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    विपक्ष के विरोध के बीच राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक हुआ पारित, जानें इसमें क्या-क्या शामिल

    केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के विरोध के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश किया जो ध्वनिमत से पारित हो गया। लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद यह निर्णय लिया गया। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने विधेयक पढ़ा और मतदान कराया। जानें पूरी जानकारी

    By Ashish Kushwaha Edited By: Ashish Kushwaha Updated: Thu, 21 Aug 2025 02:44 PM (IST)
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    राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश किया।

    नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्षी सांसदों की नारेबाजी के बीच राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पेश किया। यह विधेयक संसद के उच्च सदन में पारित हो गया है। संसद में हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद यह विधेयक पारित हुआ।

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    उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन में ऑनलाइन गेमिंग विधेयक पढ़ा और इसे ध्वनिमत से पारित कराया तथा इसके पक्ष में खड़े सदस्यों से "हां" और विरोध में खड़े सदस्यों से "नहीं" कहने को कहा।

    यह पढ़ें: भारत में ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध, पैसे से जुड़े गेमिंग एप नहीं कर पाएंगे डाउनलोड

    यह विधेयक उन ऑनलाइन गेम्स के विज्ञापन या प्रचार पर प्रतिबंध लगाता है जिनमें मौद्रिक लेनदेन शामिल हैं। इसमें बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं को ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़े किसी भी लेनदेन की सुविधा देने से रोकने का प्रस्ताव है। 

    इन-ऐप खरीदारी, वर्चुअल करेंसी और रिवार्ड सिस्टम के बढ़ते को इन कानून से बढ़ावा नहीं मिल सकेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि सरकार अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा, "ऐसे ऐप्स के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है। यह विधेयक काफी विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। हमें अपने युवाओं की सुरक्षा करनी होगी।"

    बच्चों और युवाओं में नशे की लत, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, वित्तीय नुकसान, सीमा पार और अंतर-राज्यीय संचालन, जिससे धन शोधन और आतंकवाद के फाइनेंस के कुछ मामलों में आसानी होने जैसी चिंताएं विधेयक के केंद्र बिंदु हैं।

    उन्होंने कहा कि पारिवारिक हिंसा, दिवालियापन और यहां तक ​​कि आत्महत्याओं सहित व्यापक सामाजिक संकट तथा इस मामले पर संसद सदस्यों के मजबूत प्रतिनिधित्व ने केंद्र को यह विधेयक लाने के लिए प्रेरित किया।

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित इससे हर साल इन खेलों में संलिप्त प्लेयर्स को अनुमानित 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान और इससे जुड़े सामाजिक संकट के कारण यह कानून लाया गया। लगभग 45 करोड़ लोग ऐसे प्लेटफॉर्म से प्रभावित होंगे।

    विधेयक के तहत प्रस्तावित दंडों में ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाएँ प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए तीन साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये का जुर्माना शामिल है। ऐसे प्लेटफॉर्म का विज्ञापन या समर्थन करने वालों को दो साल तक की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

    इसी प्रकार, ऑनलाइन गेमिंग के लिए लेनदेन या फंड ट्रांसफर की सुविधा देने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल की कैद और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।