क्या बीड़ी-सिगरेट पीने वालों के लिए होता है अलग इंश्योरेंस, स्मोकर्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस क्यों ज्यादा जरूरी?
धूम्रपान करने वालों के लिए स्वास्थ्य बीमा जरूरी है क्योंकि स्मोकिंग से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इंश्योरेंस कंपनियां स्मोकर्स को हाई रिस्क कैटेगरी में रखती हैं और उनसे ज्यादा प्रीमियम लेती हैं। पॉलिसी लेते समय स्मोकिंग की जानकारी छिपाना गलत है। स्मोकिंग छोड़ने के प्रोग्राम में शामिल होकर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर प्रीमियम को कम किया जा सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस स्मोकर्स के लिए एक जीवन रक्षक कवच है।

नई दिल्ली। अगर आप स्मोकर हैं, यानी सिगरेट या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस आपके लिए बहुत जरूरी है। वजह साफ है कि स्मोकिंग से होने वाले हेल्थ रिस्क सीधे आपकी जेब पर असर डालते हैं। फेफड़ों का कैंसर, हार्ट डिजीज और सांस की बीमारियां जैसी समस्याएं महंगे इलाज की मांग करती हैं। ऐसे में एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी आपके मेडिकल खर्चों को संभालने में बड़ी मदद साबित हो सकती है।
स्मोकर्स के लिए बीमारियों का खतरा नॉन-स्मोकर्स की तुलना में कई गुना ज्यादा होता है। फेफड़ों और दिल की बीमारियां, ब्लड प्रेशर, और क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर जैसी दिक्कतें अक्सर स्मोकिंग से जुड़ी होती हैं। हेल्थ इंश्योरेंस इन बीमारियों के इलाज, हॉस्पिटलाइजेशन, सर्जरी और दवाइयों के खर्च को कवर करता है। इस तरह यह आपको आर्थिक सुरक्षा और मानसिक सुकून दोनों देता है।
स्मोकर्स को ज्यादा प्रीमियम क्यों देना पड़ता है?
इंश्योरेंस कंपनियां स्मोकर्स को 'हाई रिस्क' कैटेगरी में रखती हैं क्योंकि उन्हें गंभीर बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। यही कारण है कि स्मोकर्स का प्रीमियम नॉन-स्मोकर्स से 15% से 50% तक ज्यादा हो सकता है। कई कंपनियां आवेदन प्रक्रिया में स्मोकिंग से जुड़ी जानकारी पूछती हैं या मेडिकल टेस्ट करवाती हैं ताकि प्रीमियम सही तरीके से तय किया जा सके।
स्मोकर्स बनाम नॉन-स्मोकर्स: कितना फर्क पड़ता है
| पहलू | स्मोकर्स | नॉन-स्मोकर्स |
| हेल्थ केयर कॉस्ट | करीब 40% ज्यादा | कम, लेकिन उम्र के साथ बढ़ सकता है |
| लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम | 1.5 से 2 गुना तक ज्यादा | सामान्य, यदि हेल्थ ठीक है |
| जीवन प्रत्याशा | लगभग 13 साल कम | अधिक आयु |
| बीमारियों का खतरा | बहुत ज्यादा (कैंसर, हार्ट डिजीज आदि) | कम |
| क्लेम रिस्क | झूठी जानकारी पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है | अधिक सफल क्लेम |
अगर स्मोकर झूठ बोले तो क्या होता है?
कई लोग इंश्योरेंस लेते वक्त अपनी स्मोकिंग हैबिट छिपा लेते हैं, लेकिन यह गंभीर गलती साबित हो सकती है। इंश्योरेंस कंपनियां मेडिकल टेस्ट या रिपोर्ट्स के जरिए सच्चाई जान लेती हैं। अगर बाद में पता चला कि आपने गलत जानकारी दी थी, तो कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है या पॉलिसी कैंसिल कर सकती है। इसलिए हमेशा ईमानदारी से बताना ही समझदारी है।
अगर पहले से हेल्थ प्रॉब्लम है तो क्या करें?
अगर आप स्मोकर हैं और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस आपके लिए और भी जरूरी हो जाता है। बीमा कंपनियां प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशंस को ध्यान में रखकर प्रीमियम तय करती हैं, लेकिन इसके बावजूद यह आपके इलाज और हॉस्पिटल खर्चों को कवर करता है।
प्रीमियम घटाने और हेल्थ सुधारने के आसान तरीके
1. स्मोकिंग छोड़ने के प्रोग्राम में शामिल हों - कई इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे प्रोग्राम ऑफर करती हैं।
2. हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं - एक्सरसाइज, सही खानपान और वज़न कंट्रोल में रखना जरूरी है।
3. रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाएं - शुरुआती स्टेज पर बीमारी पकड़ने से इलाज आसान होता है।
4. हाई डिडक्टिबल प्लान चुनें - इससे आपका मंथली प्रीमियम थोड़ा कम हो सकता है।
पॉलिसी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें
अलग-अलग कंपनियों के प्रीमियम और कवरेज की तुलना करें
यह देखें कि प्लान में स्मोकिंग-संबंधित बीमारियों का कवरेज शामिल है या नहीं
कंपनी के नेटवर्क हॉस्पिटल्स की लिस्ट देखें
यह जांचें कि पॉलिसी में स्मोकिंग छोड़ने में मदद करने वाले प्रोग्राम्स हैं या नहीं
स्मोकर्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस: जरूरत, विकल्प नहीं
स्मोकिंग से जुड़ी बीमारियों का खर्च बहुत तेजी से बढ़ सकता है, जो किसी भी आम परिवार की आर्थिक स्थिति पर असर डाल सकता है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ एक सुरक्षा कवच नहीं बल्कि जीवन रक्षक कवच है।

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