क्या है मेड इन इंडिया लेबल योजना? जिससे भारतीय वस्तुओं को मिलेगी नई पहचान
ब्रांड इंडिया को नई पहचान देने के लिए उद्योग विभाग जल्द ही मेड इन इंडिया लेबल योजना शुरू करेगा। इस योजना के तहत निर्माता अपने उत्पादों पर क्यूआर कोड और लोगो का उपयोग कर सकेंगे जिससे ग्राहक उत्पाद की निर्माण स्थल से लेकर सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। सरकार ने इस योजना के लिए 995 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्तावित किया है।

नई दिल्ली। मैन्यूफैक्चरिंग प्रोत्साहन के साथ ब्रांड इंडिया की नई पहचान के लिए उद्योग विभाग जल्द मेड इन इंडिया लेबल योजना लांच करने जा रहा है। मेड इन इंडिया लेबल योजना के तहत निर्माता अपने उत्पाद पर क्यूआर कोड और एक लोगो इस्तेमाल कर सकेंगे जिसके माध्यम से देश-विदेश का कोई भी उपभोक्ता उस उत्पाद के निर्माण स्थल से लेकर, उसकी वैधता और निर्माण में इस्तेमाल आइटम की जानकारी प्राप्त कर सकेगा।
क्यू आर कोड से एक अलग पहचान बनेगी
इस क्यू आर कोड और लोगो से भारतीय वस्तुओं की अपनी एक अलग पहचान बनेगी। उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की तरफ से इस योजना को तैयार किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य फोकस मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े आइटम की लेबलिंग करना है। इसमें खेती, कृषि, मत्स्य पालन, जलीय कृषि, बागवानी से जुड़े आइटम भी इस योजना में शामिल किए जाएंगे।
इस योजना पर अमल के लिए टीम होगी और योजना से जुड़े प्रौद्योगिकी लागत, समीक्षा व निवारण तंत्र, कानूनी परामर्श विपणन, रैंडम क्वालिटी मूल्यांकन जैसे काम के सरकार ने 995 करोड़ रुपए के आवंटन का प्रस्ताव रखा है। यह आवंटन तीन साल के लिए होगा।
पायलट रूप में होगी शुरुआत
पायलट रूप में इस योजना की शुरुआत की जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के लिए सेक्टर का चुनाव किया जाएगा। मैन्यूफैक्चरिंग में वैल्यू एडिशन की एक न्यूनतम सीमा निर्धारित की जाएगी जिसके आधार पर उस वस्तु को मेड इन इंडिया का लेबल दिया जाएगा। 50 प्रतिशत तक वैल्यू एडिशन को मेड इन इंडिया का लेबल दिया जाएगा, हालांकि उद्योग परामर्श के आधार पर इसमें अपवाद भी देखा जा सकता है।
मेड इन इंडिया पोर्टल पर आवेदन करना होगा
प्रमाण पत्र लेने के इच्छुक उद्यमियों को मेड इन इंडिया पोर्टल पर इसके लिए आवेदन करना होगा और आवश्यक दस्तावेजों और उत्पाद का विवरण देना होगा। मेड इन इंडिया लेबल के उपयोग की अनुमति प्रदान करने से पहले आवेदन का सत्यापन और अनुमोदन किया जाएगा।
प्रत्येक उत्पाद के लिए संबंधित नियामक निकायों द्वारा निर्धारित विशिष्ट गुणवत्ता और मैन्यूफैक्चरिंग मानदंड होंगे और इन्हें पूरा करने पर मेड इन इंडिया लेबल के इस्तेमाल की इजाजत मिलेगी।
सोर्स- PIB
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