नए लेबर लॉ से महिलाओं को नौकरी में क्या-क्या फायदे मिलेंगे, पुरुषों से कितनी अधिक होंगी सुविधाएं?
भारत सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार नए श्रम कानूनों को लागू किया है, जिससे 29 पुराने कानून बदले जाएंगे। इन कानूनों में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान हैं, जैसे रात्रि पाली में काम करने की अनुमति और समान वेतन का अधिकार। सामाजिक सुरक्षा का विस्तार किया गया है, जिसमें सास-ससुर को भी शामिल किया गया है।

समान काम के लिए समान वेतन अब कानूनी गारंटी है। लिंग के आधार पर वेतन भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
नई दिल्ली। भारत सरकार ने 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड (Labour Codes) को पूरे देश में लागू कर दिया है। ये 29 पुराने पुराने कानून की जगह लेंगे। इनमें से ज्यादातर 1930 से 1950 के दशक में बने थे। सरकार ने इसे देश के श्रम ढांचे में ऐतिहासिक सुधार बताया है। इनमें महिलाओं के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को मजबूत करने वाले कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। वह कौन से बदलाव हैं आइए जानते हैं।
नाइट शिफ्ट में काम
अब सभी क्षेत्रों में महिलाएं रात की पाली (नाइट शिफ्ट) में काम कर सकेंगी, भारी मशीनरी वाले काम और यहां तक कि खदानों में भी यह संभव हो पाएगा। इसके लिए उनकी लिखित सहमति जरूरी होगी और नियोक्ता को सुरक्षित परिवहन, सीसीटीवी निगरानी और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
महिलाओं के लिए क्या हुआ बदलाव
समान काम के लिए समान वेतन अब कानूनी गारंटी है। लिंग के आधार पर वेतन भेदभाव पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
भर्ती, वेतन, पदोन्नति या किसी भी स्तर पर लिंग भेदभाव गैर-कानूनी।
शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का अनिवार्य प्रतिनिधित्व।
सामाजिक सुरक्षा संहिता में अब सास-ससुर को भी “परिवार” की परिभाषा में शामिल किया गया है।
गिग वर्कर्स, प्लेटफॉर्म वर्कर्स और असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को भी अब पीएफ, ईएसआईसी, बीमा आदि की सुविधा मिलेगी।
हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य।
सुरक्षा और कल्याण के नए प्रावधान
40 वर्ष से अधिक उम्र के सभी कर्मचारियों को सालाना फ्री हेल्थ चेकअप।
ओवरटाइम पर दोगुना वेतन।
500 से अधिक कर्मचारियों वाली इकाइयों में अनिवार्य सुरक्षा समिति।
खतरनाक उद्योगों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य बोर्ड।
नियत कार्य घंटे और सवेतन अवकाश के सख्त प्रावधान।
क्या है पुरुषों से अलग
रात की पाली में सुरक्षित परिवहन, CCTV, सिक्योरिटी – यह सिर्फ महिलाओं के लिए अनिवार्य होगा। इसके सास-ससुर को सामाजिक सुरक्षा में शामिल करना शामिल होगा। समान वेतन, भेदभाव पर रोक, PF-ESI का विस्तार, नियुक्ति पत्र आदि शामिल है। चूंकि वेतन में अंतर, असंगठित क्षेत्र में हिस्सेदारी और असुरक्षा पहले महिलाओं की ज्यादा थी, इसलिए वास्तविक लाभ महिलाओं को ही ज्यादा होगा। कानून ज्यादातर लिंग-तटस्थ हैं, लेकिन कुछ प्रावधान स्पष्ट रूप से महिलाओं की पिछली असमानताओं को दूर करने के लिए बनाए गए हैं। इसलिए महिलाएँ पुरुषों की तुलना में कुछ खास अतिरिक्त सुरक्षा और अवसर प्राप्त कर रही हैं, जबकि बाकी सुविधाएं दोनों को समान रूप से मिल रही हैं।

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