भारत मंडपम: युवा कलाकारों ने लोकनृत्य में डाली नई जान
भारत मंडपम में युवा कलाकारों ने पारंपरिक लोकनृत्यों का शानदार प्रदर्शन किया। आधुनिक पीढ़ी इन कलाओं को नया जीवन दे रही है। कलाकारों ने अपनी प्रतिभा और उत्साह से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।

फाइल फोटो
शशि ठाकुर, नई दिल्ली। एक तरफ जहां जेन- जी युवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट मीडिया की रफ्तार से दुनिया नाप रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर यही 'जुनूनी कलाकार' अपनी दशकों पुरानी पारंपरिक लोकनृत्यों को एक आधुनिक और नई पहचान दिलाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
भारत मंडपम में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में दिखने वाले ये साधारण से चेहरे की हकीकत जान लोग हैरान हो रहे है। जो दिन में खेल के मैदान पर गोल दागते हैं, स्टूडियो में नृत्य की बारीकियों को समझते है और काॅलेज की कक्षाओं में नए शोध कर रहे हैं। वह अपनी निजी जिम्मेदारियों को संभालने के साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाकर अपने राज्य की सांस्कृतिक विरासत का ऐसा जादू बिखेर रहे हैं कि दर्शक इनके साथ झूमने को मजबूर हो रहे हैं।
फुटबाल मैदान से लोकनृत्य के मंच तक
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में उरांव लोकनृत्य के माध्यम से आंगतुकों को रांची की सांस्कृतिक विरासत से अवगत करवा रही लक्ष्मी तुरजुर की कहानी प्रेरणादायक है।
उन्होंने बताया कि वह रांची से राज्य स्तरीय फुटबाल खिलाड़ी हैं। वह मैदान पर गोल दागने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मंच पर घुंघरूओं की झंकार और ढोल की थाप पर रांची के उरांव नृत्य को प्रस्तुत कर रांची राज्यों को एक अलग ही पहचान दिलाना चाहती है।
खिलाड़ी और नृत्य कलाकार लक्ष्मी का कहना है, "आधुनिक युग में जहां आज के युवा केवल तकनीक से जुड़ रहे हैं, उनको अपनी विरासत से भी जुड़ने की जरूरत है। इस कारण मैं अपने खेल और जिम्मेदारियों के साथ सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजना चाहती हूं क्योंकि मैं अपने राज्य को हर क्षेत्र में आगे बढ़ते देखना चाहती हूं।"
मराठी 'मावले' किरदारों का जलवा
मुंबई ठाणे से आए कोरियोग्राफर सुमित ने बताया कि उनकी टीम में नीलेश तलारे, चिन्मय तेलंग, ओम राणे, साक्षी पाटिल और ओधमरी तुकाराम जैसे युवा शामिल हैं, जिनमें होटल मैनेजमेंट की नौकरी करने वाले से लेकर स्कूल, कालेज में पढ़ाई करने वाले छात्र तक शामिल हैं।
ये सभी महाराष्ट्र के राजा शिवाजी महाराज के समय के किरदारों को निभाने के साथ ही मराठी लोक नृत्य को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने के लिए दिल्ली के भारत मंडपम में पहुंचे हैं। ये महाराष्ट्र के पारंपरिक वेशभूषा धारण कर नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे लोग बहुत पसंद कर रहे हैं और कलाकारों के साथ सेल्फी लेने के लिए लंबी लाइन लगाकर खड़े हैं।

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