तो अब थमेगा Tata ग्रुप में चल रहा तूफान? चंद्रशेखरन बने रहेंगे टाटा संस के चेयरमैन; कैसे बनी सहमति
टाटा समूह में जारी विवाद (Tata Group Fued) के बीच, टाटा ट्रस्ट्स ने एन चंद्रशेखरन के तीसरे कार्यकाल को मंजूरी दी है। 2027 में चंद्रशेखरन 65 वर्ष के हो जाएंगे, लेकिन समूह ने सेमीकंडक्टर और एयर इंडिया जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए उन्हें बनाए रखने का फैसला किया है। नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने प्रस्ताव रखा, जिसे ट्रस्ट ने मंजूरी दे दी।

एन चंद्रशेखरन बने रहेंगे टाटा संस के चेयरमैन
नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से टाटा ग्रुप में तकरार (Tata Group Feud) की खबरें आ रही थीं। मगर अब एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जिससे टाटा ग्रुप में चल रहे तूफान के थमने की उम्मीद है। दरअसल टाटा ग्रुप में रिटायरमेंट पॉलिसी से पहली बार हटते हुए, टाटा ट्रस्ट्स ने टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के तीसरे कार्यकारी कार्यकाल को मंज़ूरी दे दी है।
बता दें कि फरवरी 2027 में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने पर चंद्रशेखरन 65 वर्ष के होंगे। ग्रुप के नियमों के अनुसार, अधिकारियों से 65 वर्ष की आयु में ऐसे पदों से हटने की उम्मीद की जाती है, हालाँकि वे 70 वर्ष की आयु तक नॉन-एग्जीक्यूटिव पदों पर बने रह सकते हैं।
किसे लेना है आखिरी फैसला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कामकाज में निरंतरता बनाए रखने के लिए, ग्रुप को ये लगा कि सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी और एयर इंडिया जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए एग्जीक्यूटिव लीडरशिप जरूरी है।
ट्रस्ट का प्रस्ताव टाटा संस को भेज दिया गया है, जिसे निश्चित रूप से चंद्रशेखरन को 2027 से तीसरे कार्यकाल को मंज़ूरी देते समय फैसला लेना होगा।
टाटा ट्रस्ट की बैठक में दिखाई गई हरी झंडी
इस मामले से जुड़े ऊंचे पद पर बैठे ने बताया कि नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने 11 सितंबर को टाटा ट्रस्ट की बैठक में चंद्रशेखरन के लिए पाँच साल के तीसरे कार्यकाल का प्रस्ताव रखा था, जिसमें ग्रुप के चल रहे बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन के लिए निरंतरता के महत्व का हवाला दिया गया। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई।
नियमों के अनुसार, नए कार्यकाल को उसके समाप्त होने से एक साल पहले मंजूरी दी जाती है और तदनुसार, अगले साल फरवरी में टाटा ट्रस्ट्स द्वारा इस फैसले को औपचारिक रूप दिया जाएगा, जो ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66% हिस्सेदारी रखती है।
ये भी पढ़ें - Gift Nifty के फिसलने से शेयर बाजार में गिरावट की आशंका, DMart-अदाणी एनर्जी और एक्सिस बैंक समेत इन स्टॉक्स में दिखेगी हलचल
विवाद के बीच लिया गया फैसला
चंद्रशेखरन के कार्यकाल में यह विस्तार टाटा ट्रस्ट्स के भीतर इस बात पर मतभेद के बीच आया है कि क्या टाटा संस को प्राइवेट ओनरशिप में ही रहना चाहिए। कुछ ट्रस्टी अब जुलाई में पास किए गए उस प्रस्ताव पर फिर से विचार कर रहे हैं जिसमें कहा गया था कि टाटा संस को प्राइवेट ओनरशिप में ही रहना चाहिए।
चंद्रशेखरन का एग्जीक्यूटिव पद पर बरकरार रहना ग्रुप को एक जटिल दौर से उबारने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।