Exclusive Interview: जियो पॉलिटकल तनाव के बीच उन सेक्टर पर फोकस करें जो घरेलू खपत पर निर्भर: सिक्का
Nippons Sundeep Sikka Exclusive Interview अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए जा रहे एकतरफा टैरिफ के बीच निवेश के मौकों जियो ब्लैकरॉक की म्यूचुअल फंड बिजनेस में धमाकेदार एंट्री और कंपनी की योजनाओं को लेकर जागरण बिजनेस ने निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप सिक्का से बात की। एसेट अंडर मैनेजमेंट के मामले में निप्पन इंडिया देश के टॉप-5 म्यूचुअल फंड में शुमार है।
''भारतीय अर्थव्यवस्था पर अभी टैरिफ का खतरा है। Geopolitical tensions बने हुए हैं। कंपनियों के तिमाही नतीजे भी मॉडरेट रहे हैं। ऐसे में हमें सतर्क रहने की जरूरत है। निवेश के लिहाज से उन सेक्टर्स पर फोकस किया जा सकता है, जो घरेलू खपत (domestic consumption) पर आधारित हों। इनमें भी ऐसी कंपनियों काे चुनना चाहिए, जिनका अच्छा नाम और ट्रैक रिकॉर्ड है।'' निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ संदीप सिक्का ने जागरण बिजनेस के एडिटर स्कन्द विवेक धर से यह बात कही। सिक्का ने (Sundeep Sikka on Indian economy) ट्रंप टैरिफ, भारतीय अर्थव्यवस्था, जियो-ब्लैकरॉक के असर, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री समेत कई विषयों पर अपनी राय रखी। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए जा रहे एक तरफा टैरिफ और भूराजनैतिक तनाव के इस माहौल में आपको मार्केट में कौन सी थीम अच्छी लग रही है?
भूराजनैतिक तनाव काफी समय से बना हुआ है। अभी का समय देखें तो टैरिफ एक बड़ा खतरा है। वहीं, कंपनियों के तिमाही नतीजे भी आए हैं, जो मॉडरेट रहे हैं। उनमें बहुत उत्साहजनक कुछ नहीं है। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था में मौके अभी भी बने हुए हैं। हमारी ग्रोथ रेट अच्छी है। इस साल मानसून भी अच्छा रहने की उम्मीद है, जिससे और मजबूती मिलेगी।
हां, हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमारा इनहाउस व्यू है कि उन सेक्टर्स पर फोकस किया जाए, जो घरेलू खपत पर आधारित हैं। इसमें इंडस्ट्रियल हो गया, पावर सेक्टर, फाइनेंशियल सेक्टर के अंदर लार्ज बैंक हो गए। इनमें भी ऐसी कंपनियों पर फोकस किया जाएगा जिनका अच्छा नाम है और जिनका ट्रैक रिकॉर्ड है।
Jio-BlackRock ने म्यूचुअल फंड बाजार में नई एंट्री की है। हम रिलायंस समूह के बाजार में डिसरप्शन के इतिहास से वाकिफ हैं। आप इसे लेकर कितने सतर्क या चिंचित हैं?
भारत में विशाल अवसर है। 50 म्यूचुअल फंड कंपनियां होने के बावजूद म्यूचुअल फंड का पेनेट्रेशन सिर्फ 4-5% है। जो बाजार विस्तार पर काम करेगा, वह सफल होगा। निवेशकों के मामले में हमारा मार्केट शेयर 38% है, क्योंकि हम छोटे शहरों और नए निवेशकों पर फोकस करते हैं। लेकिन भारत का बाजार इतना आसान भी नहीं है। मैं आपको ध्यान दिलाना चाहूंगा कि पिछले कुछ वर्षों में 16 से 18 ग्लोबल म्यूचुअल फंड्स इंडिया के बाहर जा चुके हैं। इसमें ब्लैकरॉक भी शामिल है। असल में जब हम बाहर से देखते हैं तो भारत में 140 करोड़ की आबादी दिखती है, लेकिन जब गहराई से देखते हैं तो म्यूचुअल फंड में पैसा सिर्फ 5 करोड़ लोगों ने ही लगाया है। आज हम एक तिमाही में 15 से 20 लाख नए इन्वेस्टर जोड़ रहे हैं, जबकि कुछ ऐसे म्यूचुअल फंड ऐसे हैं जिनमें 20 साल लगाने के बाद 15 लाख इन्वेस्टर है। यह सब डिपेंड करता है स्ट्रैटेजी के ऊपर।
आपकी क्या स्ट्रैटेजी है?
