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    Delhi Blast: फोरेंसिक जांच में ‘डायरेक्शनल ब्लास्ट’ की आतंकी साजिश उजागर, पीछे की ओर गई विस्फोट वेव का खुला राज

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 09:42 PM (IST)

    दिल्ली में हुए विस्फोट की फोरेंसिक जांच में आतंकी साजिश का खुलासा हुआ है। यह एक 'डायरेक्शनल ब्लास्ट' था, जिसमें विस्फोट की ऊर्जा एक विशेष दिशा में केंद्रित थी। जांच में विस्फोट वेव के पीछे की ओर जाने का भी पता चला, जो आतंकी साजिश की ओर इशारा करता है। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल पर बारीकी से जांच की और विस्फोट के पैटर्न का विश्लेषण किया।

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    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। लाल किला के पास अंजाम दिए गए आतंकी विस्फोट की अब तक हुई फोरेंसिक जांच से साफ होता जा रहा है कि ब्लास्ट वेव (विस्फोट की धमक) कार के पीछे की तरफ क्यों गई? विशेषज्ञों के अनुसार यह कार में रखे विस्फोटक के स्थान और कार की बनावट के कारण हुआ। ब्लास्ट वेव के पीछे की तरफ जाने से कार के पीछे चल रहे वाहनों व उनमें सवार लोगों को भारी नुकसान हुआ, जबकि आगे वालों को अपेक्षाकृत कम।

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    विशेषज्ञों का मानना है कि यह सोची-समझी आतंकी रणनीति भी हो सकती है। यानी विस्फोट का असर एक दिशा में ज्यादा पहुंचाने के लिए भी ऐसा किया जा सकता है। तकनीकी भाषा में इसे ‘डायरेक्शनल ब्लास्ट’ कहा जाता है, यानी ऐसा विस्फोट जिसमें निकलने वाली ऊर्जा को किसी खास दिशा में मोड़ा जाए।

    पुलिस सूत्रों के अनुसार फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की जांच विश्लेषणों से पता चला कि विस्फोटक कार की डिक्की या पीछे की सीट के नीचे रखा था क्योंकि जब कोई विस्फोट होता है तो उसके अंदर बनी गर्म गैसें और दबाव बहुत तेजी से बाहर निकलना चाहते हैं। वे उसी दिशा में निकलते हैं जो खुला या कमजोर होता है। चूंकि इंजन और मोटी धातु की प्लेटों से बना कार के आगे वाला हिस्सा दबाव को रोक रहा था, जबकि पीछे का हिस्सा अपेक्षाकृत कमजोर और पतला था, इसलिए ब्लास्ट वेव वहीं से बाहर निकली।

    ‘शाॅकवेव प्रेशर सिमुलेशन’ का कंप्यूटर मॉडल भी यही दर्शा रहा है कि कार का आगे का हिस्सा इंजन और बोनट सख्त धातु से बना होने के कारण दबाव को रोक गया, जिससे पूरी ऊर्जा पीछे की ओर फट पड़ी। गर्म गैसों के साथ धातु के टुकड़े, शीशे सुपर सोनिक स्पीड से पीछे की ओर निकले, जिसने तमाम वाहनों के परखच्चे और लोगों के चीथड़े उड़ा दिए।

    यही कारण है कि विस्फोट की वेव से मानव अंगों के चीथड़े 300 मीटर तक दूर तक जा उड़े, जो अब भी बरामद किए जा रहे हैं। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में लगी हैं कि आतंकी डाॅ. उमर ने कुल कितनी मात्रा में विस्फोटक का इस्तेमाल किया, किस-किस तरह का विस्फोटक इस्तेमाल किया, कार में उसे कैसे और किसने लगाया, उसे स्पार्क यानी ट्रिगर कैसे किया।

    इनका उत्तर पाने को बड़ी मात्रा में विस्फोट के अवशेषों बारूद, धातु के टुकड़ों और कार की डिक्की के हिस्सों को फोरेंसिक लैब भेजा गया है। फोरेंसिक जांच टीम ने कार के टुकड़ों, मिट्टी और आसपास की दीवारों से पांच सौ से अधिक नमूने भी लिए हैं।्र

    अब तक क्या पता चला...

    • गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री टेस्ट में विस्फोटकों के निशान मिले।
    • फोरियर ट्रांसफार्म इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी ने पुष्टि की कि विस्फोट ठोस विस्फोटक से हुआ
    • स्कैनिंग इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी विद एक्स-रे डिटेक्शन से कापर, एल्यूमिनियम और आयरन के सूक्ष्म कण मिले, जो किसी इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर या टाइमर डिवाइस की उपस्थिति दर्शाते हैं
    • एक्स-रे डिफ्रैक्शन जांच से यह साबित हुआ कि विस्फोट अत्यंत उच्च तापमान पर हुआ
    • स्मोक और गैस एनालिसिस में नाइट्रोजन आक्साइड और कार्बन मोनोआक्साइड की उच्च मात्रा मिली

    यहां मिले साक्ष्य

    • लाल किले के मुख्य प्रवेश द्वार के पास, किले की बाहरी दीवार के पास पत्थर उखड़े हुए, लोहे की रेलिंग मुड़ी हुई।
    • लाल किला पार्किंग क्षेत्र, विस्फोट से 50 मीटर दूर खड़ी गाड़ियों के शीशे चकनाचूर मिले हैं। कुछ वाहनों के बोनट और डिक्की के हिस्से उखड़ गए।
    • लाल किला बस स्टाप के शेड की छत पर भी विस्फोटक के कण मिले हैं।
    • सड़क के दोनों किनारों पर पत्थरों के टुकड़े और कंक्रीट के छींटे, काले धुएं के निशान, पिघली धातु के अवशेष मिले
    • विस्फोट स्थल से लगभग 100 मीटर दूर एक पेड़ के तने पर भी बारूद के अवशेष मिले हैं।

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