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    भारत में बढ़ेगा विदेशी बैंकों का कारोबार, वित्त मंत्रालय की हुई बड़ी बैठक; RBI ने भी दी ये मंजूरी!

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 07:51 PM (IST)

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के विदेशी बैंकों के संचालन संबंधी नियमों में ढील देने के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय की अंतर विभागीय समिति (IDC) ने विचार किया। बैठक में विदेशी बैंकों की शाखाओं की स्थापना और भारतीय बैंकों के विदेश विस्तार पर चर्चा हुई। आरबीआई के ड्राफ्ट में पारस्परिकता के सिद्धांत का उल्लेख है, जिसके अनुसार भारतीय बैंकों को विदेशों में विस्तार का अवसर मिलने पर ही विदेशी बैंकों को भारत में समान अवसर मिलेंगे।

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    भारत में बढ़ेगा विदेशी बैंकों का कारोबार, वित्त मंत्रालय की हुई बड़ी बैठक; RBI ने भी दे दी है ये मंजूरी!

    नई दिल्ली। RBI ने पिछले महीने में विदेशी बैंकों के लिए भारत में संचालन की शुरुआत करने या विस्तार करने की मौजूदा नीतियों में नरमी लाने को लेकर नये नियमों का ड्राफ्ट लाया था। इस प्रक्रिया का आगे बढ़ाते हुए गुरुवार (20 नवंबर, 2025) को वित्त मंत्रालय के तत्वाधान में अंतर विभागीय समिति (आइडीसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है जिसमें विदेशी बैंकों के भारत में संचालय और भारतीय बैंकों के विदेशों में विस्तार करने के संदर्भ में आरबीआइ की तरफ से आये प्रस्ताव की समीक्षा की गई है। माना जा रहा है कि आइडीसी ने आरबीआइ के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है जिसको आने वाले समय में सार्वजनिक किया जाएगा।

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    बैठक की अध्यक्षता वित्तीय मामलों के विभाग के सचिव एम. नागराजू ने की और इसमें विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और आरबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से दी गई सूचना में बताया है कि आइडीसी की बैठक में आरबीआइ के प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें विदेशी बैंकों के भारत में ब्रांच, प्रतिनिधि कार्यालय और सहायक कंपनियों की स्थापना शामिल है।

    भारतीय बैंकों के विदेशों में विस्तार को लेकर भी हुई चर्चा

    इसके साथ ही, भारतीय बैंकों के विदेशों में विस्तार के प्रस्तावों की भी समीक्षा की गई। यह बैठक वित्तीय समावेशन और वैश्विक बैंकिंग सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अलावा विदेशी बैंकों द्वारा अपनी मौजूदा ब्रांचों को भारत के अंदर स्थानांतरित (रिलोकेशन) करने के अनुरोधों की भी जांच की गई।

    समिति ने भारतीय बैंकों के विदेशों में ब्रांच, प्रतिनिधि कार्यालय या सहायक इकाइयों के माध्यम से विस्तार के प्रस्तावों की समीक्षा की जो भारत की वैश्विक बैंकिंग उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास है। आइडीसी वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के अधीन कार्य करती है और यह विदेशी और घरेलू दोनों बैंकों के ऐसे प्रस्तावों की नोडल विभाग है।

    चूंकि विदेशी बैंकों का संचालन राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा होता है इसलिए इस बारे में गृह मंत्रालय और विदेश नीति के साथ व्यापारिक हितों का समग्र मूल्यांकन किया जाता है। कुछ लोगों का यह मानना है कि अक्टूबर, 2025 में आरबीआइ की तरफ से जारी ड्राफ्ट नीति कारोबारी समझौते को लेकर भारत और अमेरिका के बीच चल रही वार्ता से संबंधित है।

    अमेरिका चाहता है भारत का बाजार

    अमेरिकी सरकार अपने वित्तीय व बैंकिंग संस्थानों को भारतीय बाजार में ज्यादा तेजी से विस्तार करने के पक्ष में है। जबकि इस बारे में आरबीआइ और भारत सरकार फूंक-फूंक कर कदम उठाते रहे हैं। भारत और अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालयों के बीच कारोबारी समझौते को लेकर जो बातचीत चल रही है उसमें एक दूसरे के वित्तीय व बैंकिंग संस्थानों को ज्यादा सुविधाजनक माहौल देने का विषय भी शामिल है।

    आरबीआइ के हालिया ड्राफ्ट में पारस्परिकता के सिद्धांत का हवाला दिया गया है। यानी जिन देशों में भारतीय बैंकों को विस्तार का माहौल मिलेगा उनके बैंकों को भी भारत में वैसा ही माहौल दिया जाएगा। उक्त ड्राफ्ट नीति में विदेशी बैंकों के विस्तार को सरल बनाने को लेकर भी कई सुझाव हैं जैसे वित्तीय पात्रता मानदंडों को हटाना और अनुमति प्रक्रिया को तेज करना।

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