'भारत बनेगा नई ताकत', मशहूर इकोनॉमिस्ट का बड़ा बयान; अमेरिकी डॉलर और AI पर दे डाली ऐसी चेतावनी
मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. मोहम्मद एल-एरियन ने कहा है कि अमेरिकी डॉलर का दबदबा अब पहले जैसा नहीं रहा। दुनिया रीजनल मॉडल की ओर बढ़ रही है। कोई करेंसी डॉलर की जगह नहीं ले सकती, पर इसका प्रभाव कम हो रहा है। उन्होंने एआई के खतरों और अमेरिका-यूरोप के बढ़ते घाटे पर भी चिंता जताई। एल-एरियन ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया और कहा कि यह चीन की तरह भूमिका निभाएगा।
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डॉ. मोहम्मद अल-एरियन का कहना है कि अमेरिकी डॉलर कमजोर हो रहा है।
नई दिल्ली| अमेरिकी डॉलर का वर्चस्व अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा। मशहूर अर्थशास्त्री और अलियांज के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. मोहम्मद अल-एरियन (Dr Mohamed El-Erian) का कहना है कि दुनिया अब एक सिंगल सिस्टम से हटकर रीजनल और विभाजित मॉडल की ओर बढ़ रही है।
शारजाह इन्वेस्टमेंट फोरम 2025 में उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई दूसरी करेंसी डॉलर की जगह नहीं ले सकती, लेकिन इसका ग्लोबल प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। उनका कहना है कि, "डॉलर अभी भी वैश्विक सिस्टम का केंद्र है, लेकिन इसकी पकड़ और नियंत्रण पहले जितना मजबूत नहीं रहेगा।"
उनके मुताबिक, पहले जो सिस्टम अमेरिका के इर्द-गिर्द बना था, अब उसके चारों ओर नए छोटे पाइपलाइन बन रही हैं। जिनमें चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। ये नई व्यापार और भुगतान व्यवस्थाएं अमेरिका की जगह नहीं ले रहीं, लेकिन उसके दबदबे को जरूर कमजोर कर रही हैं।
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एल-एरियन ने तीन बड़ी वैश्विक जोखिमों की ओर भी ध्यान दिलाया-
- सिस्टम का फ्रैगमेंटेशन (टूटना)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बिना नियंत्रण इस्तेमाल
- अमेरिका और यूरोप में बढ़ते फिस्कल घाटे
एआई को लेकर भी दे डाला बड़ा बयान
उन्होंने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में 80% फायदा है, लेकिन 20% खतरा भी है। अमेरिका सिर्फ अच्छे हिस्से पर ध्यान देता है, जबकि यूरोप इतना नियंत्रण लगाता है कि नवाचार रुक जाता है। एल-एरियन ने चेताया कि अगर यूरोप और अमेरिका अपने बड़े घाटे पर काबू नहीं करते, तो बॉन्ड मार्केट का भरोसा भी उठ सकता है। फ्रांस की हालिया रेटिंग डाउनग्रेड इसका संकेत है।
भारत को बताया तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
इस वैश्विक उथल-पुथल के बीच उन्होंने भारत को सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बताया। उन्होंने कहा कि अगले पांच सालों में भारत वो भूमिका निभाएगा जो कभी चीन ने निभाई थी। उन्होंने यूएई और सिंगापुर जैसे छोटे लेकिन चुस्त देशों की भी सराहना की, जो समय से पहले बदलावों को पहचानते हैं। भविष्य में वही देश आगे रहेंगे जो, समझ पाएंगे कि दुनिया किस दिशा में जा रही है और उनकी खासियत क्या है।
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