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    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ड्रोन और डिफेंस टेक स्टार्टअप्स में बढ़ी वेंचर कैपिटल की रुचि

    ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने जिस तरह पाकिस्तान के ठिकानों को ध्वस्त किया उसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। इस ऑपरेशन ने लिए डिफेंस टेक के महत्व को भी उजागर कर दिया है। इसका फायदा सीधे तौर पर Defence tech funding के रूप में दिखने लगा है।

    By Skand Vivek Dhar Edited By: Skand Vivek Dhar Updated: Sat, 31 May 2025 04:00 PM (IST)
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    भारतीय सशस्त्र बलों से डिफेंस टेक इंडस्ट्री को बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं।

    नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत जिन ड्रोन्स और मिसाइल से हमले किए उनके विकास में घरेलू कंपनियों की बड़ी भूमिका थी। वहीं, कई स्टार्टअप्स ने भी उनकी तकनीक, सेंसर, रडार आदि विकसित करने में अपना योगदान दिया था। अब सीजफायर के ऐलान के बाद भारतीय ड्रोन और डिफेंस टेक स्टार्टअप्स (Operation Sindoor impact on startups) को इसका फायदा भी मिल रहा है।

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    दरअसल, भारतीय सशस्त्र बलों से डिफेंस टेक इंडस्ट्री को बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में इस सेक्टर में फंडिंग को बढ़ावा मिलेगा। भारत के डीप टेक सेक्टर ने साल 2024 में 1.6 अरब डॉलर की वेंचर कैपिटल (Venture capital in Indian defence startups) फंडिंग जुटाई थी। इस साल यह आंकड़ा इससे अधिक रहने की पूरी उम्मीद है।

    वेंचर कैपिटल ब्लूहिल.वीसी ने हाल ही में हैदराबाद स्थित डिफेंस टेक स्टार्टअप जेबू में एक मिलियन डॉलर की फंडिंग लीड की है। यह स्टार्टअप सशस्त्र बलों के लिए एक पूर्ण ड्रोन स्टैक विकसित कर रहा है। इसी तरह, यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स ने आईरोव में निवेश किया है, जो पैट्रोलिंग के लिए अंडरवाटर ड्रोन (Drone technology funding India) बनाती है।

    ब्लूहिल.वीसी के पार्टनर मनु अय्यर कहते हैं, सरकार की ओर से बीते दो वर्षों में उठाए गए दो कदमों ने डिफेंस टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का काम किया है। इसमें पहला है, आईडीईएक्स (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) कार्यक्रम। यह देश के विभिन्न डिफेंस स्टेक होल्डर्स को एक मंच पर लाता है, उनकी समस्याओं को समझता है और 25 करोड़ रुपये तक की ग्रांट देता है। दूसरा, 2023 में लिया गया रक्षा मंत्रालय का वह निर्णय है, जिसमें कहा गया कि 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर के लिए कोई 'ग्लोबल टेंडर एन्क्वायरी' नहीं बुलाई जाएगी। इससे लोकल सोर्सिंग और सप्लाई चेन का विकास जरूरी हो गया।

    विशेषज्ञों का कहना है कि डिफेंस टेक और वॉर मशीनरी की आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना जरूरी है। आइडियाफोर्ज जैसी कंपनियां इसका उदाहरण हैं। केंद्र सरकार भी अब डिफेंस में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ाव दे रही है। हाल ही भारत सरकार ने डिफेंस सेक्टर में एक अहम फैसला लेते हुए प्राइवेट कंपनियों को भी फाइटर जेट के निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया है।

    यूनिकॉर्न इंडिया वेंचर्स के मैनेजिंग पार्टनर अनिल जोशी कहते हैं, वक्त की जरूरत और रक्षा, स्पेस एवं सेमीकंडक्टर के लिए अनुकूल स्टार्टअप पॉलिसी को देखते हुए इनका इन्वेस्टमेंट आउटलुक अच्छा है। इस क्षेत्र में भारतीय बाजार में काफी मौके हैं। इसके अलावा, विदेशों में भी इनका बड़ा बाजार है।

    620 अरब डॉलर से अधिक का है ग्लोबल डिफेंस टेक बाजार

    वैश्विक स्तर पर डिफेंस टेक का बाजार 620 अरब डॉलर से अधिक का है। इसके 2030 तक 6-8% सालाना की दर से बढ़कर 900 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारतीय डिफेंस टेक खिलाड़ी इस बड़ी इंडस्ट्री में उतर सकते हैं, बशर्ते वे पहले घरेलू बाजार में अपनी क्षमता साबित करें।

    अनिल जोशी कहते हैं, एक बार डिफेंस टेक स्टार्टअप्स भारत में अपने उत्पाद की क्षमता साबित कर देंगे, तो दुनियाभर से मांग आएगी। क्योंकि भारतीय उत्पाद विकसित देशों के रक्षा उत्पादों से कहीं ज्यादा किफायती होंगे।