New Labour Codes: अगले महीने से कम आएगी सैलरी, कटेगा ज्यादा PF और ग्रेच्युटी; कैसे होगा आपको फायदा?
नए वेज कोड (new labour codes) के लागू होने से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी CTC का 50% होना अनिवार्य है। PF और ग्रेच्युटी योगदान बढ़ेगा, जिससे रिटायरमेंट ...और पढ़ें

नई दिल्ली। नया वेज कोड (labour codes) लागू होने के बाद अब कर्मचारियों की बेसिक सैलरी उनके कुल CTC (कॉस्ट टू कंपनी) की कम से कम 50% होनी जरूरी होगी।
इससे प्रॉविडेंट फंड (PF) और ग्रेच्युटी का योगदान बढ़ जाएगा, क्योंकि ये दोनों बेसिक सैलरी पर ही कैलकुलेट होते हैं।
अब तक कई कंपनियां जानबूझकर बेसिक सैलरी कम रखती थीं और बाकी पैसा अलग-अलग अलाउंस के रूप में देती थीं, ताकि PF और ग्रेच्युटी पर कम खर्च करना पड़े। नया कानून इसी प्रैक्टिस को रोकने के लिए लाया गया है।
इससे ये होगा कि कर्मचारी का PF और ग्रेच्युटी का हिस्सा बढ़ेगा, यानी रिटायरमेंट के समय ज्यादा पैसा मिलेगा।
लेकिन उसी CTC में से PF और ग्रेच्युटी का हिस्सा बढ़ने की वजह से टेक-होम सैलरी (हाथ में आने वाला पैसा) कम हो जाएगा।
नियम अगले 45 दिन में होंगे नोटिफाई
कोड ऑन वेजेस शुक्रवार से लागू हो चुका है, हालांकि इसके नियम अगले 45 दिन में नोटिफाई किए जाएंगे। उसके बाद सभी कंपनियों को अपनी सैलरी स्ट्रक्चर को नए नियमों के मुताबिक बदलना पड़ेगा।
सभी लेबर कोड में एक जैसी होगी वेजेस की परिभाषा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब वेजेस की परिभाषा सभी लेबर कोड में एक जैसी होगी। इसमें बेसिक पे, डियरनेस अलाउंस और रिटेनिंग अलाउंस शामिल होंगे। कुल सैलरी का कम से कम 50% हिस्सा वेजेस में गिना जाएगा। HRA और कन्वेयंस अलाउंस को छोड़कर बाकी ज्यादातर अलाउंस अब ग्रेच्युटी और सोशल सिक्योरिटी कैलकुलेशन में जुड़ जाएंगे।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुचिता दत्ता ने कहा कि रिटायरमेंट सिक्योरिटी तो बढ़ेगी, लेकिन अगर कंपनियां अलाउंस कम करके खर्च बैलेंस करना चाहेंगी तो कर्मचारियों का टेक-होम सैलरी कम हो सकता है।
यानी लंबे समय में रिटायरमेंट के लिए फायदा मिलेगा लेकिन अभी जेब पर थोड़ा असर पड़ेगा। कंपनियां जैसे-जैसे सैलरी स्ट्रक्चर बदलेंगी, अगले कुछ महीनों में कर्मचारियों को इसका असली प्रभाव पता चलेगा।
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एक साल नौकरी पर भी ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी से जुड़े नियम नए लेबर कोड में बदले गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव फिक्स्ड-टर्म एम्प्लॉइज (FTE) के लिए है। पहले जहां किसी कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए कम से कम 5 साल काम करना जरूरी था, अब FTE कर्मचारियों के लिए यह अवधि घटाकर सिर्फ 1 साल कर दी गई है।

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