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    ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और बढ़ी, 5 दिसंबर को कितनी राहत देगा RBI, एक्सपर्ट्स ने जताया ये अनुमान

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 07:20 PM (IST)

    Q2 जीडीपी डेटा के आने के बाद आर्थिक मामलों के जानकार विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अब समूचे वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर के 8 फीसद से ज्यादा रहने के पूरे आसार है। इसके साथ ही अगले हफ्ते (3-5 दिसंबर, 2025) के दौरान मौद्रिक नीति समीक्षा समिति (एमपीसी) की बैठक में भी रेपो रेट में कम से कम 25 आधार अंकों (0.25 फीसद) की एक और कटौती संभावित है।

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    नई दिल्ली। पहली तिमाही के बाद दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था (Q2 GDP Data) के आंकड़ों ने एक बार फिर इकोनॉमिस्ट व रिसर्च एजेंसियों को हैरान कर दिया है। अप्रैल से जून में 7.8 फीसद की विकास दर के बाद क्रिसिल, इक्रा जैसी एजेंसियों ने जुलाई से सितंबर, 2025 की तिमाही में विकास दर के अधिकतम 7.5 फीसद रहने की बात कही थी लेकिन सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी में 8.2 फीसद की वृद्धि दर हासिल हुई है।  अगले हफ्ते (3-5 दिसंबर, 2025) के दौरान मौद्रिक नीति समीक्षा समिति (RBI MPC Meet) की बैठक में भी रेपो रेट में कम से कम 25 आधार अंकों (0.25 फीसद) की एक और कटौती संभावित है जो अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) के दौरान विकास दर की रफ्तार को तेजी देगी।

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    आनंद राठी समूह के चीफ अर्थविद व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुजन हाजरा का कहना है कि, “महंगाई की दर के लगातार चार फीसद से कम करने के बाद ना सिर्फ अगली एमपीसी की बैठक में 25 आधार अंकों की रेपो रेट में कमी की उम्मीद है बल्कि इससे आगे भी आरबीआइ का रुख केंद्र सरकार की तरफ लिये गये नीतिगत फैसलों को मजबूत देने की होगी यानी बाजार में तरलता प्रवाह ( ब्याज दरों को नीचे रख कर फंड की उपलब्धता बनाये रखने की प्रक्रिया) को पर्याप्त स्तर पर बनाये रखा जाएगा।

    एजेंसियों ने जताई ये उम्मीद

    अधिकांश एजेंसियों ने भारत की विकास दर के सात फीसद रहने की उम्मीद जताई है लेकिन यह भारतीय इकोनॉमी की मौजूदा क्षमता को देखते हुए कम है।'' कई दूसरे अर्थविदों ने वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिका की तरफ से भारतीय आयात पर दुनिया में सबसे ज्यादा शुल्क लगाये जाने के बावजूद जीडीपी वृद्धि दर के आठ फीसद पार कर जाने को देश की इकोनॉमी में लंबे समय तक तेजी बने रहने के संकेत के तौर पर देखा है। मैन्यूफैक्च¨रग सेक्टर में नौ फीसद की ग्रोथ रेट और सेवा सेक्टर की विकास दर के दहाई अंक में पहुंचने को इकोनमी के हर सेक्टर में तेजी के संकेत माने जा रहे हैं।

    ऐसे हालात में रेपो रेट में एक और कटौती उद्योग जगत को ज्यादा कर्ज लेकर विस्तार करने को प्रेरित करेगा। यह भी संभव है कि 5 दिसंबर को आरबीआइ गवर्नर एक बार फिर सालाना आर्थिक विकास दर के अनुमान को संशोधित करें। वर्ष की शुरुआत में वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी विकास दर के 6.5 फीसद रहने की बात कही गई थी। पहली तिमाही के बाद इसे बढ़ा कर 6.8 फीसद कर दिया गया है।

    इस गणना के लिए दूसरी तिमाही की विकास दर के 7 फीसद रहनेको आधार बनाया गया था। अब जबकि यह 8.2 फीसद रही है तो पूरे वर्ष के लिए आरबीआई को फिर से नया लक्ष्य रखना होगा। रे¨टग एजेंसी इक्रा की प्रमुक अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि, “महंगाई की दर कम होने के बावजूद विकास दर के इस तरह से बढ़ने से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था के भीतर काफी शक्ति है। हमें वृद्धि दर को लेकर अपने सालाना अनुमान (7 फीसद) में संशोधन करना होगा।''

    ये भी पढ़ें- Q2 GDP Data: रिकॉर्ड तोड़ 8.2% जीडीपी ग्रोथ, सारे अनुमानों को छोड़ा पीछे; PM मोदी बोले- ये रिफॉर्म्स का नतीजा

    ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राहुल सिंह ने कहा कि जीडीपी में 8.2 % विकास से निवेश, उद्योग, निर्माण व सेवा-क्षेत्र सहित अर्थव्यवस्था में गति आएगी. जिससे खासतौर पर युवा व अर्द्ध-कुशल श्रमिकों को नए रोजगार मिलने की संभावना बढ़ सकती है। यह वृद्धि रोजगार सृजन के मौको को बढ़ाने में मदद करने वाला है। उच्च जीडीपी वृद्धि का सीधा असर रोजगार पर पड़ता है। तेज वृद्धि से मैन्युफैक्चरिंग, निर्माण , रियल एस्टेट, रिटेल, लॉजिस्टिक्स आदि में नई भर्तियाँ बढ़ने की संभावना रहती है। जीडीपी में ऐसी वृद्धि स्टार्टअप , मध्यम लघु यद्योग , इंफ्रास्ट्रक्चर, हरित ऊर्जा आदि में निवेश को आकर्षित करने में मददगार साबित होगा।

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