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    'स्वास्थ्य सेवा, शोध और अकादमिक योगदान दें मेडिकल छात्र', जेपी नड्डा ने AIIMS के दीक्षांत समारोह में कहा

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 11:22 PM (IST)

    दिल्ली एम्स के 50वें दीक्षांत समारोह में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में योगदान के लिए सात डाक्टरों को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया। नड्डा ने देश के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि पर जोर दिया और छात्रों से देश में ही सेवा करने की अपील की। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों और सीटों की संख्या में वृद्धि की भी जानकारी दी।

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    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का 50वां दीक्षा समारोह शनिवार को दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने स्वास्थ्य सेवा और अनुसंधान में योगदान के लिए सात डाक्टरों को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया।

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    वहीं स्नातक, स्नातकोत्तर व पीएचडी में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 11 छात्रों को मेडल व सात को पुस्तक पुरस्कार प्रदान किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि देश के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में तेजी से वृद्धि हो रही है। अब हमारे डाॅक्टरों को विदेश जाने की जरूरत नहीं। उन्होंने उपाधि पाने वाले छात्रों से देश में ही स्वास्थ्य सेवा, शोध और अकादमिक में योगदान की अपील की।

    उन्होंने कहा कि पिछली सदी के अंत में जहां देश में केवल एक एम्स था, वहीं आज पूरे भारत में 23 एम्स संस्थान हैं। इनमें से अधिकतर तैयार हैं। दो-चार में काम चल रहा, हैं, वो भी अगले एक-डेढ़ वर्ष में तैयार हो जाएंगे। हर तीन महीने में नियमित साक्षात्कार की व्यवस्था की गई है।

    एमबीबीएस छात्र आएं और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र से जुड़ें। चिकित्सा विज्ञान, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एम्स दिल्ली ने न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर अपना स्थान बनाया है। एम्स को केवल ब्रांड कहने भर से काम नहीं चलने वाला है, बल्कि इस ब्रांड को बनाए रखने में हर छात्र को सहभागिता भी तय करनी होगी।

    उन्होंने युवा डाॅक्टरों से सहानुभूति के साथ सेवा करने, नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और देश की उभरती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचार का उपयोग करने का आह्वान किया। नीति आयोग के सदस्य प्रो. वीके पॉल ने कहा ने कहा कि जिस समुदाय ने हमें पोषित किया है, उसे कुछ वापस देना हमारी एक सामाजिक जिम्मेदारी है।

    जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, उत्कृष्टता को अपना दैनिक अभ्यास और नवाचार को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे शिक्षा जगत में शामिल होने, स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की अगली पीढ़ी को पढ़ाने, मार्गदर्शन करने और प्रेरित करने पर विचार करें, जिससे ''विकसित भारत'' के दृष्टिकोण में योगदान मिल सके।

    समारोह में 326 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं, जिनमें 50 पीएचडी छात्र, 95 डीएम व एमसीएच विशेषज्ञ, 69 एमडी, 15 एमएस, चार एमडीएस, 45 एमएससी, 30 एमएससी (नर्सिंग) और 18 एम. बायोटेक स्नातक शामिल रहे। इस अवसर पर सांसद बांसुरी स्वराज, संस्थान निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास, डीन अकादमिक प्रो. कौशल के वर्मा, डीन रिसर्च प्रो. निखिल टंडन आदि रहे।

    यूजी-पीजी की 75000 सीटें बढ़ेंगी

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में देश में मेडिकल कालेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। इसी प्रकार स्नातक मेडिकल सीटें 51,000 से बढ़कर 1,29,000 और स्नातकोत्तर सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अगले पांच वर्षों में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर 75,000 अतिरिक्त सीटें बढ़ाने का लक्ष्य है।

    टीबी के मामलों में 17.7 प्रतिशत की कमी

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के आंकड़ों के अनुसार देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 130 से घटकर 88 और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 39 से घटकर 27 हो गई है।

    पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यूएमआर) और राष्ट्रीय मृत्यु दर (एनएमआर) में भी क्रमशः 42 प्रतिशत और 39 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी आयी है, जो वैश्विक औसत से अधिक है। इतना ही नहीं लैंसेट की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में टीबी के मामलों में 17.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।

    इन्हें मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार

    • -प्रो. (डा.) शैल के शर्मा (पूर्व अध्यक्ष- बायोकेमिस्ट्री विभाग)
    • -प्रो. (डा.) रवि भाटिया (पूर्व अध्यक्ष- न्यूरोसर्जरी विभाग)
    • -प्रो. (डा.) विजय कुमार दादा (पूर्व प्रमुख- आरपी सेंटर फार आप्थेल्मिक साइंस)
    • -प्रो. (डा.) दिनेश के भार्गव (पूर्व प्रोफेसर- गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग)
    • -प्रो. (डा.) तीरथ दास डोगरा (पूर्व अध्यक्ष- फारेंसिक मेडिसिन विभाग)
    • -प्रो. (डा.) तुषार कांति चट्टोपाध्याय (पूर्व विभागाध्यक्ष- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी)
    • -प्रो. (डा.) सुनीता मित्तल (पूर्व विभागाध्यक्ष- प्रसूति एवं स्त्री रोग)


    मेडल पाने वाले मेधावी

    • -शिल्पा एम पॉल (डाॅ. बीके आनंद पदक)
    • -हेमंत चौधरी (डाॅ. विद्या सागर पदक)
    • -तविश गुप्ता (डाॅ. बोधराज सभरवाल पदक)
    • -सिद्धविवेक मजागे (संजीवनी पदक)
    • -राजनंदिनी दास गुप्ता (डाॅ. श्याम शर्मा पदक)
    • -अर्चना शशि (शकुंतला जोली पदक)
    • -श्रेया ओझा (डाॅ. वी रामालिंगास्वामी पदक)
    • -विकास कुमार (डा. एसवी तालेकर पदक)
    • -कविप्रिया अप्पासामी (डाॅ. एलएन महापात्रा पदक)
    • -रिद्धि गुप्ता (डाॅ. एसएस सिद्धू पदक)
    • -गरिमा झुनझुनवाला (डाॅ. एसएस सिद्धू पदक)
    • -नेल्लई कृष्णन एस (डाॅ. एम रोहतगी पदक)

    पुस्तक पुरस्कार पाने वाले मेधावी

    • -मनस्विन भट्ट (डा. एमएमएस आहूजा पुस्तक पुरस्कार)
    • -वैनगंकर अभिषेक धनंजय (मनोहर लाल सोनी पुस्तक पुरस्कार)
    • -हिमांशु नारंग (डा. राकेश टंडन पुस्तक पुरस्कार)
    • -मुदित अग्रवाल (सोरेल कैथरीन फ्रीमैन पुस्तक पुरस्कार)
    • -आयुष जैन (डा. केसी कंधारी पुस्तक पुरस्कार)
    • -पाल रेड्डी अक्षरा (कामिनी चैरिटी ट्रस्ट बुक प्राइज)

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