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    US-China ट्रेड वॉर समंदर तक पहुंचा, पोर्ट टैक्स ने मचाई उथल-पुथल; भारत समेत दुनिया के लिए महंगा होगा कच्चा तेल?

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 02:25 PM (IST)

    अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर (US China Trade War 2025) अब समुद्री व्यापार तक पहुँच गया है। दोनों देश एक-दूसरे के जहाजों पर अतिरिक्त पोर्ट टैक्स लगाने जा रहे हैं, जिससे कच्चे तेल की ढुलाई महंगी हो सकती है। चीन अमेरिकी जहाजों पर स्पेशल पोर्ट चार्ज लगाएगा, जबकि अमेरिका भी जवाबी शुल्क लगाएगा। इस टकराव से वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल की आशंका है और भारत समेत कई देश प्रभावित हो सकते हैं।

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    अमेरिका-चीन मंगलवार से एक-दूसरे पर अतिरिक्त पोर्ट टैक्स लगाने जा रहे।

    नई दिल्ली| अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर (US-China Trade War) अब समंदर तक पहुंच गया है। दोनों देश एक-दूसरे के जहाजों पर अतिरिक्त बंदरगाह शुल्क लगाने जा रहे हैं। इसका असर खिलौनों से लेकर कच्चे तेल तक की समुद्री ढुलाई पर पड़ेगा। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच यह नया टकराव समुद्री व्यापार में और उथल-पुथल मचा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे भारत समेत दुनिया के 13% क्रूड टैंकर और 11% कंटेनर जहाज प्रभावित होंगे।

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    इसे लेकर चीन का कहना है कि वह अमेरिका से जुड़े जहाजों पर "स्पेशल पोर्ट चार्ज" वसूलेगा। ये नियम अमेरिकी स्वामित्व वाले, संचालित, निर्मित या अमेरिकी झंडे वाले जहाजों पर लागू होंगे। हालांकि चीन में बने जहाजों को इस टैक्स से छूट दी जाएगी।

    चीन को कमजोर करना चाहते हैं ट्रंप

    इधर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी साल की शुरुआत में चीन से जुड़े जहाजों पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसका मकसद चीन के समुद्री उद्योग पर दबदबे को कमजोर करना और अमेरिकी शिपबिल्डिंग को बढ़ावा देना है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में हुई जांच में यह पाया गया था कि चीन वैश्विक समुद्री, लॉजिस्टिक्स और शिपबिल्डिंग सेक्टर में अनुचित नीतियों से दबदबा बना रहा है। इसी के बाद इन सख्त कदमों का रास्ता खुला।

    यह भी पढ़ें- ट्रम्प ने फिर भारत पर निकाली खुन्नस, इन भारतीय 9 कंपनियों और आठ लोगों पर लगा दिया बैन, क्या है वजह?

    14 अक्टूबर से शुल्क वसूलेगा अमेरिका

    अमेरिका 14 अक्टूबर से यह शुल्क वसूलना शुरू करेगा। जानकारों के मुताबिक, चीन की शिपिंग कंपनी COSCO को सबसे ज्यादा झटका लगेगा। अनुमान है कि 2026 तक इस शुल्क से 3.2 अरब डॉलर (करीब 28 हजार करोड़ रुपए) का बोझ पड़ेगा, जिसमें से आधा हिस्सा अकेले COSCO को उठाना होगा। जवाब में, चीन ने भी कहा है कि वह उसी दिन से अमेरिकी जहाजों पर शुल्क लगाएगा। जेफरीज (Jefferies) के विश्लेषक ओमर नोक्टा के अनुसार, इससे दुनिया के 13% क्रूड टैंकर और 11% कंटेनर जहाज प्रभावित होंगे।

    "टिट फॉर टैट नीति से फंस सकते हैं दोनों देश"

    ग्रीस की एक्सक्लूसिव शिपब्रोकर्स आएनसी (Xclusiv Shipbrokers Inc) ने चेताया कि, "यह टिट-फॉर-टैट नीति दोनों अर्थव्यवस्थाओं को ऐसे समुद्री टैक्स जाल में फंसा सकती है, जिससे वैश्विक माल ढुलाई में असंतुलन पैदा होगा। व्यापार और पर्यावरण नीति का यह हथियार बनना बताता है कि अब शिपिंग सिर्फ कारोबार का जरिया नहीं रही, बल्कि देशों के राजनीतिक हथियार में बदल गई है।"

    चीन को ट्रंप की खुली धमकी, कहा- 1 नवंबर से..

    इससे पहले ट्रंप ने चीन पर और दबाव बढ़ाते हुए शुक्रवार को धमकी दी कि अगर चीन ने अहम खनिजों के निर्यात पर रोक लगाई तो अमेरिका 100% तक नया टैक्स लगाएगा और 1 नवंबर से "महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर" के निर्यात पर भी नियंत्रण करेगा। ट्रंप प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी कि जो देश संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की जलवायु नीति का समर्थन करेंगे, उन पर भी प्रतिबंध या पोर्ट चार्ज लगाए जा सकते हैं। चीन इस योजना के समर्थन में है।

    इधर, मंगलवार को COSCO के शेयर शंघाई बाजार में 2% से ज्यादा बढ़ गए। कंपनी ने कहा है कि वह तीन महीने में 1.5 अरब युआन (लगभग 210 मिलियन डॉलर) के शेयर वापस खरीदेगी ताकि कंपनी की वैल्यू और शेयरहोल्डर के हित सुरक्षित रहें। हालांकि कंपनी ने पोर्ट शुल्क के असर पर कोई जवाब नहीं दिया है।