Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'घाटे वाली कंपनियां...', जीरोधा वाले नितिन कामथ ने IPO वैल्यूएशन पर उठाए सवाल; समझा दिया पूरा कैलकुलेशन

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 08:20 PM (IST)

    जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ (Zerodha Founder Nithin Kamath) ने स्टार्टअप और आईपीओ बाजार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कंपनियां मुनाफा कमाने के बजाय टैक्स बचाने और वैल्यूएशन बढ़ाने में लगी हैं। उन्होंने वेंचर कैपिटलिस्ट पर टैक्स आर्बिट्रेज का आरोप लगाया और कहा कि घाटे वाली कंपनियां आईपीओ के जरिए निकल रही हैं। नितिन कामथ ने मंदी में कई कंपनियों के टिकने पर भी चिंता जताई।

    Hero Image

    जीरोधा वाले नितिन कामथ ने IPO वैल्यूएशन पर उठाए सवाल; किस पर साधा निशाना?

    नई दिल्ली। ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ (Zerodha Founder Nithin Kamath) ने स्टार्टअप और आईपीओ बाजार (IPO Market) को लेकर बड़ा सवाल किया। उनका कहना है कि भारत में कंपनियां मुनाफा कमाने से ज्यादा टैक्स बचाने और वैल्यूएशन बढ़ाने का खेल खेल रही हैं। उनके मुताबिक, अगर कोई बिजनेस डिविडेंड के तौर पर पैसा निकालता है तो कुल टैक्स 52% लगता है। जिसमें 25% कॉरपोरेट टैक्स और 35.5% पर्सनल इनकम टैक्स शामिल होता है। लेकिन अगर वही पैसा कैपिटल गेन से निकाला जाए तो टैक्स सिर्फ 14.95% लगता है। यही फर्क पूरा खेल बदल देता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'कम मुनाफा, खर्च ज्यादा और फिर...'

    कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,

    "अगर आप इन्वेस्टर हैं, खासकर वेंचर कैपिटलिस्ट, तो सबसे आसान रास्ता है- कम मुनाफा दिखाओ, ज्यादा खर्च करो। यूजर बेस बढ़ाओ, ग्रोथ की स्टोरी बनाओ और फिर शेयर ऊंचे वैल्यूएशन पर बेच दो। टैक्स भी कम लगेगा और एग्जिट भी तगड़ा मिलेगा।"

    उनके मुताबिक ये खर्चा कंपनियों के लिए ही नहीं, उनके कॉम्पिटिटर्स के लिए भी दबाव बनाता है। उन्होंने कहा कि ये आरएंडडी नहीं, बल्कि यूजर हासिल करने और मार्केट पकड़ने का खर्च है। और भारत में R&D वैसे भी सिर्फ 0.7% GDP के आसपास है।

    कामथ का दावा है कि वेंचर कैपिटलिस्ट असल में एक तरह का टैक्स आर्बिट्रेज गेम खेल रहे हैं। इसलिए ज्यादातर VC-backed कंपनियां साल-दर-साल या तो नुकसान दिखाती हैं या बहुत कम मुनाफा। और एक बार ये मॉडल अपनाने के बाद इससे बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है।

    यह भी पढ़ें- नितिन कामथ की जीरोधा नहीं बल्कि ये है देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म, जानें किस स्ट्रैटजी ने बनाया नंबर-1

    'तो इसलिए आखिरी रास्ता बचता है IPO'

    उन्होंने आगे लिखा कि 7-8 साल पुरानी स्टार्टअप्स पर VCs (वेंचर कैपिटलिस्ट) लगातार एग्जिट का दबाव डालते हैं। भारत में कंपनियों का मर्जर या खरीद (Mergers and Acquisitions) के बहुत कम मौके होते हैं, इसलिए IPO ही आखिरी रास्ता बचता है।

    इस दौरान उन्होंने एक सवाल भी उठाया। उन्होंने लिखा कि, "क्या सरकार ने ये टैक्स स्ट्रक्चर इसलिए बनाया था कि कंपनियां पैसा खर्च करें, न कि जमा करके बांटें? लेकिन शायद ये बैलेंस ठीक नहीं बैठा। इससे ऐसी कंपनियां बन रही हैं जो लंबी मंदी झेल नहीं पाएंगी।"

    क्यों ये और दिलचस्प हो जाता है?

    1. घाटे में तेजी से बढ़ रही कंपनियों की वैल्यूएशन प्रॉफिट वाली कंपनियों से 3 गुना ज्यादा होती है। 100 करोड़ रुपए रेवेन्यू और 100% ग्रोथ वाली कंपनी को 10-15 गुना ज्यादा वैल्यू मिलती है, जबकि 20% ग्रोथ और मुनाफे वाली कंपनी को सिर्फ 3-5 गुना की वैल्यू ही मिल पाती है।
    2. अगर आपका मुकाबला ऐसी कंपनी से है जो खुलकर पैसा जला रही है, तो मार्केट शेयर बचाने के लिए आपको भी वही करना पड़ता है- चाहे आप चाहें या नहीं।

    अपने पोस्ट में कामथ ने चेतावनी भी दी कि अगर मार्केट में लंबा डाउनटर्न आया, तो ये घाटे वाली कंपनियां सबसे पहले डगमगाएंगी।

    लैंसकार्ट कंट्रोवर्सी के बीच आया बयान

    यह बयान ऐसे समय आया है, जब आईवियर कंपनी लैंसकार्ट का आईपीओ (Lanskart IPO) आ रहा है। और पीयूष बंसल (Peyush Bansal) की कंपनी 70,000 करोड़ के हाई वैल्यूएशन को लेकर चर्चा में है। लोगों में बहस छिड़ गई है कि देश का सबसे महंगे शेयर वाली कंपनी MRF का मार्केट कैप 67,132 करोड़ रुपए है तो लैंसकार्ट की वैल्यूएशन 70,000 करोड़ (lenskart valuation 2025) कैसे हो सकती है?