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    'भारत को खोना बर्दाश्त नहीं कर सकता अमेरिका, ट्रंप पर मंडराया इंडिया से अलगाव का खतरा'; रिपोर्ट में बड़ा दावा

    ट्रंप के टैरिफ वार की वजह से भारत और अमेरिका के रिश्ते और खराब हो सकते हैं। बुधवार को ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाकर अपने सहयोगी को खोने के लिए एक और कदम बढ़ाया। वन वर्ल्ड आउटलुक ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया ट्रंप के दोहरे रवैये से अमेरिका अपना सबसे अच्छा साझेदार खो सकता है जिसे वह खोना नहीं चाहेगा।

    By Gyanendra Tiwari Edited By: Gyanendra Tiwari Updated: Thu, 07 Aug 2025 05:56 PM (IST)
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    भारत को खोना बर्दाश्त नहीं कर सकता अमेरिका

    नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूसी तेल खरीदने के फैसले के खिलाफ भारतीय निर्यात पर टैरिफ को 25 फीसदी और बढ़ाकर कुल 50 फीसदी कर दिया है। इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। टैरिफ की वजह से ट्रंप अपने करीबियों को खोते दिखे हैं। अब इसी को लेकर 'वन वर्ल्ड आउटलुक' ने एक रिपोर्ट, '50% टैरिफ से दोस्त कैसे खोएं', में कहा है कि अमेरिका ने पिछले दो दशकों से भारत को चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण साझेदार माना है। लेकिन आर्थिक राष्ट्रवाद, दबाव की नीतियां और दोहरे मापदंडों के कारण अमेरिका अपने भारत जैसे महत्वपूर्ण सहयोगी को खो सकता है। दोनों देशों की दोस्ती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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    रिपोर्ट में कही गई बड़ी बात

    'वन वर्ल्ड आउटलुक' ने अपनी रिपोर्ट में कई बातों का जिक्र किया उसने लिखा कि अमेरिका-भारत संबंधों का लक्ष्य एशिया में चीन के प्रभाव को कम करना था। राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर जो बाइडेन तक, अमेरिका में भारत को 'फ्री और ओपन इंडो-पैसिफिक' के लिए जरूरी माना गया था। दोनों देशों ने रक्षा, तकनीक, नौसैनिक अभ्यास और क्वाड में एक दूसरे का सहयोग किया और बढ़ाया।

     रिपोर्ट में कहा गया कि 2024 में, दोनों ने 10 साल का रक्षा रोडमैप बनाया और व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का टारगेट सेट किया। अमेरिका के लिए भारत का बड़ा बाजार, तकनीकी क्षेत्र और सैन्य आधुनिकीकरण चीन के खिलाफ जरूरी माने गए। लेकिन इस समय तीन मुख्य समस्याएं हैं: भारत की स्वतंत्र नीति, अमेरिका के दोहरे मापदंड और दोनों देशों का आर्थिक राष्ट्रवाद।

    न्यूट्रल रहा है भारत, अमेरिका का रवैया दोहरा

    1947 में आजादी मिलने के बाद से भारत किसी एक शक्ति के साथ पूरी तरह नहीं जुड़ा। वह रूस से रक्षा, चीन से व्यापार और अमेरिका से रणनीतिक साझेदारी रखता है। वह किसी से भी अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहता। अमेरिका का रूसी तेल खरीदने पर भारत को दबाव देना भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाता है और अविश्वास पैदा करता है।

    इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका का रवैया दोहरा है। इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाया लेकिन दूसरी ओर चीन पर लगाने वाले टैरिफ को रोक दिया। चीन रूस और ईरान दोनों से तेल खरीदता है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह भारत में गलत संदेश देता है। दोनों देशों की आर्थिक नीतियां - भारत का 'आत्मनिर्भर भारत' और ट्रंप  का 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' - टकराव पैदा करती हैं।

    ट्रंप के टैरिफ से महंगी होंगी ये चीजें

    ट्रंप के टैरिफ से भारतीय दवाएं, कपड़े और ऑटो पार्ट्स और भी महंगे हों जाएंगे। इससे अमेरिकी उपभोक्ता और कंपनियां भी प्रभावित होंगी। ट्रंप टैरिफ के जवाब में, भारत,  अमेरिकी कंपनियों के लिए अपने तकनीकी क्षेत्र में रुकावटें डाल सकता है। इसके अलावा रक्षा सौदों में देरी कर सकता है या इसके लिए अन्य साझेदार चुन सकता है।

    ग्लोबल साउथ की आवाज है भारत

    रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सिर्फ क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ की आवाज भी है। वह G20, BRICS और इंटरनेशनल सोलर अलायंस में अहम भूमिका निभाता है। अमेरिका का भारत से रिश्ता बिगाड़ना उसकी वैश्विक साख को नुकसान पहुंचाएगा। इससे अमेरिका,  दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कमजोर होगा।

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