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    धीरूभाई अंबानी ने पहली बार खोला था मिडिल क्लास के लिए IPO का दरवाजा; Reliance से जुड़ी ये कहानी क्या जानते हैं आप?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 05:40 PM (IST)

    IPO News आज के समय में आईपीओ में पैसा लगाना आसान हो गया है। लेकिन एक समय था जब कंपनियां रिटेल निवेशकों के लिए दरवाजे ही नहीं खोलती थीं। लेकिन Dhirubhai Ambani ने आम जनता के लिए रिलायंस का आईपीओ लाकर रिटेल निवेशकों के लिए दरवाजे खोले थे। उन्हीं की देना है कि आज आईपीओ में रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ पाई है।

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    धीरूभाई अंबानी ने पहली बार खोला था मिडिल क्लास के लिए IPO का दरवाजा

    नई दिल्ली। IPO News: शेयर बाजार में पहली बार लिस्ट होने वाली कंपनियों को अपना IPO लेकर आना पड़ता है। इसके बाद निवेशक इसे खरीदने के लिए बोली लगाते हैं। एक दौर था जब सिर्फ अमीर लोग ही इसमें पैसे लगा सकते थे। यानी रिटेल निवेशक आईपीओ में पैसा लगा ही नहीं सकते थे। यही बात रिलायंस इंडस्ट्रीज के जनक यानी फाउंडर धीरूभाई अंबानी को नागवार गुजरी और उन्होंने बदलाव की शुरुआत की। ये शुरुआत कैसे हुई इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है। आज हम यह जानेंगे कि कैसे धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) ने आम मिडिल क्लास भारतीयों को आईपीओ खरीदने के लिए दरवाजे खोले थे। आइए जानते हैं कि कब रिलायंस इंडस्ट्रीज का आईपीओ आया था और धीरूभाई अंबानी ने किस तरह से शेयर मार्केट में आम जनता की भागीदारी बढ़ाई थी।

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    1977 में आया था Reliance Industries का IPO

    भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का IPO अक्टूबर 1977 में आया था।आईपीओ के जरिए यह कंपनी पब्लिक हुई थी। उस समय धीरूभाई अंबानी ने 10 रुपये प्रति शेयर मूल्य के 28 लाख इक्विटी शेयर जारी किए थे। यही वो समय था जब भारत के आम मिडिल क्लास के लिए आईपीओ में निवेश करने के लिए दरवाजा खुला था।

    58 हजार रिटेल निवेशकों को मिला था रिलायंस का आईपीओ

    धीरूभाई अंबानी ने IPO के जरिए 58,000 हजार मिडिल क्लास भारतीयों को रिलायंस के साथ जोड़ा था। धीरूभाई अंबानी ने निवेशकों से कहा था कि  अगर उन्होंने उन पर भरोसा करने का फैसला किया।

    Reliance की बैठक में शामिल हुए 30 हजार निवेशक

    धीरभाई अंबानी के प्रति रिटेल निवेशक बहुत ही वफादार थे। उनके प्रति इतनी प्रशंसा थी कि 1986 में कंपनी की वार्षिक शेयरधारक बैठक में 30,000 से अधिक शेयरधारकों ने भाग लिया, जो भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में एक रिकॉर्ड था। मुंबई का कोई भी हॉल इतनी बड़ी संख्या में लोगों को समायोजित नहीं कर सकता था, इसलिए बैठक अंततः क्रॉस मैदान में आयोजित की गई।

    ये उपलब्धि हासिल करने वाली पहली कंपनी बनी थी रिलायंस

    अंबानी ने रिलायंस के शेयरों में शुरुआती निवेशकों में से कई को करोड़पति बना दिया। 1976-77 में, रिलायंस का सालाना कारोबार 70 करोड़ रुपये था। वहीं, 2002 अपने निधन तक धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस को 75,000 करोड़ रुपये की एक विशाल कंपनी बना दिया था। यह एक ऐसी उपलब्धि जिसने रिलायंस को वैश्विक फॉर्च्यून 500 सूची में जगह दिलाई। रिलयांस ऐसा करने वाली पहली भारतीय निजी कंपनी।

    धीरूभाई अंबानी की ही देन है कि आज रिटेल निवेशक भारी मात्रा में आईपीओ में निवेश करते हैं। यानी हम कह सकते हैं कि धीरूभाई ने आम जनता को जोड़कर रिलायंस को आगे बढ़ाने के लिए पैसा तो उठाया ही साथ ही साथ उन्होंने जनता को कमाने का मौका भी दिया।

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