'पापा कब आएंगे? मुझे उनके साथ सोना है', बेटा रोज पूछता है यही सवाल; दिल्ली ब्लास्ट ने दिया जिंदभीभर का गम
दिल्ली के श्रीनिवासपुरी निवासी जगदीश कुमार ने पिछले महीने हुए बम धमाके में अपने इकलौते बेटे अमर को खो दिया। अमर भागीरथ पैलेस में होलसेल फार्मेसी चलाते ...और पढ़ें

दिल्ली ब्लास्ट में मारे गए अमर का फाइल फोटो। जागरण
शालिनी देवरानी, दक्षिणी दिल्ली। 'मम्मा-दादू पापा कब आएंगे? मुझे उनके साथ सोना है।' रोज रात तीन साल का मासूम ये सवाल पूछता है और हम उसे बस दिलासा देते हैं कि बेटा पापा भगवान जी के पास गए हैं, जल्द आ जाएंगे।
हादसे को महीना भर बीत चुका है, परिवार उबर नहीं पाया है। ये कहना है श्रीनिवासपुरी निवासी जगदीश कुमार का, जिन्होंने पिछले महीने हुए बम धमाके में अपने इकलौते बेटे अमर को खोया है। पीड़ित परिवारों के लिए सरकार ने मुआवजे की घोषणा तो की थी, लेकिन अभी मुआवजा नहीं मिला है।
जगदीश अपने भाई के साथ मयूर विहार में टेलरिंग शाप चलाते हैं। बताते हैं कि समय बिताने के लिए दुकान पर जाता था। बेटा ने कई बार कहा था मत जाया करो थक जाते होंगे। सोच रहा था कि बेटे ने घर संभाल ही लिया है दुकान पर जाना छोड़ दूंगा। मुझे क्या पता था कि इस उम्र में परिवार की जिम्मेदारी निभाने की नौबत आ जाएगा। मुआवजे के लिए एसडीएम कार्यालय से फोन पर कुछ जानकारी मांगी थी। कब मिलेगा कुछ नहीं पता।
कारोबार हुआ बंद, बहू को नौकरी मिले तो घर संभले
अमर भागीरथ पैलेस में पार्टनर के साथ होलसेल फार्मेसी चलाते थे, जोकि हादसे के बाद से बंद है। जगदीश बताते हैं कि कारोबार ठप हो गया है। मेरी उम्र 60 साल है और पत्नी घुटने की बीमारी से परेशान है। बहू कृति एमबीए है, सरकार से मांग है कि अगर उन्हें सरकारी नौकरी मिल जाए, तो परिवार संभल जाएगा।
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अमर की चार साल पहले ही शादी हुई थी और बेटा फिलहाल प्ले स्कूल में है। जगदीश कहते हैं 17 दिसंबर को बेटे अमर का जन्मदिन था, वो आज होता तो सब खुशी से जश्न की तैयारी करते लेकिन आज खामोशी छाई है।

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