WPI Inflation Data: रिटेल के बाद थोक महंगाई दर में भी हुई वृद्धि, 3 फीसदी के पार पहुंची डब्ल्यूपीआई
WPI Inflation Data वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जून महीने के लिए थोक महंगाई दर जारी कर दी हैं। जून में सब्जियों और मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट की कीमतों में तेजी की वजह से महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है। जून में थोक महंगाई दर 3.36 फीसदी हो गई है। लगातार चार महीने से थोक महंगाई दर में वृद्धि देखी जा रही है।
पीटीआई, नई दिल्ली। खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और मैन्यूफैक्च¨रग उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति जून महीने में बढ़कर 16 महीने के उच्चस्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह लगातार चौथा महीना है, जब थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 प्रतिशत के स्तर पर थी। जून, 2023 में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी।
थोक महंगाई दर फरवरी, 2023 में 3.85 प्रतिशत थी। जून में ही खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को देखें तो थोक महंगाई दर उसके अनुरूप ही है। दो दिन पहले जारी हुए खुदरा महंगाई दर बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। आरबीआइ मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, 'जून, 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल और अन्य मैन्यूफैक्च¨रग वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि है।' आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी। सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी।
प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। फलों की मुद्रास्फीति 10.14 प्रतिशत, अनाज 9.27 प्रतिशत और दूध की महंगाई दर 3.37 प्रतिशत रही।
जुलाई में थोक महंगाई के दो प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून, 2024 में थोक मुद्रास्फीति में वृद्धि व्यापक थी। ईंधन और बिजली को छोड़कर सभी प्रमुख क्षेत्रों में दाम बढ़े हैं।
वैश्विक जिंस कीमतों में कुछ नरमी के कारण जुलाई में थोक मुद्रास्फीति लगभग दो प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है। तेल की कीमतों के संबंध में नायर ने कहा, 'भारत के लिए कच्चे तेल की औसत कीमत जुलाई, 2024 में अब तक काफी अस्थिर रही है। मांग-आपूर्ति में अंतर के कारण, मासिक आधार पर वृद्धि देखी जा रही है।' कच्चे तेल की ऊंची कीमतें चालू महीने में थोक मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा सकती हैं।