इस साल भी दिल्लीवालों को साफ हवा नसीब नहीं! सर्दियों में बढ़ जाती है मुश्किलें, CPCB के चौंकाने वाले आंकड़े
दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण की स्थिति गंभीर है। सरकार के दावों के बावजूद, साफ हवा मिलना मुश्किल है। प्रतिकूल मौसम और ठोस उपायों की कमी के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, पिछले नौ वर्षों में स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। सर्दियों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ज्यादातर खराब श्रेणी में रहता है।
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सर्दियों में दिल्लीवालों को एक चौथाई दिन भी नसीब नहीं होती साफ हवा।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। पूर्ववर्ती आप और मौजूदा भाजपा सरकार के दावों से इतर दिल्ली में सर्दियों के दौरान एक चौथाई दिन भी साफ हवा नहीं मिल पाती। इस साल भी कमोबेश यही स्थिति रहने के आसार हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के प्रदूषण को लेकर ही विभिन्न स्तरों पर होने वाली बैठकों में भी इस सच को स्वीकार किया गया है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियां बताई गई हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसका एक अन्य बड़ा कारण इस प्रदूषण की रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर ठोस उपाय नहीं होना भी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक वर्ष 2016-17 से लेकर 2024-25 तक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो उक्त स्थिति स्वत: स्पष्ट हो जाती है। इन नौ वर्षों के दौरान 2021-22 की सर्दियों में सबसे ज्यादा 38 दिन हवा साफ रही थी। 2024-25 में भी राजधानी को साफ हवा वाले इतने ही दिन मिले हैं। जबकि वर्ष 2016-17 में केवल आठ दिन हवा साफ रही थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की वापसी के बाद अक्टूबर से लेकर फरवरी तक हवा में प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है। प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण इस दौरान ज्यादातर दिनों में वायु गुणवत्ता ''खराब'', ''बहुत खराब'' या फिर ''गंभीर'' श्रेणी में ही रहती है। खासतौर पर नवंबर और दिसंबर के महीने में हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहता है। आलम यह है कि इन पांच महीनों के 151 दिनों में अधिकांशत: एक चौथाई दिन भी 200 से नीचे के एक्यूआइ वाले नहीं मिल पाते।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के पूर्व सदस्य डा के जे रमेश कहते हैं, सर्दियों के दौरान हवा की रफ्तार बहुत धीमी होती है। तापमान कम होने के चलते प्रदूषक कण ज्यादा समय तक हवा में बने रहते हैं। वाहनों और पराली के धुएं से स्माग भी बन जाता है जो वायुमंडल पर ज्यादा देर तक छाया रहता है। इससे दृश्यता का स्तर लंबे समय तक प्रभावित होता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इसीलिए सर्दियों के ज्यादातर दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से ऊपर रहता है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले नौ सालों में एक भी साल ऐसा नहीं रहा जब सर्दियों के इन महीनों में 40 दिन भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से नीचे रहा हो।
किस साल सर्दियों के दौरान सीजन कितने दिन साफ रही हवाः
| साल | साफ हवा वाले दिन | खराब हवा वाले दिन/B |
|---|---|---|
| 2016-17 | 08 | 143 |
| 2017-18 | 13 | 137 |
| 2018-19 | 19 | 132 |
| 2019-20 | 27 | 125 |
| 2020-2021 | 13 | 138 |
| 2021-2022 | 38 | 113 |
| 2022-23 | 29 | 122 |
| 2023-24 | 28 | 124 |
| 2024-25 | 38 | 113 |

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