क्या करती हैं रतन टाटा की बहनें, कैसा था भाई-बहनों के बीच रिश्ता, शिरीन व डीना को वसीयत में क्या मिला
Who is Ratan Tata Sisters रतन टाटा की कोई सगी बहनें नहीं थी लेकिन अपनी वे अपनी दो सौतेली बहनों से बहुत प्यार करते थे। शिरीन जेजीभॉय और डीनना जेजीभॉय रतन टाटा की ये दोनों बहनें परोपकार के कार्यों में सक्रिय हैं। वसीयत में लोग अपने बेटे-बेटियों और परिजनों को पैसा व प्रॉपर्टी देकर जाते हैं लेकिन रतन टाटा ने अपने भाई और बहनों को बड़ी जिम्मेदारी देकर गए हैं।

नई दिल्ली। मशहूर उद्योगपति रतन टाटा पिछले साल इस दुनिया को छोड़कर चले गए, लेकिन उनसे जुड़ी यादें हमेशा हर भारतीय के दिलों में अमर है। खासकर, उनके अपने उन्हें हमेशा मिस करते हैं, और रक्षाबंधन पर उनकी बहनों को रतन टाटा की कमी जरूर खलेगी। वैसे तो रतन टाटा की कोई सगी बहनें नहीं थी लेकिन अपनी वे अपनी दो सौतेली बहनों से प्यार करते थे, इसलिए उन्होंने वसीयत में अपने भाइयों के साथ बहनों को भी बहुत कुछ दिया।
कौन हैं रतन टाटा की बहनें
शिरीन जेजीभॉय और डीनना जेजीभॉय, रतन टाटा की माँ सूनू टाटा की बेटियाँ हैं, जो सर जमशेदजी जेजीभॉय से उनकी दूसरी शादी से हुई थीं। रतन टाटा की ये दोनों बहनें परोपकार के कार्यों में सक्रिय रही हैं, और रतन टाटा के साथ इनका गहरा रिश्ता रहा।
परोपकारी कार्यों से जुड़ीं हैं दोनों बहनें
रतन टाटा की दोनों बहनें शिरीन और डीनना परोपकारी कार्यों से जुड़ी हैं और समाज सेवा के काम को लेकर रतन टाटा की सहयोगी रही हैं। डीनना 1990 और 2000 के दशक में रतन टाटा ट्रस्ट की मेंबर रहीं। वे 40 साल से बेसहारा, बुजुर्ग और विकलांगों लोगों की सहायता करती आई हैं। इसके अलावा, उन्होंने 1994 से 2001 तक सर रतन टाटा ट्रस्ट में कार्यक्रम सलाहकार के रूप में भी काम किया।
बहनों को क्या जिम्मेदारी देकर गए रतन टाटा
आमतौर पर वसीयत में लोग अपने बेटे-बेटियों और परिजनों को पैसा व प्रॉपर्टी देकर जाते हैं, लेकिन रतन टाटा ने अपने भाई और बहनों को बड़ी जिम्मेदारी देकर गए हैं। चूंकि, रतन टाटा और टाटा फैमली हमेशा से परोपकारी कार्यो में आगे रही है, इसलिए रतन टाटा ने दोनों बहनों को जिम्मेदारी सौंपी है कि वे उनके धर्मार्थ कार्यों को उसी तरह चलाए रखें, जैसे वे चल रहे थे। बता दें कि 9 अक्टूबर 2024 को रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।
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