किसानों को F&O भा गया, NCDEX पर जीरा से लेकर धनिया बेचकर कमा रहे लाखों रुपये; FPO कर रहा मदद
Farmers FPO driven earnings किसान और कृषि उत्पादक संगठन मिलकर फसल को NCDEX के माध्यम से बेच रहे हैं। इसके जरिए किसानों को उनकी फसल की अच्छी कीमत मिल रही है। फ्यूचर एंड ऑप्शन के जरिए किसान पहले से ही अपनी फसल के दाम निर्धारित कर लेते हैं। ऐसे में उन्हें नुकसान की गुंजाइश बहुत कम रहती है।
नई दिल्ली। Farmers FPO driven earnings: भारत में नॉर्मल शेयर बाजार की तरह अब कृषि क्षेत्र में वायदा यानी फ्यूचर ट्रेड लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2026 के आंकड़ों के अनुसार कृषि उत्पादक संगठन यानी FPOs के जरिए 1.16 मिलियन किसानों ( 1 करोड़ 16 लाख) ने NCDEX पर ट्रेड किया। किसानों ने कपास, जीरा, अरंडी, धनिया, हल्दी, अरंडी, कपास के बीज का तेल केक और गार्ड बीज जैसे कई वस्तुओं को बेचने के लिए F&O का इस्तेमाल किया। अब यहां पर एक सवाल यह है कि आखिर यह होता क्या है?
फ्यूचर एंड ऑप्शन यानी वायदा और विकल्प में किसान पहले से ही अपनी फसल के दाम तय कर देते हैं। फिर चाहे बाजार ऊपर जाए या नीचे वह अपनी फसल उसी दाम पर बेचते हैं।
किसान अच्छी कीमत पर बेच रहे हैं फसल
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि कमोडिटी एक्सचेंज के माध्यम से बिक्री से कृषि व्यापार का औपचारीकरण हुआ है, जिसमें भुगतान एफपीओ बैंक खातों में जा रहा है, जबकि सामूहिक रूप से किसान सदस्यों से एकत्रीकरण और खरीद सुनिश्चित हो रही है।
राजस्थान के जोधपुर स्थित किसान संगठन, मंडोर किसान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के CEO ने गणपतराम चौधरी ने इस संबंध में कहा, "कमोडिटी एक्सचेंज पर जीरा और अरंडी बेचकर, हमें व्यापारियों को कमोडिटी बेचने से मिलने वाली कीमतों की तुलना में लगभग 10% अधिक कीमत मिली है।"
पिछले साल NCDEX पर 1.5 करोड़ की बिक्री
पिछले वित्त वर्ष (FY2025) में कृषि उत्पादक संगठन ने NCDEX पर 1.5 करोड़ रुपये की फसल बेचीं। वहीं, अगर चालू वित्त वर्ष की बात करें तो इसे 4 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 750 किसानों के साथ FOSs ने एनसीडीईएक्स प्लेटफॉर्म पर 1.5 करोड़ रुपये मूल्य की कृषि-वस्तुएं बेची हैं।
NCDEX के प्रबंध निदेशक अरुण रास्ते ने इस पर कहा कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स विनियमित बाजार उपकरण हैं जो मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करते हैं, प्रभावी जोखिम प्रबंधन समाधान प्रदान करते हैं और बाजार पहुंच में सुधार करने में मदद करते हैं।
गुजरात के रणमल फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक महेश करंजिया ने कहा कि उन्होंने चालू वित्त वर्ष में इस प्लेटफॉर्म पर 2.5 करोड़ रुपये मूल्य की कृषि-वस्तुएं - अरंडी और जीरा - बेची हैं।
NCDEX पर बढ़ रहा है किसानों का भरोसा
भारत एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। इसमें हर एक सेक्टर का अहम योगदान है। कृषि क्षेत्र हमेशा से भारत की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देता आ रहा है। अब अपने फसलों का अच्छा दाम पाने के लिए किसान संगठन NCDEX पर ट्रेडिंग करके बेच रहे हैं। इससे उन्हें बाजार की कीमत से अधिक दाम मिल रहा है।
वित्त वर्ष 2025 में, 340 कृषि उत्पादक संगठनों ने 10 करोड़ रुपये से अधिक का बिक्री कारोबार किया है, जबकि 1100 से अधिक किसान समूहों ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री दर्ज की है।
वर्तमान में 9,450 से अधिक एफपीओ सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी से जुड़े हैं। 200 से अधिक समूह अपने उत्पाद GeM जैसे प्लेटफॉर्म पर बेच रहे हैं, जबकि अमेज़न और फ्लिपकार्ट के माध्यम से कृषि उत्पादों की बिक्री भी बड़े पैमाने पर शुरू हो गई है।
"कृषि से जुड़े अपने सवाल आप हमें business@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं।"
(डिस्क्लेमर: यहां शेयर पर दी गयी जानकारी निवेश की राय नहीं है। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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