थीमैटिक फंड: उभरते अवसरों में निवेश करने का एक स्मार्ट तरीका
निवेशकों के लिए सबसे फायदेमंद इन्वेस्टमेंट रिटर्न अक्सर उभरते सेक्टर में निवेश करके मिलता है। थीमैटिक म्यूचुअल फंड इसमें मदद करते हैं जहाँ अनुभवी पेशेवर मजबूत संभावना वाले सेक्टरों की पहचान करते हैं। मार्केट लीडरशिप बदलती रहती है इसलिए पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश करना गलत हो सकता है।

नई दिल्ली। सबसे ज्यादा फायदेमंद इन्वेस्टमेंट रिटर्न—और वह अल्फा जो किसी पोर्टफोलियो को काफी बूस्ट कर देता है—अक्सर तब मिलता है जब निवेशक किसी उभरते सेक्टर (एक नया या उभरता हुआ उद्योग जिसमें ग्रोथ की संभावना हो) को जल्दी पहचानकर उसमें निवेश करता है। हालांकि, ऐसे सेक्टर्स को उनके शुरुआती चरण में पहचानना आसान नहीं होता। ज्यादातर रिटेल इनवेस्टर्स साइकिल के अंत में एंट्री करते हैं, जब सेक्टर शुरुआती निवेशकों को पहले ही अच्छा-खासा रिटर्न दे चुका होता है। सेक्टर की ग्रोथ स्टोरी जब फ्लकचुएट करती है तब ये शुरुआती निवेशक नकारात्मक जोखिमों को झेलने के लिए बेहतर स्थिति में होते हैं।
तो सवाल यह है कि रिटेल निवेशक ऐसे उभरती थीम या उभरते सेक्टर में प्रभावी रूप से कैसे भाग ले सकते हैं, जो मल्टी-बैगर हो सकते हैं?
क्या है थीमैटिक म्यूचुअल फंड
सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है थीमैटिक म्यूचुअल फंड। इन फंडों का प्रबंधन अनुभवी प्रोफेशनल्स करते हैं जो स्ट्रांग पोटेंशियल वाले सेक्टर्स या थीम की पहचान करने के लिए गहन मार्केट इनसाइट, मैक्रोइकॉनॉमिक्स एनालिसिस और मल्टीपल मार्केट साइकिल के अनुभव का उपयोग करते हैं। फंड मैनेजर समझते हैं कि मार्केट लीडरशिप बदलती रहती है। सिर्फ इसलिए कि किसी सेक्टर ने पिछले साल अच्छा प्रदर्शन किया, इसका मतलब यह नहीं है कि वह आगे भी बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा। उदाहरण के लिए, बैंकिंग सेक्टर, जो आर्थिक सुधार का प्रतीक है, पिछले दस कैलेंडर वर्षों में से पांच में टॉप-परफॉर्मिंग सेक्टर रहा है। फिर भी, बहुत कम सेक्टर लगातार दो वर्षों तक टॉप पोजीशन बनाए रखते हैं।
किसी देश के मैक्रोइकॉनॉमिक्स इंडिकेटर्स और सेक्टर के प्रदर्शन के बीच का संबंध शायद ही कभी सीधा होता है, यह अक्सर काफी जटिल होता है। ज्यादातर रिटेल निवेशकों के पास इन पैटर्न को समझने के लिए समय, संसाधन या विशेषज्ञता नहीं होती है। अगर कोई किसी उभरती हुई थीम की सफलतापूर्वक पहचान कर लेता है, तो भी भय और लालच जैसे व्यवहारिक पूर्वाग्रह समय से पहले मुनाफा कमाने या देर से बाहर निकलने का कारण बन सकते हैं। अक्सर तब, जब बड़े इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स अपनी पोजीशन घटा रहे होते हैं।
टैक्सेशन के नजरिए से Fund-of-Funds (FoF) स्ट्रक्चर के माध्यम से ऐसी थीम में निवेश करने से अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। यदि होल्डिंग पीरियड दो वर्ष से अधिक है, तो लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 12.5% की कंसेशनल रेट से टैक्स लगाया जाता है, जबकि डायरेक्ट इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर हायर स्लैब रेट लागू होता है।
इसी के अनुरूप, अलग-अलग सेक्टर्स और थीम्स में उभरते अवसरों का लाभ उठाने के इच्छुक निवेशक ICICI Prudential Thematic Advantage Fund (FoF) पर विचार कर सकते हैं। यह फंड ऑफ फंड्स स्कीम, डायवर्सिफाई मिक्स ऑफ सेक्टोरल और थीमैटिक फंडों में निवेश करती है। 30 जुलाई, 2025 तक, इस फंड ऑफ फंड्स स्कीम ने एक साल में 8.23% का रिटर्न दिया है। इसने तीन वर्षों में 20.68% और पांच वर्षों में 26.08% की CAGR दी है।
(Disclaimer: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और जागरण न्यू मीडिया कंपनी के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। इसमें दिया गया कॉन्टेंट केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। जागरण न्यू मीडिया कंपनी जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं देती है और किसी भी वित्तीय परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है। सभी निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं।)
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