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    सोने पर सुहागा साबित हुई सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम, 2017-18 सीरीज III में मिला 338% रिटर्न, ब्याज अलग

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 11:43 AM (IST)

    आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2017-18 सीरीज़-III के लिए फाइनल रेडेम्पशन प्राइस का ऐलान कर दिया है। ये बॉन्ड मूल रूप से 16 अक्टूबर, 2017 को 2,866 रुपये प्रति ग्राम की दर से जारी किए गए थे। ऐसे में निवेशकों को प्रति ग्राम लगभग 9,701 रुपये का लाभ हुआ।

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    नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2017-18 सीरीज़-III के लिए फाइनल रेडेम्पशन प्राइस का ऐलान कर दिया है, जो 16 अक्टूबर, 2025 को मैच्योर हो गया है। RBI के आधिकारिक बयान के अनुसार, निवेशकों को रेडेम्पशन डेट पर प्रत्येक ग्राम सोने के लिए 12,567 रुपये मिलेंगे। इस प्राइस का कैल्कुलेशन इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के आंकड़ों के आधार पर 13, 14 और 15 अक्टूबर, 2025 को 999% शुद्धता वाले सोने के एवरेज क्लोज प्राइस से तय किया गया है।

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    ये बॉन्ड मूल रूप से 16 अक्टूबर, 2017 को 2,866 रुपये प्रति ग्राम की दर से जारी किए गए थे। इसका मतलब है कि निवेशकों को प्रति ग्राम लगभग 9,701 रुपये का लाभ हुआ। ऐसे में 8 सालों में 338% रिटर्न मिला। खास बात है कि इसमें 2.5% वार्षिक ब्याज शामिल नहीं है जो निवेशकों को हर साल मिलता रहा है। इस लिहाज से यह गोल्ड स्कीम निवेशकों के लिए सोने पर सुहागा साबित हुई है।

    2015 में शुरू हुई SGB स्कीम

    भारत सरकार ने नवंबर 2015 में सोने में निवेश को आकर्षित करने के विकल्प के तौर पर एसजीबी योजना शुरू की थी। ये बॉन्ड आरबीआई द्वारा केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए थे। इस स्कीम पर निवेशकों को दोहरा लाभ मिला। क्योंकि, सोने की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ा हुआ रिटर्न मिला और साथ में हर साल 2.5% का निश्चित वार्षिक ब्याज भी हासिल हुआ।

    दरअसल, सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में आयात होने वाले फिजिकल गोल्ड पर भारत की निर्भरता को कम करना, जमाखोरी पर अंकुश लगाना और घरेलू बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों में लगाना था।

    सॉवरेन बॉन्ड की अवधि 8 साल तय होती है, लेकिन निवेशक चाहें तो ब्याज भुगतान की तारीख पर पांच साल बाद इसे खत्म कर सकते हैं। खास बात है कि एसजीबी का स्टॉक एक्सचेंजों में भी कारोबार किया जा सकता है, और यह दूसरों को ट्रांसफर किया जा सकता है, या लोन के लिए कॉलेटरल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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    आयकर अधिनियम, 1961 (1961 की धारा 43) के प्रावधानों के अनुसार, एसजीबी पर मिलने वाला ब्याज कर कटौती योग्य है। हालांकि, इन गोल्ड बॉन्ड्स कैपिटल गैन टैक्स नहीं देना पड़ता। वहीं, एक्सचेंज पर बॉन्ड्स के ट्रांसफर से होने वाला कोई भी कैपिटल गैन, इंडेक्सेशन बेनेफिट के लिए पात्र होगा।