हमारी स्ट्रैटजी है जितना रिटेल जा सकते हो जाओ। हमारा यह क्लियर विजन है, रिटेल निवेशक और छोटे शहर। आज हम टियर-2 और टियर-3 शहरों की नहीं, बल्कि टियर-6,7 का रुख कर रहे हैं।
एसआईपी के जरिए स्मॉल-कैप फंड्स में बड़ी मात्रा में निवेश आ रहा है। स्मॉल कैप का यूनिवर्स उतना बड़ा है नहीं। कहीं इससे ओवरवैल्यूएशन का जोखिम तो नहीं बढ़ रहा?
नहीं। आप देखिए स्मॉल कैप में काफी करेक्शन आया है। दूसरा आप देखिए कितने सारे आईपीओ भी आ रहे हैं। तो अगर एसआईपी से स्मॉल कैप में पैसा आ रहा है तो उसके साथ नई कंपनियां भी लिस्ट हो रही हैं। हां, ये जरूर है कि यह सेक्टर क्लोज मॉनिटरिंग मांगता है, क्योंकि यहां स्टॉक या तो बहुत अंडरवैल्यूड होते हैं या ओवरवैल्यूड। नुकसान से बचने के लिए हम रिसर्च पर बहुत ज्यादा जोर देते हैं, इसी का नतीजा है कि आज हमारे पोर्टफोलियो में 200 स्मॉलकैप स्टॉक्स हैं।
RBI ने बीते कुछ महीनों में ब्याज दर में 100 आधार अंकों की कटौती कर दी है। इसे देखते हुए डेट फंड्स में आपकी रणनीति क्या होगी?
अब ड्यूरेशन प्ले के बजाय क्रेडिट यील्ड पर फोकस करना होगा। ब्याज दरों में और गिरावट की उम्मीद कम है, इसलिए हम हाई-क्रेडिट यील्ड वाले इंस्ट्रूमेंट्स को प्राथमिकता देंगे।
आप दावा करते हैं कि आपकी कंपनी एक फेसलेस ऑर्गेनाइजेशन है। इसका क्या मतलब है?
हम सिस्टम और प्रक्रियाओं पर भरोसा करते हैं, न कि किसी एक व्यक्ति पर। यह मैनेजमेंट की एक जापानी शैली है। उदाहरण के लिए, अगर कोई फंड मैनेजर कंपनी छोड़ कर चला जाए, तो भी हमारे पोर्टफोलियो पर कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि निर्णय प्रक्रिया-आधारित होते हैं।
लद्दाख में हाल में आपने अपनी पहली ब्रांच खोली है। यह इस केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी की पहली ब्रांच है। इस फैसले की वजह क्या है?
हमारा नजरिया "नेशन फर्स्ट" है। हम चाहते हैं कि लद्दाख भी भारत की आर्थिक विकास यात्रा का हिस्सा बने। म्यूचुअल फंड उद्योग का कुल आकार 70-74 लाख करोड़ है, लेकिन लद्दाख का योगदान महज 44 करोड़ है। देशभर में पांच करोड़ से अधिक म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, लेकिन लद्दाख में हमारे पास सिर्फ 3,000 ग्राहक हैं। देश का बैंक डिपॉजिट टू म्यूचुअल फंड एयूएम रेशियो 30% है, लेकिन लद्दाख में वह 4% से भी कम है। यहां के लोगों को भी वेल्थ क्रिएशन की जरूरत है, लेकिन रेगुलेटेड कंपनियों की अनुपस्थिति में वे पोंजी स्कीम्स का शिकार हो जाते हैं। हम इस अंतर को पाटना चाहते हैं।
लेकिन क्या यह बिजनेस के नजरिए से व्यवहारिक फैसला है?
लद्दाख की अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है। 1962 में यहां सिर्फ छोटे गाँव थे, लेकिन आज आप देखें एयरपोर्ट, ब्रांडेड कारें, और बुनियादी ढाँचे का विकास हुआ है। जैसे-जैसे आय बढ़ेगी, लोग निवेश के बारे में सोचेंगे। यह सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं है। लद्दाख की आबादी 4 लाख है, जिसमें 1 लाख रक्षा कर्मी हैं। हमारा एक उद्देश्य रक्षा कर्मियों को वित्तीय सुरक्षा देना भी है।
हम जानते हैं कि लद्दाख आसान बाजार नहीं है। यहां की भौगोलिक परिस्थितियां, ऑक्सीजन की कमी, और आबादी का फैलाव चुनौतियां पैदा करते हैं। लेकिन हमारा उद्देश्य सिर्फ बेचना नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता की प्रक्रिया शुरू करना है। हमने पहले भी कई छोटे शहरों और कस्बों में यही किया है।
क्या आप अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में भी विस्तार करेंगे?
जी हां। हम छोटे शहरों, सीमावर्ती इलाकों और सेना की जरूरतों पर ध्यान देंगे। हम पहले से ही 269 जिलों में मौजूद हैं और 97% पिन कोड्स को कवर करते हैं। हमारी रणनीति स्पष्ट है, जहां कोई नहीं जाता, वहां हम जाएंगे।
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