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    Saving Account में इतने रुपये से ज्यादा का लेनदेन न करें, एक बार किया तो आ जाएंगे आयकर विभाग के नजर में

    Updated: Sun, 22 Dec 2024 07:00 PM (IST)

    अपनी सेविंग को बचाने के लिए हम सेविं अकाउंट की मदद करते हैं। सेविंग अकाउंट को लेकर भी कई नियम हैं। इन नियमों के बारे में कई लोग नहीं जानते हैं। अगर आप सेविंग अकाउंट से एक लिमिट से ज्यादा लेनदेन करते हैं तो आपके पास इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है। हम आपको इस आर्टिकल में इन नियमों के बारे में बताएंगे।

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    सेविंग अकाउंट से लाखों के ट्रांजैक्शन की देनी होती है जानकारी

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सेविंग अकाउंट में हम अपनी जमा-पूंजी रखत हैं। लेकिन, इसमें भी एक सीमा होती है। अगर इस सीमा से ज्यादा पैसा हमारे अकाउंट में होती है तो हम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नजर में आ सकते हैं। इस बात से कई लोग अभी तक अनजान हैं। हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि सेविंग अकाउंट को लेकर आयकर विभाग का क्या नियम हैं।

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    इससे ज्यादा लेनदेन पर देनी होगी जानकारी

    फाइनेंशियल एक्सपर्ट के अनुसार एक फाइनेंशियल ईयर में सेविंग अकाउंट में कुल जमा राशि 10 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर वह इस सीमा से ज्यादा होती है तो फिर इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी पड़ेगी। वहीं, आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के अनुसार खाताधारक एक दिन में 2 लाख रुपये का लेनदेन कर सकता है। उससे ज्यादा के लेनदेन करने पर उसे बैंक को कारण बताना पड़ेगा।

    बैंक भी देती हैं ये जानकारी

    नियमों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक दिन में 50,000 रुपये या उससे ज्यादा राशि जमा करते हैं तो उसे इसकी जानकारी बैंक को देनी पड़ती है। इसके अलावा खाताधारक को अपने पैन की डिटेल्स भी देनी होती है। अगर खाताधारक के पास पैन नहीं होता है तो उसे फॉर्म 60 या 61 सबमिट करना होता है। वहीं, 10 लाख रुपये से ज्यादा के ट्रांजैक्शन को उच्च-मूल्य वाला लेनदेन माना जाता है। इस तरह के लेनदेन की जानकारी बैंक आयकर विभाग को देती है।

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    नोटिस आए तो क्या करें?

    कई बार हम किसी वजह से इतनी बड़ी लेनदेन कर लेते हैं और आयकर विभाग को इसकी जानकारी नहीं देते हैं। ऐसे में हमारे पास विभाग द्वारा नोटिस आ जाता है। अब सवाल आता है कि इस स्थिति में हमें क्या करना चाहिए? अगर आपके पास इस तरह का कोई नोटिस आता है तो आपको इसका जवाब देना चाहिए। नोटिस के जवाब के साथ आपको उससे जुड़े डॉक्यूमेंट्स की भी जानकारी देनी चाहिए। इन डॉक्यूमेंट्स में स्टेटमेंट, निवेश रिकॉर्ड, या एसेट आदि शामिल होते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार अगर आपको नोटिस का जवाब देने या डॉक्यूमेंट को लेकर कोई परेशानी होती है तो आप वित्तीय सलाहकार से परामर्श कर सकते हैं।

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