आईपीओ से संबंधित सुधार प्रस्ताव को मंजूरी देगा सेबी, शामिल होंगे कई अहम और कड़े नियम
बाजार नियामक संस्था प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) 28 दिसंबर को होने वाली अपनी अपनी बोर्ड मीटिंग में प्राथमिक बाजार(आइपीओ) सुधार के उद्देश्य से प्रस्तावों के एक सेट को मंजूरी देने के लिए तैयार है। इन सुधारों के तहत कई अहम और कड़े नियम शामिल किये जाएंगे।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सूत्रों के मुताबिक बाजार नियामक संस्था प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) 28 दिसंबर को होने वाली अपनी अपनी बोर्ड मीटिंग में प्राथमिक बाजार(आइपीओ) सुधार के उद्देश्य से प्रस्तावों के एक सेट को मंजूरी देने के लिए तैयार है। इन सुधारों में इनमें नए जमाने की प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा अज्ञात अधिग्रहण के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) में जुटाए गए धन के उपयोग पर प्रतिबंध, आईपीओ में एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन अवधि में वृद्धि और आईपीओ आय की निगरानी जैसे सख्त नियम भी शामिल हैं। सेबी का मानना है कि अज्ञात अधिग्रहण के लिए धन जुटाने से आईपीओ के उद्देश्यों में अस्पष्टता आती है। यदि फ्रेश आइपीओ का महत्वपूर्ण हिस्सा ऐसे उद्देश्यों के लिए निर्धारित किया जाता है तो ये अनिश्चितताएं और बढ़ जाती हैं।
सेबी ने नवंबर में इन विषयों पर परामर्श पत्र जारी कर जनता से जवाब मांगा था। सेबी के पास दाखिल किए गए अधिकांश प्रस्ताव दस्तावेजों में संभावित लक्ष्यों का नाम लिए बिना अधिग्रहण योजनाओं का हवाला दिया गया है। कॉरपोरेट वकीलों ने कहा कि इस कदम से कंपनियों के अपने फंड का उपयोग करने के लचीलेपन पर अंकुश लग सकता है। सेबी ने अकार्बनिक विकास पहल और सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों (जीसीपी) में फ्रेश इश्यु की 35 फीसद तक की संयुक्त सीमा का प्रस्ताव दिया था, जब प्रस्ताव के उद्देश्यों में इच्छित अधिग्रहण लक्ष्य की पहचान नहीं की गई थी। यह सीमा तब लागू नहीं होगी जब ऑफर दस्तावेज में विशिष्ट अधिग्रहण योजनाओं को सूचीबद्ध किया गया हो।
जोमैटो, नायका और पेटिएम उन स्टार्टअप्स में से हैं, जो साल 2021 में भारतीय शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हुए हैं, और अधिक आइपीओ लॉन्च करने के लिए नियामक की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 में अब तक 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू साइज वाले 23 आईपीओ में से पांच गैर-पारंपरिक बिजनेस मॉडल वाली कंपनियों के थे। इसके अलावा नियामक का बोर्ड आईपीओ में एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन को मौजूदा 30 दिनों से बढ़ाकर 90 दिन करने पर भी चर्चा करेगा।
सेबी जीसीपी के तहत इश्यू आय के उपयोग की निगरानी पर नियमों में बदलाव पर भी चर्चा कर सकता है। नियामक ने प्रस्ताव दिया था कि कंपनियों को तिमाही निगरानी एजेंसी की रिपोर्ट में जीसीपी राशि के उपयोग का खुलासा करना पड़ सकता है।
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