Budget 2026: 80% टैक्सपेयर्स के नए सिस्टम में पहुंचने से खत्म हो जाएगी पुरानी टैक्स रिजीम? इन 5 वजहों से है मुश्किल
बजट 2026 (Budget 2026) में पुरानी टैक्स रिजीम के खत्म होने की संभावना कम है। ज्यादातर टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट हो चुके हैं, लेकिन पुरानी ट ...और पढ़ें

पुरानी टैक्स रिजीम पर लगाए जा रहे अनुमान
नई दिल्ली। बजट 2026 (Budget 2026) पेश किए जाने में अब दो महीने से भी कम समय बचा है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण मोदी 3.0 सरकार का तीसरा यूनियन बजट 1 फरवरी 2026 को पेश कर सकती हैं। हर साल की तरह, इस बार भी ज्यादातर अनुमान टैक्स प्रपोजल के इर्द-गिर्द ही लगाए जा रहे हैं।
एक बड़ा अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि क्या सरकार आखिरकार पुरानी टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) को पूरी तरह खत्म कर देगी? दरअसल ये कयास इसलिए लगाया जाने लगा है, क्योंकि ज्यादातर टैक्सपेयर्स आसान समझी जाने वाली नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में शिफ्ट हो चुके हैं।
पिछले साल टैक्स में मिली थी राहत
आंकड़ों के अनुसार FY 2024–25 में करीब 9.19 करोड़ रिटर्न फाइल किए गए। संभावना है कि FY 2025–26 में ये संख्या करीब 10 करोड़ तक जा सकती है। पिछले बजट में सरकार ने टैक्स में बड़ी राहत दी थी, जिसके तहत 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री कर दिया गया था।
तब सरकार ने बताया था कि करीब 75% टैक्सपेयर्स पहले ही नई टैक्स रिजीम में आ चुके हैं। यह आंकड़ा 80% को पार कर गया है।
क्या कहते हैं जानकार
जब इतनी अधिक संख्या में लोग पहले से ही नई टैक्स रिजीम को पसंद कर रहे हैं, तो क्या सरकार बजट 2026 में पुरानी टैक्स रिजीम को खत्म कर देगी? जानकारों का मानना है कि अभी ऐसा नहीं होगा। फिलहाल पुरानी टैक्स रिजीम खत्म न किए जाने के कई कारण हैं।
इन कारणों से पुरानी टैक्स रिजीम खत्म नहीं होगी
1. पुरानी टैक्स रिजीम ने लंबे समय तक भारत की घरेलू बचत के लिए रीढ़ की हड्डी का काम किया है। सेक्शन 80सी, 80डी और 24(बी) जैसे टैक्स डिडक्शन विकल्पों ने लोगों को PPF, EPF, लाइफ इंश्योरेंस, पेंशन प्लान और घर खरीदने के लिए प्रेरित किया है।
2. जानकारों के अनुसार कई लोगों ने टैक्स बेनिफिट्स को ध्यान में रखकर लॉन्ग-टर्म होम लोन, इंश्योरेंस पॉलिसी और पेंशन प्रोडक्ट खरीदे हैं। नई टैक्स रिजीम खत्म पर इसके बेनेफिट भी बंद हो जाएंगे, जिससे अचानक असंतोष पैदा हो सकता है।
3. जानकार मानते हैं कि दोनों टैक्स रिजीम मिलकर बैलेंस बनाए रखने में मदद करती हैं, क्योंकि नया सिस्टम कंजम्प्शन को बढ़ाता है, जबकि पुराना सिस्टम “डिसिप्लिन्ड सेविंग्स” को सपोर्ट करता है।
4. एक वजह ये भी है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पहले से ही दोनों सिस्टम के तहत रिटर्न को आसानी से हैंडल कर रहा है। पुराने सिस्टम को खत्म करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट के कई सेक्शन में बदलाव करने होंगे और इससे उन टैक्सपेयर्स के मामले बढ़ सकते हैं जिन्होंने मौजूदा डिडक्शन के आधार पर फाइनेंस प्लान किया था और अब तक पुरानी टैक्स रिजीम के तहत टैक्स भर रहे हैं।
5. सरकार ने अब तक टैक्सपेयर्स को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया है, नए सिस्टम को डिफॉल्ट बनाया है, रेट्स कम किए हैं और छूट बढ़ाई है। माना जा रहा है कि यह धीरे-धीरे किए गए बदलाव बिना पुरानी आदतों को अचानक छोड़ने की जरूरत के किए गए हैं। ऐसे में अचानक से पुरानी टैक्स रिजीम को खत्म करना थोड़ा हड़बड़ी वाला फैसला लग सकता है।

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