दो सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट रखकर दिल्ली में सबसे बड़ी ठगी, कंबोडिया में बैठे ठगों ने 22.92 करोड़ ठगे
दिल्ली पुलिस ने एक सेवानिवृत्त बैंकर से 22.92 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। कंबोडिया में बैठे ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के जरिये इस वारदात को अंजाम दिया। आरोपियों में खाता धारक, एक एनजीओ मालिक और एक बिचौलिया शामिल हैं। ठगी की रकम को ठिकाने लगाने के लिए एनजीओ का इस्तेमाल किया गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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दिल्ली पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क इलाके में रहने वाले 78 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंकर को डिजिटल अरेस्ट कर 22.92 करोड़ की ठगी करने के मामले में दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओे) ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में तीन खाता धारक, एक बिचाैलिया और एक एनजीओ का मालिक शामिल है।
यह दिल्ली का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट का मामला है। कंबोडिया में बैठे चीन के साइबर अपराधियों ने दिल्ली में अपने भारतीय एजेंटों के जरिये सेवानिवृत्त बैंकर को शिकार बनाया। मोटी रकम होने के कारण पैसे को कंबोडिया भेजने में कोई कानूनी अड़चन न आए, इसके लिए उत्तराखंड के गांव में स्कूल व एनजीओ चलाने वाले को भी कमीशन के एवज में साजिश में शामिल कर लिया था।
पहले एक महिला ने एक दूर संचार कंपनी की वरिष्ठ अधिकारी बनकर पीड़ित को झांसे में लिया। उसके बाद मुंबई पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के अधिकारी बनकर अलग-अलग साइबर अपराधी अलग-अलग तरीके से डराकर उनसे अपने बैंक खातों में 22.92 करोड़ ट्रांसफर करा लिए।
पीड़ित को छह हफ्ते पर डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। इस दौरान हर दिन दो-दो घंटे पर वीडियो काॅल कुछ समय तक डिजिटल अरेस्ट किया जाता था। गोपनीयता बनाए रखने के लिए पीड़ित से एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा उसे वाॅट्सएप पर मंगवा लिया गया था।
पुलिस अधिकारी के मुताबिक पूरा रैकेट दक्षिण पूर्व एशियाई देश से चलाए जाने की जानकारी मिली क्योंकि कई लेनदेन के आइपी पता उसी देश से जुड़े पाए गए। इस मामले में पुलिस ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया उनके नाम अशोक, मोहित, अमित, समरजीत और कनकपाल है।
पिछले हफ्ते उत्तराखंड से गिरफ्तार किए गए कनकपाल अपने गांव में एक एनजीओ और एक स्कूल चलाता है। इसके एनजीओ के खाते में ठगी की रकम ट्रांसफर करने के एवज में मोटी रकम देने का वादा किया गया था। बीते 19 सितंबर को 78 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंकर नरेश मल्होत्रा ने दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ में शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत में उन्होंने बताया था कि अपने खाते वाली तीन बैंकों की शाखाओं में जाकर 16 अलग-अलग बैंक खातों में 21 लेन-देन के जरिये कुल 22.92 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे। शिकायत मिलते ही पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। जांच से पता चला कि एनजीओ के मालिक को लेन-देन को सुगम बनाने के बदले ठगी गई राशि का एक बड़ा हिस्सा देने का वादा किया गया था।
ठगों ने एनजीओ मालिक से अत्यधिक पेशेवर तरीके से संपर्क किया, यहां तक कि बैठकों से संबंधित यात्रा और अन्य खर्चों को भी वहन किया। साइबर धोखाधड़ी में एनजीओ को शामिल करना इन साइबर धोखेबाजों द्वारा अपनाई गई एक नई कार्यप्रणाली प्रतीत होती है।
सूत्रों के अनुसार मल्होत्रा का पैसा 4,236 लेन-देन के जरिए सात स्तरों से होकर गुजरा। पुलिस ने पांच आरोपित को गिरफ्तार कर सबसे नीचे के दो स्तर को सुलझाया है। पुलिस टीम ने बैंक अधिकारियों की मदद से लगभग 2,500 बैंक खाते सीज करा दिए हैं, जिनका इस्तेमाल ठगी के पैसों के लेन-देन में किया गया था। इन खातों में जमा तीन करोड़ रुपये फ्रीज करा दिए गए हैं।
गिरफ्तार आरोपियों में एक कंबोडिया में बैठे ठगों के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करता था। पुलिस को संदेह है कि यह गिरोह देश भर में बड़ी संख्या में लोगों को शिकार बना चुका होगा। मल्होत्रा के पास एक अगस्त को पहला फोन आया था।
फोन करने वाली महिला ने खुद को एक दूरसंचार कंपनी की वरिष्ठ अधिकारी बताया और दावा किया कि उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल 'धोखाधड़ी' और 'अवैध' गतिविधियों के लिए किया गया है। बाद में उसने दावा किया कि मुंबई पुलिस के अधिकारी इस घटना की जांच कर रहे हैं। बाद में मल्होत्रा को मुंबई पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई अधिकारी बनकर ठगी की गई।

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