है कि कई रिफाइनर अब थर्ड पार्टी के जरिए रूसी तेल खरीदना जारी रखेंगे, लेकिन सतर्कता बढ़ जाएगी।
'2% तक बढ़ सकता है आयात बिल'
ICRA लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ का कहना है कि, रूस से कम तेल आने का मतलब होगा कि भारत का तेल आयात बिल करीब 2% तक बढ़ सकता है। मिडिल ईस्ट या अमेरिका से तेल लेना संभव है, लेकिन ये बाजार आधारित कीमतों पर होगा।
दुनिया का 7वां बड़ा निर्यातक है रूस
रूस दुनिया का सातवां सबसे बड़ा तेल निर्यातक है और उसके निर्यात में अब बड़ी गिरावट की आशंका है। भारत जैसे देशों के लिए चुनौती होगी कि वे सस्ता तेल खोकर भी अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करें। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिफाइनर तकनीकी रूप से इतने सक्षम हैं कि वे विभिन्न ग्रेड का तेल प्रोसेस कर सकते हैं, इसलिए सप्लाई में बड़ी दिक्कत नहीं होगी। असली असर कीमतों और आयात बिल पर पड़ेगा।
रूस पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत को अब तेल की आपूर्ति के लिए ज्यादा विविध और महंगे विकल्पों की ओर जाना पड़ेगा, जिसका असर आम लोगों की जेब (impact on India’s crude sourcing and economy) तक पहुंच सकता है। यानी साफ शब्दों में कहें तो आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल महंगा भी हो सकता है।

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