क्लाउड सीडिंग का जादू या डेटा की जादूगरी, आधिकारिक आंकड़ा बता रहा उल्टी कहानी, IIT कानपुर की रिपोर्ट पर सवाल
क्लाउड सीडिंग को लेकर आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट और आधिकारिक आंकड़ों में विरोधाभास है। रिपोर्ट के अनुसार क्लाउड सीडिंग के बाद बारिश में कोई खास वृद्धि नहीं हुई, जबकि आधिकारिक आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। इस विरोधाभास के कारण क्लाउड सीडिंग की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं और डेटा के निष्पक्ष विश्लेषण की मांग की जा रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। मंगलवार को राजधानी में की गई क्लाउड सीडिंग से जिन स्थानों पर पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर कम घटने का दावा किया गया है, वह भी अब सवालों के घेरे में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आधिकारिक निगरानी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि क्लाउड सीडिंग अभियान शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार होने लगा था। बाद में इसमें वृद्धि भी हुई। हालांकि, इसे लेकर पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और आईआईटी कानपुर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
किए गए दावों पर एक नजर
क्लाउड सीडिंग का पहला दौर मंगलवार दोपहर 12:13 बजे से 2:30 बजे के बीच और दूसरा दौर दोपहर 3:45 बजे से 4:45 बजे के बीच किया गया था। आईआईटी कानपुर की प्रारंभिक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि क्लाउड सीडिंग परीक्षणों के बाद मयूर विहार में पीएम 2.5 का स्तर 221 से घटकर 207 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया और पीएम 10 का स्तर 207 से घटकर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया।
उधर, करोल बाग और बुराड़ी में भी इसी तरह की कमी दर्ज की गई। क्लाउड सीडिंग से पहले, मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में पीएम 2.5 का स्तर क्रमशः 221, 230 और 229 दर्ज किया गया था, जो पहली सीडिंग के बाद क्रमशः 207, 206 और 203 तक गिर गया। इसी प्रकार, रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम 10 का स्तर भी मयूर विहार, करोल बाग एवं बुराड़ी में क्रमशः 207, 206, 209 से घटकर 177, 163 व 177 हो गया।
तीनों केंद्रों पर दिखाया गया था असर
इस रिपोर्ट के अनुसार, तीनों केंद्रों में पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से अधिक पाया गया। हालांकि, पीएम 10 जिसमें 10 माइक्रोन या उससे कम कणों का द्रव्यमान शामिल है। पीएम 2.5 को भी कवर करता है, जिसमें 2.5 माइक्रोन और उससे कम कणों का द्रव्यमान शामिल है। इसलिए किसी निश्चित समय पर यह संभव ही नहीं कि किसी केंद्र पर पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से अधिक हो। जब तक कि आंकड़े अलग-अलग समय पर दर्ज न किए गए हों।
आंकड़ों पर उठ रहे सवाल
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर कब दर्ज किया गया था। जब बुराड़ी में डीपीसीसी के आंकड़ों की तुलना की गई, तो पहली सीडिंग विंडो से पहले सुबह नौ से दोपहर एक बजे के बीच पीएम 2.5 का स्तर 198 से 88 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक गिर चुका था।
प्रयोग के दौरान यह स्तर 92 और 97 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रहा जबकि आधी रात तक फिर से 144 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। पीएम 10 का स्तर भी लगभग ऐसा ही रहा, दोपहर से पहले यह 295 से गिरकर 139 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर आ गया, लेकिन शाम तक बढ़कर 209 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया।
हैरत की बात यह भी कि बुराड़ी का औसत सोमवार की आधी रात से ही गिर रहा था, मंगलवार दोपहर एक बजे तक यह 336 से गिरकर 319 पर आ गया था।
ज्यादा देर तक नहीं रहे आंकड़े
मयूर विहार के सबसे नजदीकी निगरानी केंद्र पटपड़गंज में पीएम 2.5 का स्तर दोपहर एक बजे 105 से बढ़कर शाम छह बजे तक 149 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया। इसके बाद रात आठ बजे इसमें थोड़ी गिरावट आई और यह 145 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया, जो ज़्यादा देर तक नहीं रहा।
इसी बीच पीएम 10 का स्तर दोपहर एक बजे 215 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर शाम छह बजे 323 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया। इसके बाद अगले दो घंटों में 77 अंकों की गिरावट देखी गई। हालांकि, यह भी ज्यादा देर तक नहीं रहा।
करोल बाग के सबसे नज़दीकी आधिकारिक केंद्र मंदिर मार्ग पर पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में उतार-चढ़ाव जारी रहा, लेकिन कोई ख़ास बढ़ोतरी या गिरावट नहीं हुई। नोएडा में भी, प्रदूषकों के स्तर में थोड़ा सुधार देखा गया, लेकिन दो घंटे के भीतर सांद्रता में फिर से उछाल आ गया।

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