एलोवेरा की खेती से बदली किस्मत, सतारा का किसान बना करोड़पति! दूसरों की मुसीबत से मिला अमीर बनने का रास्ता
महाराष्ट्र के सतारा जिले के ऋषिकेश जयसिंह धने ने एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Farming) से करोड़ों का कारोबार बनाया। कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे ऋषिकेश ने किसानों द्वारा फेंके गए एलोवेरा के पौधों को लगाकर अपनी किस्मत बदल दी। उन्होंने एलोवेरा से साबुन शैम्पू और जूस जैसे उत्पाद बनाकर बेचे। धीरे-धीरे उनका टर्नओवर 3.5 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। एलोवेरा फार्मिंग से उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारी।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के कई जिले सूखाग्रस्त रहते हैं। इनमें सतारा जिला भी शामिल है। वहां के किसान सिंचाई के लिए काफी हद तक बारिश पर निर्भर रहते हैं। इतना ही नहीं ढंग की सिंचाई सुविधा न होने कारण सतारा के किसान अपनी फसलों को मजबूरी में प्रकृति के भरोसे छोड़ देते हैं।
इसी जिले के पडाली गांव के 44 वर्षीय ऋषिकेश जयसिंह धने के पास आठ एकड़ जमीन थी। उनका परिवार धान, बाजरा, ज्वार और गेहूँ जैसी पारंपरिक फसलें उगाता था। मगर खेत में कड़ी मेहनत के बावजूद, उन्हें पर्याप्त उपज नहीं मिलती। फिर ऋषिकेश के जीवन में एक मोड़ आया और एलोवेरा फार्मिंग (Aloe Vera Farming) के जरिए उन्हें करोड़ों का कारोबार शुरू करने का मौका मिला।
सब्जियां खाकर गुजारा किया
कम उपज के कारण ऋषिकेश का चार सदस्यों वाला परिवार अपने पिता के 2,000 रुपये के मासिक वेतन पर निर्भर था। छोटे से कच्चे घर में रहने वाले इस परिवार की आर्थिक हालत इतनी कमजोर थी कि वे घटिया ज्वार की रोटियाँ और कभी-कभार सब्जियां खाकर ही गुजारा करते।
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 10वीं क्लास तकऋषिकेश कभी चप्पल नहीं पहन पाए। 20 साल की उम्र में परिवार को सपोर्ट करने और अपनी हायर एजुकेशन का खर्च उठाने के लिए उन्होंने एक मार्केटिंग कंपनी में जॉब शुरू की। पर वे अपना बिजनेस शुरू करने के लिए गांव लौटे।
लाइफ में आया टर्निंग पॉइंट
गांव में कारोबार के लिए, ऋषिकेश ने सहजन और आम के पौधों की एक नर्सरी शुरू की और खाद बेचना भी शुरू कर दिया। लेकिन 2007 में उनके जीवन में एक टर्निंग पॉइंट तब आया जब उनके आस-पास के किसान एलोवेरा के पौधों को फेंक रहे थे।
किसानों के एलोवेरा के पौधे फेंकने की वजह थी, एक शख्स द्वारा उन्हें एलोवेरा उगाने के लिए कहना और फिर पौधे उगने पर रफूचक्कर हो जाना। दुखी मन से किसान पौधे फेंक रहे थे। मगर ऋषिकेश ने इन्हीं पौधों से अपनी तकदीर बदली।
क्या सोचकर लगाए एलोवेरा के पौधे
ऋषिकेश ने अपने आम और आंवले के पेड़ों के बीच 4,000 फेंक दिए गए एलोवेरा के पौधे लगाए। उन्हें एलोवेरा उगाने में कोई बुराई नहीं लगी, फिर चाहे इससे आमदनी होती या नहीं। असल में वे जानते थे कि एलोवेरा से दीमक भागेगी, जिससे आम के पेड़ों की रक्षा होगी।
बना दिए नये-नये प्रोडक्ट्स
सतारा में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों के दौरान ऋषिकेश को अक्सर एलोवेरा उत्पाद बेचने वाले छोटे कारोबारी मिलते। उन्हीं से प्रेरित होकर ऋषिकेश ने एलोवेरा के साबुन, शैम्पू और जूस जैसे उत्पाद बनाना शुरू किया। शुरू में प्रॉफिट नहीं हुआ। तब उन्होंने एलोवेरा से ही प्राकृतिक कीटनाशक, हर्बल स्प्रेडर और पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले प्रोडक्ट्स भी तैयार किए।
साल 2013 में, ऋषिकेश ने मार्केटिंग की नौकरी के दौरान बने दोस्तों की मदद से इन प्रोडक्ट्स का कमर्शियलाइजेशन किया और धीरे-धीरे उनके कारोबार का टर्नओवर 3.5 करोड़ रुपये पहुंच गया।
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अपने ने ही किया विरोध
हालांकि ऋषिकेश के लिए कामयाबी हासिल करना आसान नहीं रहा। शुरुआत में ही उनके ससुराल वालों ने एलोवेरा लगाने के फैसले का विरोध किया। उनकी पत्नी के माता-पिता इस फैसले के खिलाफ थे। उनका मानना था कि एलोवेरा हमारे लिए मुसीबत बन सकता है क्योंकि इसमें काँटे होते हैं। मगर ऋषिकेश ने उन्हें गलत साबित कर दिया। उनके ससुर और सास उन्हीं के खेत से एलोवेरा लेकर आते हैं और अपने बालों में लगाते हैं और उसका जूस भी पीते हैं।
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